खुशबू बसंत की
कुँवर कुसुमेश
चारो तरफ़ से आयेगी खुशबू बसंत की,
बादे-सबा भी लायेगी खुशबू बसंत की.
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
उसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
यादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
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बादे-सबा=सुबह की हवा, रंगीनिये-हयात=ज़िन्दगी की रंगीनी
राहे-वफ़ा= वफ़ा की राह