Friday, November 2, 2012

उफ़......................



-कुँवर कुसुमेश 


उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
इधर पास आने लगी  है दिवाली .

मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .

समझ में मेरे आज तक है न आया,
कि ये किस जनम की कसर है निकाली . 

यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
*****

31 comments:

  1. यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

    हकीकत का बयाँ करती सच्ची रचना

    ReplyDelete
  2. समझ में मेरे आज तक है न आया,
    कि ये किस जनम की कसर है निकाली .

    भैया जी यही समझ में आ जाये तो किस बात की कमी होगी

    ReplyDelete
  3. घर घर में बरकत हो ..
    पर हो कैसे ?

    ReplyDelete
  4. सच्चाई को कहती बढ़िया गज़ल

    ReplyDelete
  5. 'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
    इतने बुरे हाल में भी ऐसी सार्थक दुआएं आप ही दे सकते हैं बहुत सराहनीय प्रस्तुति .दीपावली आपको व् आपके सभी हितेषियों के लिए शुभ व् मंगलमय हो .

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सच्‍ची बात कह दी आपने ...
    आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए

    ReplyDelete
  7. 'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .!

    शुभकामनाएँ......

    ReplyDelete
  8. शुभकामनायें

    ReplyDelete
  9. समझ में मेरे आज तक है न आया,
    कि ये किस जनम की कसर है निकाली,,,,,

    काश ये बात नेता लोग समझ पाते,,,,,,
    बहुत दिनों से मेरे पोस्ट पर आपका आना नही हुआ,,,,आइये स्वागत है कुशुमेश जी,,,,
    RECENT POST : समय की पुकार है,

    ReplyDelete
  10. सचमुच दिवाली से पहले ही दिवाला निकल चुका है आगे जाने राम क्या होगा...

    ReplyDelete
  11. 'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
    दुआ कुबूल करते है ....आभार
    हमेशा की तरह बढ़िया सुन्दर ....

    ReplyDelete
  12. अब कैसी चलेगा घर
    जाने घर वाली

    ReplyDelete
  13. बहुत बढ़िया...कुशुमेश जी...

    ReplyDelete
  14. बढ़िया ...समसामयिक पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  15. -कुँवर कुसुमेश


    उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
    इधर पास आने लगी है दिवाली .

    मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
    कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .

    समझ में मेरे आज तक है न आया,
    कि ये किस जनम की कसर है निकाली .

    यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

    'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
    *****
    Posted by Kunwar Kusumesh at 9:09 PM

    अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ,सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,

    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा ,मकसद नहीं ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .

    आपको बे -साख्ता याद कर रहे थे आज ,

    आगये खुद ही चर्चा -ए -मंच आप .

    (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    ReplyDelete
  16. (4)

    सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,

    कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,

    रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,

    खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 4 नवम्बर 2012
    खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )

    ReplyDelete
  17. यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
    सही बात....
    बहुत ही बढ़ियाँ रचना....
    :-)

    ReplyDelete
  18. kadvi sacchayee ka dastavej,sundar

    ReplyDelete
  19. क्या बात है कुंवर जी .... सुन्दर गज़ल...सामयिक कथ्य ..

    ReplyDelete
  20. कुँवर की दुआ आप सब के लिए है,
    रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .

    अब तो दीये के साथ-साथ दया और दुआ की भी जरूरत है।

    ReplyDelete
  21. यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
    इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .

    ....बिल्कुल सच...

    ReplyDelete
  22. मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
    कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .


    आजके हालात पर सुंदर कटाक्ष करती है यह नज़्म.

    ReplyDelete
  23. बहुत जबरदस्त कटाक्ष यही होगा जब गुंडे मवालियों को वोट देंगे भुगतना तो पड़ेगा ही इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई कुसुमेश जी

    ReplyDelete
  24. इस दीवाली पर देश की तस्वीर खिंच दी...गैस और मंहगाई तो मूल समस्या से ध्यान भटकने के लिए है...बहुत खूब...

    ReplyDelete
  25. कुंवर जी करारा कटाक्ष आज के नेताओं पर ,सामयिक भी है ,सुन्दर

    ReplyDelete
  26. सुंदर रचना!!
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

    ReplyDelete
  27. वक्त की नब्ज़ पर हाथ रखती इस रचना के लिए बधाई कुसुमेश जी।

    ReplyDelete