-कुँवर कुसुमेश
उधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
इधर पास आने लगी है दिवाली .
मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .
समझ में मेरे आज तक है न आया,
कि ये किस जनम की कसर है निकाली .
यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
*****
यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
ReplyDeleteइलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
हकीकत का बयाँ करती सच्ची रचना
समझ में मेरे आज तक है न आया,
ReplyDeleteकि ये किस जनम की कसर है निकाली .
भैया जी यही समझ में आ जाये तो किस बात की कमी होगी
घर घर में बरकत हो ..
ReplyDeleteपर हो कैसे ?
सच्चाई को कहती बढ़िया गज़ल
ReplyDeleteआज 03 - 11 -12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... चलो अपनी कुटिया जगमगाएँ .ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
ReplyDeleteरहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
इतने बुरे हाल में भी ऐसी सार्थक दुआएं आप ही दे सकते हैं बहुत सराहनीय प्रस्तुति .दीपावली आपको व् आपके सभी हितेषियों के लिए शुभ व् मंगलमय हो .
बहुत ही सच्ची बात कह दी आपने ...
ReplyDeleteआभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
ReplyDeleteरहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .!
शुभकामनाएँ......
शुभकामनायें
ReplyDeleteसमझ में मेरे आज तक है न आया,
ReplyDeleteकि ये किस जनम की कसर है निकाली,,,,,
काश ये बात नेता लोग समझ पाते,,,,,,
बहुत दिनों से मेरे पोस्ट पर आपका आना नही हुआ,,,,आइये स्वागत है कुशुमेश जी,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसचमुच दिवाली से पहले ही दिवाला निकल चुका है आगे जाने राम क्या होगा...
ReplyDelete'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
ReplyDeleteरहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
दुआ कुबूल करते है ....आभार
हमेशा की तरह बढ़िया सुन्दर ....
अब कैसी चलेगा घर
ReplyDeleteजाने घर वाली
बहुत बढ़िया...कुशुमेश जी...
ReplyDeleteबढ़िया ...समसामयिक पंक्तियाँ
ReplyDelete-कुँवर कुसुमेश
ReplyDeleteउधर अपनी सरकार मंहगाई वाली .
इधर पास आने लगी है दिवाली .
मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
कई घर में देखो सिलिंडर है खाली .
समझ में मेरे आज तक है न आया,
कि ये किस जनम की कसर है निकाली .
यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
इलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
'कुँवर' की दुआ आप सब के लिए है,
रहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
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Posted by Kunwar Kusumesh at 9:09 PM
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ,सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा ,मकसद नहीं ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .
आपको बे -साख्ता याद कर रहे थे आज ,
आगये खुद ही चर्चा -ए -मंच आप .
(4)
सरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,
कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,
रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,
खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .
(4)
ReplyDeleteसरकारें तो सरक रहीं हैं ,भीतर से पर दरक रहीं हैं ,
कोयला 'टूजी ',खेल -एशिया ,घोटालों से धड़क रहीं ,
रिश्ते नाते जीजू -स्साले ,दूर से इन्हें प्रणाम करो ,
खुला खेल फर्रुखाबादी ,इसका भी सम्मान करो .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
रविवार, 4 नवम्बर 2012
खुला खेल फर्रुखाबादी (लम्बी कविता :डॉ .वागीश मेहता )
यही होगा इस देश में जब चुनोगे-
ReplyDeleteइलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
सही बात....
बहुत ही बढ़ियाँ रचना....
:-)
kadvi sacchayee ka dastavej,sundar
ReplyDeleteक्या बात है कुंवर जी .... सुन्दर गज़ल...सामयिक कथ्य ..
ReplyDeleteकुँवर की दुआ आप सब के लिए है,
ReplyDeleteरहे घर में बरकत,मिटे तंगहाली .
अब तो दीये के साथ-साथ दया और दुआ की भी जरूरत है।
wah re tanghaaali:)
ReplyDeleteयही होगा इस देश में जब चुनोगे-
ReplyDeleteइलेक्शन में हर बार गुंडे-मवाली .
....बिल्कुल सच...
मियाँ , गैस ने तो नरक कर दिया है,
ReplyDeleteकई घर में देखो सिलिंडर है खाली .
आजके हालात पर सुंदर कटाक्ष करती है यह नज़्म.
बहुत जबरदस्त कटाक्ष यही होगा जब गुंडे मवालियों को वोट देंगे भुगतना तो पड़ेगा ही इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई कुसुमेश जी
ReplyDeleteइस दीवाली पर देश की तस्वीर खिंच दी...गैस और मंहगाई तो मूल समस्या से ध्यान भटकने के लिए है...बहुत खूब...
ReplyDeleteकुंवर जी करारा कटाक्ष आज के नेताओं पर ,सामयिक भी है ,सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteसुंदर रचना!!
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
वक्त की नब्ज़ पर हाथ रखती इस रचना के लिए बधाई कुसुमेश जी।
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