तारों के पीछे
कुँवर कुसुमेश
छिपी है शै कोई तारों के पीछे,
ख़ुदा होगा चमत्कारों के पीछे.
मेरे महबूब तू गुम हो गया है,
सुकूने-दिल है दीदारों के पीछे,
सुना है डॉक्टर हड़ताल पर हैं,
खड़ी है मौत बीमारों के पीछे.
खबर सच्ची नहीं मिल पा रही है,
है कोई हाथ अखबारों के पीछे.
हमेशा प्यार से हिल मिल के रहना,
यही पैग़ाम त्योहारों के पीछे.
तेरे अपने 'कुँवर' दुश्मन हैं तो क्या,
चला चल तू इन्हीं यारों के पीछे.
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शै=चीज़, दीदार=दर्शन,
सुकूने-दिल=दिल का सुकून.