Sunday, January 29, 2012

सज़्दा ख़ुदा के सामने करना फुज़ूल है.......


कुँवर कुसुमेश 

ऐसा नहीं कि रस्मे-मुहब्बत नहीं रही.
दुनिया में सिर्फ आज शराफ़त नहीं रही.

तुमने तो बेहिसाब मुझे दी है गालियाँ,
मैं भी वो गालियाँ दूं ये आदत नहीं रही.

सज़्दा ख़ुदा के सामने करना फुज़ूल है,
मन में तुम्हारे साफ़ जो नीयत नहीं रही.

दो वक़्त की नसीब हों बच्चों को रोटियाँ,
ऐसी किसी ग़रीब की क़िस्मत नहीं रही.

बेकार हो गया है वफ़ा का वजूद भी,
हर्फ़े-वफ़ा में अब कोई ताक़त नहीं रही.

देखा न एक बार पलट करके भी 'कुँवर'
गोया ख़ुदा को वाक़ई फुरसत नहीं रही.
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शब्दार्थ:-
 रस्मे-मुहब्बत =मुहब्बत की रस्म,
हर्फ़े-वफ़ा=वफ़ा शब्द 

Saturday, January 14, 2012

ज़हरीली गैसें (दोहे)




कुँवर कुसुमेश 

ज़हरीली गैसें करें,निर्मित हॉउस-ग्रीन.
उदृत होता जा रहा,ये भी तथ्य नवीन.

निकले वाहन धुएं से,सल्फर,लेड,बेंज़ीन.
रोग कैंसर के प्रमुख,कारक हैं ये तीन.

सी ओ टू के स्रोत हैं,बड़े-बड़े उद्योग.
मानव में पैदा करें,स्वांस नली के रोग.

खनिज स्रोत से निकलती,एस ओ टू, मीथेन.
तेजाबी बरसात है,इन दोनों की देन.

उगल रहे काला धुवाँ,पेट्रोलियम पदार्थ.
सब कुछ स्वाहा उक्ति को,करें न ये चरितार्थ.

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बेंज़ीन.-C6H6,सी ओ टू -CO2
एस ओ टू-SO2,मीथेन-CH4