Sunday, October 23, 2011

दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर




कुँवर कुसुमेश 

दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर.
अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर.

अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात.
याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात.

घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश.
पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश.

दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज.
खूब पटाखे दागिये,धाँय धाँय आवाज़.

यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि.
दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि.
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शब्दार्थ: नूर=प्रकाश 

Saturday, October 8, 2011


नाभिकीय अस्त्र-शस्त्र पर दोहे
कुँवर कुसुमेश 

वैज्ञानिक उपलब्धियाँ,नई नई नित खोज.
नये नये युद्धास्त्र को,जन्म दे रहे रोज़.

नित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
मानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .

भारत की भी हो गई,नाभिकीय पहचान.
एटम-बम का हो गया,जब से अनुसंधान.

परम आणविक शक्ति का,कुछ हैं पहने ताज.
खतरों को कैसे करें,मगर नज़रअंदाज़.

एटम-बम का हो गया,जब से प्रादुर्भाव.
सी.टी.बी.टी. के लिए,पड़ने लगा दबाव.

करें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
इनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
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सी.टी.बी.टी. - comprehensive Test Ban Treaty