Sunday, December 2, 2012



-कुँवर कुसुमेश 


कुछ दिन ही इस साल के,सिर्फ रह गए शेष।

मँहगाई  हावी रही,बदल बदल कर भेष।।

बदल बदल कर भेष,जिंदगी नरक बना दी।

और गैस की किल्लत,ने तो धूम मचा दी।।

इसके कारण हुआ, है जीना नामुमकिन ही।

झेलो जी यह साल,बचे हैं अब कुछ दिन ही।।  

*****

26 comments:

  1. बहुत खूब सुंदर अभिव्यक्ति,,,बधाई ,,,,

    recent post : तड़प,,,

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  2. बहुत बढ़िया आदरणीय ||

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  3. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 03-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1082 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. बदल बदल कर भेष,जिंदगी नरक बना दी।
    bilkul sahi kaha aapne .ek aam bhartiy ke man kee sabhi baten bakhoobhi kahin hain .sarthak bhavabhivyakti.

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  5. साल के बाद भी कहाँ कुछ बदलने वाला है .... सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. बहुत खूब .आभार -ये ब्लॉग अच्छा लगा.. PLEASE SEE AND SHARE YOUR VIEWS WITH US .

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  7. हमने समय को बांटा है साल और महीनो ,दिनों में
    पर महंगाई ने तो समय दर समय बढ़ना सिख लिया है ... बहुत खूब

    आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।

    आभार!!

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  8. सब झेल ही रहे हैं...
    -अच्छी रचना !:)
    ~सादर!!!

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  9. Jab se hosh sambhala,mahangayi ko havee hee paya!

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  10. सरकार का आम आदमी है दोनों साथ साथ उठेंगे .

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  11. जैसे तैसे साल गुजर गया...नया साल शायद कुछ अच्छा लेकर आए

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । आपकी रचना मन को तरंगायित कर गई । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  13. साल नया होगा पर, दुश्वारियां पुरानी होंगी,
    आज भी झेल रहे हैं, कल भी झेलनी होगी ...
    सुंदर अभिव्यक्ति...

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  14. बहुत ही सुन्दर कुंडली |

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  15. झेलो जी यह साल,बचे हैं अब कुछ दिन ही।।
    हर साल झेलते ही आ रहे है :)

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  16. सारे साल का लेखा जोखा पेश कर दिया इन चंद लाइनों में.

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  17. पुरे बरस का लेखा जोखा लाभ हानि के साथ

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  18. पता नहीं इन कुछ दिनों में ओर क्या क्या मिलेगा सरकार से ...

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  19. यह साल सालता रहा है, साल भर !

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  20. संकल्प लो 2014 में चर्च के एजेंट दिखाई न दें सत्ता गलियारों में भले दिन चार बचे हैं 2012 के .

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  21. संकल्प लो 2014 में चर्च के एजेंट दिखाई न दें सत्ता गलियारों में भले दिन चार बचे हैं 2012 के .

    आपकी आहट प्रतीक्षित है .राम राम भाई पर .आभार .बढ़िया दोहावली ,गजल का इंतज़ार जो कर दे हिन्दुस्तान का बेड़ा पार .

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  22. saamyik yatharth se avgat karatee sunder rachana..
    Abhaar

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  23. साल तो हर साल आते है और चले भी जाते है बस रह जाती है अच्ची बुरी यादें

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