दीपावली की मुबारकबाद के साथ एक ताज़ा ग़ज़ल
-कुँवर कुसुमेश
यक़ीनन रौशनी घर घर बहुत है।
उजालों में भी हाँ, तेवर बहुत है।
अँधेरा दूर करना है तो झांको,
अँधेरा आपके अंदर बहुत है।
बुराई से निपटने के लिए तो,
अकेला प्रेम का अक्षर बहुत है।
तुम्हें विश्वास हो अथवा नहीं हो,
ये दुनिया वाक़ई सुन्दर बहुत है।
भटकने लग गया है दिल तुम्हारा,
ये दिल लगता है यायावर बहुत है।
"कुँवर" मक्ते पे आ करके तो ठहरो,
कि तुमने कह दिया खुलकर बहुत है।
*****
शब्दार्थ:-यायावर-भटकने वाला,
अर्कान : मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन
वज़्न : I S S S I S S S I S S
नमूना बहर : तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ
बहर का नाम:बहरे-हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़
बहुत उम्दा गज़ल दीपावली पर।
ReplyDeleteदीपावली पर बेहतरीन ग़ज़ल का तोहफ़ा दिया है आपने...हर शेर नायाब है
ReplyDeleteदाद कबूल करें...
ReplyDeleteबहुत उम्दा.....हार्दिक शुभकामनायें