Thursday, August 13, 2015

मुक्तक कुँवर कुसुमेश के


  आँख में आँसू छुपे हैं शबनमी परिवेश के। 
वह क़लम क्या जो लिखे कविता बिना संदेश के। 
आपके है सामने इक मज्मुअः की शक्ल में,
देखिये कैसे लगे "मुक्तक कुँवर कुसुमेश के" ।
-कुँवर कुसुमेश  

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