Kunwar Kusumesh
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Thursday, August 13, 2015
मुक्तक कुँवर कुसुमेश के
आँख में आँसू छुपे हैं शबनमी परिवेश के।
वह क़लम क्या जो लिखे कविता बिना संदेश के।
आपके है सामने इक मज्मुअः की शक्ल में,
देखिये कैसे लगे "मुक्तक कुँवर कुसुमेश के" ।
-कुँवर कुसुमेश
3 comments:
अरुण चन्द्र रॉय
August 13, 2015 at 11:46 PM
badhiya muktak. bahut badhiya
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Onkar
August 15, 2015 at 7:08 AM
बहुत सुंदर
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रचना दीक्षित
August 23, 2015 at 12:35 AM
कुशुमेश जी बहुत बहुत मुबारक.
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badhiya muktak. bahut badhiya
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteकुशुमेश जी बहुत बहुत मुबारक.
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