तूफां के मुक़ाबिल अन्ना
कुँवर कुसुमेश
वाक़ई आज है तूफां के मुक़ाबिल अन्ना.
कल मगर देखना मिल जायेगी मंज़िल अन्ना.
जो लड़ाई में हैं इस दौर में शामिल अन्ना,
दौरे-मुश्किल नहीं उनके लिए मुश्किल अन्ना.
अम्न हो ,चैन हो भारत में इसी मक़सद से ,
खेलता जा रहा खतरों से है तिल-तिल अन्ना.
तैरने वाले तलातुम से नहीं घबराते,
तैरने वाले को मिल जाते हैं साहिल अन्ना.
आप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
नाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना.
जंग जन लोकपाल बिल का हमीं जीतेंगे.
हाँ,'कुँवर'करके दिखायेंगे ये हासिल अन्ना.
*****
तलातुम=बाढ़ , साहिल=किनारे
वर्तमान हालात के मद्देनज़र लिखी गई बहुत बढ़िया ग़ज़ल है यह।
ReplyDelete--
वन्देमातरम्।
Nice post .
ReplyDeleteबुख़ारी साहब का बयान इस्लाम के खि़लाफ़ है
दिल्ली का बुख़ारी ख़ानदान जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ाता है। नमाज़ अदा करना अच्छी बात है लेकिन नमाज़ सिखाती है ख़ुदा के सामने झुक जाना और लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना।
पहले सीनियर बुख़ारी और अब उनके सुपुत्र जी ऐसी बातें कहते हैं जिनसे लोग अगर पहले से भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों तो वे आपस में ही सिर टकराने लगें। इस्लाम के मर्कज़ मस्जिद से जुड़े होने के बाद लोग उनकी बात को भी इस्लामी ही समझने लगते हैं जबकि उनकी बात इस्लाम की शिक्षा के सरासर खि़लाफ़ है और ऐसा वह निजी हित के लिए करते हैं। यह पहले से ही हरेक उस आदमी को पता है जो इस्लाम को जानता है।
लोगों को इस्लाम का पता हो तो इस तरह के भटके हुए लोग क़ौम और बिरादराने वतन को गुमराह नहीं कर पाएंगे।
अन्ना एक अच्छी मुहिम लेकर चल रहे हैं और हम उनके साथ हैं। हम चाहते हैं कि परिवर्तन चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो लेकिन होना चाहिए।
हम कितनी ही कम देर के लिए क्यों न सही लेकिन मिलकर साथ चलना चाहिए।
हम सबका भला इसी में है और जो लोग इसे होते नहीं देखना चाहते वे न हिंदुओं का भला चाहते हैं और न ही मुसलमानों का।
इस तरह के मौक़ों पर ही यह बात पता चलती है कि धर्म की गद्दी पर वे लोग विराजमान हैं जो हमारे सांसदों की ही तरह भ्रष्ट हैं। आश्रमों के साथ मस्जिद और मदरसों में भी भ्रष्टाचार फैलाकर ये लोग बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं।
ये सारे भ्रष्टाचारी एक दूसरे के सगे हैं और एक दूसरे को मदद भी देते हैं।
अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर दिए गए अहमद बुख़ारी साहब के बयान से यही बात ज़ाहिर होती है।
ब्लॉगर्स मीट वीकली 5 में देखिए आपसी स्नेह और प्यार का माहौल।
और एक बिल्कुल नई पोस्ट भी आपके लिए अनोखी तकनीक के बारे में
ReplyDeleteआपकी जेब भर सकती है ‘हातिम ताई तकनीक‘ Hindi Blogging Guide (30)
अफ़सोस !! अन्ना बली का बकरा बनते नज़र आ रहे हैं. आंदोलन ग़लत हाथों में जा रहा है.
ReplyDeleteअम्न हो ,चैन हो भारत में इसी मक़सद से ,
ReplyDeleteखेलता जा रहा खतरों से है तिल-तिल अन्ना.
बहुत बढिया ग़ज़ल है कुसुमेश जी.
कुंवर साहब ...
ReplyDeleteअभी-अभी टीवी अर जो देखकर आया हूं, दिल भरा हुआ है। अगर अलग मूड में होता तो इसपर कुछ टिप्पणी देने के मूड में भी होता। पर संवेदनहीनता की हद पार कर गई सरकारी जुबान सुन कर मन बहुत खट्टा है।
अन्ना के साथ खड़ा होने का वक़्त और परीक्षा की घड़ी है यह।
परीक्षा गांधीवाद की।
परीक्षा धैर्य और अनुशासन की।
मनोज जी की बातों से सहमत हूँ.
ReplyDeleteकठिन परीक्षा का समय है.
आपकी प्रस्तुति अनुपम है.
शब्द नहीं हैं मेरे पास तारीफ़ करने के लिए.
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.
anupam prastuti.....!
ReplyDeletetu bhi ANNA main bhi ANNA !
ab to sara desh hai ANNA !!
अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteअम्न हो ,चैन हो भारत में इसी मक़सद से ,
ReplyDeleteखेलता जा रहा खतरों से है तिल-तिल अन्ना.
Anna ki ye mehnat khaali anhi jayegi....saara desh ek hokar ke ladega unke liye , apne liye, aur aane waali peedhiyon ke liye.
badhiya ghazal sir....
बेहतरीन गज़ल है कुसुमेश जी ! लेकिन सरकारी टीम जैसी पैंतरेबाज़ी खेल रही है आसार अच्छे नहीं दिखाई दे रहे ! माथे पर चिंता की सलवटें गहराती जा रही हैं ! आपकी हमारी समस्त जनता की मंगलकामनाएं सफल हों यही दुआ है !
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
देश कठिन दौर से गुजर रहा है |अच्छे भाव लिए हुए सुनदर रचना बधाई हो
ReplyDeleteआपके आक्रोश ने राष्ट्रीयता के बीज बोना शुरू कर दिया है.यह कार्य तो ऐसा है कि जितना भी धिक्कारा जाए कम है
ReplyDeleteआपकी विचार से पूर्णत: सहमत हूँ...आज देश मे बच्चे बच्चे की जुबान पर भ्रष्टाचार का जिकर है अब नियम क़ानून बनाने का समय गया, अब देश की जनता को अपनी रक्षा स्वयं करनी पड़ेगी हतियार उठाने पड़ेगा, अब लोगो को भगत सिंह, और चंद्रशेखर आज़ाद बनना पड़ेगा ......और एक एक करके इनको बम से उड़ाना पड़ेगा .....................बहुत बुरा समय आ गया है
इन अनसनों मे चाहे बाबा या अन्ना के खुद के कितने भी कथित स्वार्थ हो परंतु वो जिन मुद्दो की लड़ाई लड़ रहे है वो है तो आख़िर आम जनमानस की भलाई से जुड़े हुए... और किस सविधान मे लिखा है की राजनीति करने का अधिकार सिर्फ़ चंद लोगो को ही है.
एक अच्छे ब्लॉग के लिए धन्यवाद
आप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
ReplyDeleteनाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना.
He is indeed doing his best. Rest is divine will.
.
वाक़ई आज है तूफां के मुक़ाबिल अन्ना.
ReplyDeleteकल मगर देखना मिल जायेगी मंज़िल अन्ना.जय अन्ना !जय भारत !कुंवर कुसुमेश रुको नहीं बढे चलो ...
Wednesday, August 24, 2011
योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
ReplyDelete"एकदा "(नभाटा ,२४ अगस्त )में एक बोध कथा प्रकाशित हुई है "योग्य उत्तराधिकारी "ज़िक्र है राजा प्रसेनजित ने एक मर्तबा अपने पुत्रों की आज़माइश करने के लिए उन्हें खजाने से अपनी कोई भी एक मनपसंद चीज़ चुनने के लिए कहा .सभी पुत्रों ने अपनी पसंद की एक एक चीज़ चुन ली .लेकिन इनमे से एक राजकुमार ने महल के चबूतरे पर रखी "तुरही "अपने तैं चुनी .राजा प्रसेनजित ने आश्चर्य मिश्रित भाव से पूछा इस "रणभेरी "को तुमने वरीयता क्यों दी जबकी राजमहल में एक से बढ़के एक साज़ थे ."महाराज यह तुरही मुझे प्रजा से जोड़े रहेगी .हमारे बीच एक संवाद ,एक कनेक्टिविटी का सशक्त ज़रिया बनेगी .मेरे लिए सभी प्रजाजन यकसां प्रिय हैं .मैं चाहता हूँ मैं भी उनका चहेता बन रहूँ .परस्पर हम सुख दुःख बाँटें .मैं प्रजा के और प्रजा मेरे सुख दुःख में शरीक हो .राजा ने इसी राजकुमार को अपना उत्तराधिकारी बना दिया ।
स्वतंत्र भारत ऐसे ही सुयोग्य उत्तराधिकारी की तलाश में भटक रहा है ।
यहाँ कथित उत्तराधिकारी के ऊपर एक अमूर्त सत्ता है ,सुपर -पावर है जिसे "हाईकमान "कहतें हैं ।
तुरही जिसके पास है वह राम लीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठा हुआ है ।
प्रधानमन्त्री नाम का निरीह प्राणि सात सालों से बराबर छला जा रहा है .बात भी करता है तो ऐसा लगता है माफ़ी मांग रहा है .सारी सत्ता लोक तंत्र की इस अलोकतांत्रिक हाई कमान के पास है .प्रधान मंत्री दिखावे की तीहल से ज्यादा नहीं हैं .न बेचारे के कोई अनुगामी हैं न महत्वकांक्षा ,न राजनीतिक वजन .
यहाँ बारहा ऐसा ही हुआ है ,जिसने भी सुयोग्य राजकुमार बनने की कोशिश की उसके पैर के नीचे की लाल जाज़म खींच ली गई .बेचारे लाल बहादुर शाश्त्री तो इसी गम में चल भी बसे. ये ही वो शक्श थे जिन्होनें पाकिस्तान के दांत १९६५ में तोड़ दिए थे ।
ब्लडी हाई -कमान ने शाश्त्री जी को ही उस मुल्क का मेक्सिलोफेशियल सर्जन बनने के लिए विवश किया .कभी सिंडिकेट कभी इन्दिकेट .इंदिरा जी ने खुला खेल फरुख्खाबादी खेला . जाज़म विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के नीछे से भी खींचा गया .महज़ हाईकमान रूपा पात्र -पात्राएं,पार्टियां बदलतीं रहीं .अटल जी अपने हुनर से सबको साथ लेने की प्रवृत्ति से पक्ष -विपक्ष को यकसां ,बचे रहे .चन्द्र शेखर जी का भी यही हश्र हुआ .आज खेला इटली से चल रहा है .बड़ा भारी रिमोट है .सात समुन्दर पार से भी असर बनाए हुए है .सुयोग्य उत्तराधिकार को नचाये हुए है .
आप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
ReplyDeleteनाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना.
बहुत अच्छी गज़ल ... सरकार की नीयत साफ़ नहीं है ... वो आम आदमी की बात को नहीं समझ पा रही .. सत्तारूढ़ हो कर सांसद समझ रहे हैं कि यह देश उनकी मिलकियत है ... आने वाला वक्त सबका हिसाब करेगा ..इसी उम्मीद पर ..
बहरों को नहीं सुनाई देता शान्ति से कुछ भी
अब तो एक भगत सिंह भी चाहिए न अन्ना ..
Asha karta hoon Jan-Lokpa humaari ummid per khara utre aur hum sub isi tarah Curroption ke khillaf ladai jaari rakhen....
ReplyDeleteवाक़ई बेहतरीन गज़ल है कुसुमेश जी,अच्छे भाव लिए हुए बढ़िया ग़ज़ल ,बधाई हो !
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश
ReplyDeleteवाक़ई आज है तूफां के मुक़ाबिल अन्ना.
कल मगर देखना मिल जायेगी मंज़िल अन्ना.
जो लड़ाई में हैं इस दौर में शामिल अन्ना,
दौरे-मुश्किल नहीं उनके लिए मुश्किल अन्ना.
अम्न हो ,चैन हो भारत में इसी मक़सद से ,
खेलता जा रहा खतरों से है तिल-तिल अन्ना.
तैरने वाले तलातुम से नहीं घबराते,
तैरने वाले को मिल जाते हैं साहिल अन्ना.
आप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
नाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना.
जंग जन लोकपाल बिल का हमीं जीतेंगे.
हाँ,'कुँवर'करके दिखायेंगे ये हासिल अन्ना.इस ग़ज़ल का हर अलफ़ाज़ ,हर अशआर ,हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना .
देख इस देश की हालत
ReplyDeleteहर कोई रो रहा
लड़ने को भ्रष्टाचार से
आज हर कोई अन्ना
खुद को बोल रहा है
आज के हालात पर आपकी ये खूबसूरत गज़ल आपकी मनोस्थिति, जो बहुत सारे भारतवासियों की मनोस्थिति है, को बयाँ करती है.
ReplyDeletenai prerna deti gazal achhi lagi... kranti se swar mukhar hain is gazal me
ReplyDeleteबेहतरीन गज़ल है कुसुमेश जी !
ReplyDeleteशुक्रवार --चर्चा मंच :
ReplyDeleteचर्चा में खर्चा नहीं, घूमो चर्चा - मंच ||
रचना प्यारी आपकी, परखें प्यारे पञ्च ||
सार्थक और प्रासंगिक गजल लिख डाला .....आज जन -जन की यही आवाज है
ReplyDeleteवर्तमान हालात पर लिखी गई बहुत सुन्दर रचना... आभार...
ReplyDeleteतैरने वाले तलातुम से नहीं घबराते,
ReplyDeleteतैरने वाले को मिल जाते हैं साहिल अन्ना
अन्ना बैठा भूखा प्यासा, दावतें वो उड़ा रहे हैं
बहुत सुन्दर गज़ल है भईया...
जन लोकपाल का जंग भारत ही जीते... आमीन....
सादर...
bahut pavitr bhav ki gazal.
ReplyDeleteishwar aisa hi kare .
sunder shashkt rachna..
ReplyDeleteसच कहा है ... सब साथ रहेंगे तो अन्ना जरूर सफल होंगे ... लाजवाब गज़ल है आपकी ...
ReplyDeleteआप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
ReplyDeleteनाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना।
सचमुच अन्ना जी इस दौर के गांधी हैं।
सामयिक और उत्तम प्रस्तुति।
shaandar gazal
ReplyDeleteबेहतरीन शेर....बेहतरीन ग़ज़ल ....
ReplyDelete"आप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
ReplyDeleteनाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना."
वाकई सर,सामयिकता से भरपूर आपकी ये गजल एक ऐतिहासिक दस्तवेज के मानिंद है जो आनेवाली पीढ़ियों के लिए सदा इस दौर का आइना बनकर रहेगी.अत्यंत उत्साहवर्धक
वाक़ई आज है तूफां के मुक़ाबिल अन्ना.
ReplyDeleteकल मगर देखना मिल जायेगी मंज़िल अन्ना.
जो लड़ाई में हैं इस दौर में शामिल अन्ना,
दौरे-मुश्किल नहीं उनके लिए मुश्किल अन्ना
बेहतरीन गज़ल है,
आभार
Fantastically written..
ReplyDeletePower packed n very witty !!
सुन्दर भावप्रवण पंक्तियां
ReplyDeleteश्रेष्ठ रचनाओं में से एक ||
ReplyDeleteबधाई ||
पहली बार इन कांग्रेसियों को इनके ही हथियार से मारने कोई आया है
ReplyDeleteजिसकी शक्ल और सोच मे राष्ट्रपिता का साया है
महिनी से वर्तमान हालत का सुन्दर व सटीक चित्रण करना आपकी खासियत है.बेहद उम्दा गजल.
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteअन्ना के रदीफ़ काफ़िये में एक अच्छी गज़ल बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक और समसामयिक गज़ल्।
ReplyDeleteआप इस दौर के गाँधी है ,यकीं होता है,
ReplyDeleteनाज़ करता है तेरे नाम पे ये दिल अन्ना.
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...आभार
अम्न हो ,चैन हो भारत में इसी मक़सद से ,
ReplyDeleteखेलता जा रहा खतरों से है तिल-तिल अन्ना.
Is samvedana rahit sarkar ke chalte ye khatara jan lewa na ban jaye. mai Anna ji ke sath hoon. Unke liye lakhon karodon shubh kamnaen.
बहुत अच्छी गज़ल
ReplyDeleteसामयिक और उत्तम प्रस्तुति।
हमारे माननीयों को आज पहला सबक मिल गया...संसद में जब जनता की बात नहीं रक्खी जाएगी तो संसद को चुनौती मिलेगी...आज अन्ना का अनशन ख़त्म हुआ...सभी को हार्दिक बधाइयाँ...
ReplyDeletebahut khoob..jai hind
ReplyDeleteसमसामयिक ग़ज़ल के द्वारा आप ने अपने विचारों को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया है
ReplyDeletebahut achchi ghazal padhi. aaj hi vaapas aai hoon.Anna ji ko safalta aaj hi milegi.meri yaatra bhi safal rahi.aaj safalta doguni ho jaayegi.
ReplyDeleteसच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल! उम्दा प्रस्तुती !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (६) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हिंदी के सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना हैं /आज सोमबार को आपब्लोगर्स मीट वीकली
ReplyDeleteके मंच पर आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /
सामयिक और उत्तम प्रस्तुति। ...........
ReplyDeleteजीत गये जी, मुबारक हो।
ReplyDelete------
कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
फेसबुक पर वक्त की बर्बादी से बचने का तरीका।
उत्तम रचना...
ReplyDelete