धागों पे ऐतबार ही राखी है
कुँवर कुसुमेश
धागों पे ऐतबार ही राखी है दोस्तो.
भाई-बहन का प्यार ही राखी है दोस्तो.
हीरे-जवाहरात नहीं, मालो-ज़र नहीं,
रेशम का तार-तार ही राखी है दोस्तो.
वक्ते-सुबह कलाई में राखी का बांधना.
लम्हा ये खुशगवार ही राखी है दोस्तो.
इसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
रिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
हर इक बहन पे जान निछावर हो भाई की,
दौलत ये बेशुमार ही राखी है दोस्तो.
आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
भाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो.
*****
वक्ते-सुबह=सुबह के वक़्त,निहाँ=छुपा हुआ.
अहदे-हिफ़ाज़त=सुरक्षा की प्रतिज्ञा.
भाई बहन के प्यार को बहुत खुबसूरत से रचना में रचा है आपने.. बहुत ही सुन्दर...
ReplyDeleteइसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
बहुत खूबसूरत गज़ल कही सर राखी पर...
राखी पर्व की आपको सपरिवार सादर बधाईया...
भाई बहन के रिश्ते की पवित्रता को राखी के तारों के माध्यम से बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने बयान किया है आपने अपनी गज़ल में ! इस शुभ अवसर पर आपको ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteनहीं, मेरा हाथ हमेशा खाली ही रहता है।
ReplyDeleteएक एक शे’र में राखी जैसे पवित्र पर्व के पूरे अर्थ, महत्व और खासियत को आपने इतने सुंदर तरीक़े से पिरो दिया है कि वह शब्दों में मेरे लिए बयान करना मुश्किल है। बस पढ़े जा रहा हूं और खुश हो रहा हूं।
ReplyDeleteसादर प्रणाम .
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है आपने ...........
आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
भाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो.
हीरे-जवाहरात नहीं, मालो-ज़र नहीं,
ReplyDeleteरेशम का तार-तार ही राखी है दोस्तो.
Bahut Sunder....
rakhi ke uplakshya me acchi rachna aabhar
ReplyDeleteराखी के पर्व को परिभाषित करती सुंदर गजल बधाई भाई कुसमेश जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने राखी के धागों पे!
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर। आपको रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete------
डायनासोरों की दुनिया
ये है ब्लॉग समीक्षा की 28वीं कड़ी!
इसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो।
राखी की महिमा का वर्णन करती बहुत अच्छी ग़ज़ल।
इससे पहले राखी पर ग़ज़ल नहीं पढ़ी।
pyaar aur vishwaas ye rakhi hai
ReplyDeleteभाई बहन के पावन रिश्ते को
ReplyDeleteइक साहित्यिक परिभाषा में बाँध कर
बहुत अनुपम तोहफा दिया हम सब को ....
मुबारकबाद .
bhai behan ke pawan riste ko samarpit rachna...
ReplyDeletebadhai
इसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
वाह, वाह ! कुसुमेश जी,राखी की मर्यादा को बड़े ही खूबसूरत शब्दों मे आपने पिरोया है ! हमेशा की तरह बेहतरीन ग़ज़ल !
आभार !
राखी भाई बहन के अटूट प्यार का प्रतीक है! आपने इस पवित्र पर्व को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है! राखी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
raksha bandhan ke mauke par shaandar rachna......dhanyawaad
ReplyDeletehttp://aarambhan.blogspot.com/2011/08/blog-post_12.html
रक्षा बंधन पर इतनी सुन्दर रचना... अप्रतिम...
ReplyDelete"आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
ReplyDeleteभाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो."
इस गजल के माध्यम से आपने तो भाई-बहन के संबंधों की व्याख्या ही कर दी,सर.खासकर ऊपर की पंक्तियाँ मन को छू गई.
वक्ते-सुबह कलाई में राखी का बांधना.
ReplyDeleteलम्हा ये खुशगवार ही राखी है दोस्तो.
इसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
रिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
इस बेहतरीन रचना के लिये बधाई के साथ स्नेहिन पर्व की शुभकामनाएं ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteराखी के भावों को बहुत खूबसूरत लफ़्ज़ों में बंधा है .. खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteइसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
वाह...राखी के पावन पर्व पर निहायत खूबसूरत ग़ज़ल...
नीरज
धागों पे ऐतबार ही राखी है दोस्तो.
ReplyDeleteभाई-बहन का प्यार ही राखी है दोस्तो.
वाह राखी की बहुत सुन्दर और गहन प्रस्तुति…………सारा सार राखी के अर्थो का पहले शेर मे ही समा गया है।
खूबसूरत गज़ल कही सर राखी पर...बहुत सुन्दर प्रस्तुति....कुंवर जी
ReplyDeleteफिर फिर कहना पड़ेगा ... लाजबाव
ReplyDeleteबहुत खूब ........प्यारे से रिश्ते को समर्पित बेहतरीन गजल
ReplyDeleteराखी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, एतदसम्बन्धित आपकी प्रस्तुत ग़ज़ल का ज़वाब नहीं कुंवर साहब
ReplyDeleteकल हलचल पर आपके पोस्ट की चर्चा है |कृपया अवश्य पधारें.....!!
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना है।
ReplyDeleteधागों पे ऐतबार ही राखी है दोस्तो.
ReplyDeleteभाई-बहन का प्यार ही राखी है दोस्तो
बहुत खूब कहा है आपने
बहुत हि शानदार पस्तुति
ReplyDeleteचलो मेरा लिखा मत पढ़ो,
आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
ReplyDeleteभाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो.
....भाई बहिन के निश्छल प्रेम की एक सशक्त अभिव्यक्ति...
हीरे-जवाहरात नहीं, मालो-ज़र नहीं,
ReplyDeleteरेशम का तार-तार ही राखी है दोस्तो.
वाह ! बहुत ही प्यारी ग़ज़ल
Rakshabandhan ke mauqe par ek shreshth rachna. badhai ho.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारगर्भित रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
सुँदर रचना . श्रावणी की अगणित शुभकामनाये .
ReplyDeleteइसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो....rakhi ke tyohar pe ek umda rachana....kabhi mere yahan hi aayen kunwar ji...apaka hardik swagat hai...
Nice poem .
ReplyDeleteहमारी शांति, हमारा विकास और हमारी सुरक्षा आपस में एक दूसरे पर शक करने में नहीं है बल्कि एक दूसरे पर विश्वास करने में है।
राखी का त्यौहार भाई के प्रति बहन के इसी विश्वास को दर्शाता है।
भाई को भी अपनी बहन पर विश्वास होता है कि वह भी अपने भाई के विश्वास को भंग करने वाला कोई काम नहीं करेगी।
यह विश्वास ही हमारी पूंजी है।
यही विश्वास इंसान को इंसान से और इंसान को ख़ुदा से, ईश्वर से जोड़ता है।
जो तोड़ता है वह शैतान है। यही उसकी पहचान है। त्यौहारों के रूप को विकृत करना भी इसी का काम है। शैतान दिमाग़ लोग त्यौहारों को आडंबर में इसीलिए बदल देते हैं ताकि सभी लोग आपस में ढंग से जुड़ न पाएं क्योंकि जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उसी दिन ज़मीन से शैतानियत का राज ख़त्म हो जाएगा।
इसी शैतान से बहनों को ख़तरा होता है और ये राक्षस और शैतान अपने विचार और कर्म से होते हैं लेकिन शक्ल-सूरत से इंसान ही होते हैं।
राखी का त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हमारे दरम्यान ऐसे शैतान भी मौजूद हैं जिनसे हमारी बहनों की मर्यादा को ख़तरा है।
बहनों के लिए एक सुरक्षित समाज का निर्माण ही हम सब भाईयों की असल ज़िम्मेदारी है, हम सभी भाईयों की, हम चाहे किसी भी वर्ग से क्यों न हों ?
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा हमें यही याद दिलाता है।
रक्षाबंधन के पर्व पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं...
देखिये
हुमायूं और रानी कर्मावती का क़िस्सा और राखी का मर्म
आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
ReplyDeleteभाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो.कुंवर साहब बेहद खूबसूरत भाव और एहसास के अलफ़ाज़ औ अशआर हैं ये अंदाज़ आपके ,मन प्रसन्न हुआ पढ़कर .
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteसादर
वाह। बेहद खुबसुरत भावाभिव्यक्ति। राखी की शुभकामनाए।
ReplyDeleteसुन्दर कविता..राखी के मान को बढाती हुई...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत
ReplyDeleteआज का आगरा ,भारतीय नारी,हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल , ब्लॉग की ख़बरें, और एक्टिवे लाइफ ब्लॉग की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
सवाई सिंह राजपुरोहित आगरा
आप सब ब्लॉगर भाई बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई / शुभकामनाएं
बहुत अच्छी कविता...
ReplyDeleteराखी पर्व की आपको सपरिवार सादर शुभकामनाएं...
सुन्दर!!
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें
हर इक बहन पे जान निछावर हो भाई की,
ReplyDeleteदौलत ये बेशुमार ही राखी है दोस्तो.
Bahut sundar rachana!
Swatantrata Diwas kee anek mangal kamnayen!
आँखें बिछी हों भाई की राहों में तो 'कुँवर'
ReplyDeleteभाई का इंतज़ार ही राखी है दोस्तो.
सुंदर गज़ल कही है रक्षाबंधन के मौके पर. आपकी ग़ज़लों का अलग ही अंदाज है जो दिल को छू जाता है.
स्वंतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें.
शुक्रिया कुंवर कुसुमेश जी इस मौजू बंदिश पर .
ReplyDeleteसाल गिरह मुबारक यौमे आज़ादी की ।
http://veerubhai1947.blogspot.com/
रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
राखी पर इतनी उम्दा ग़ज़ल पढ़ कर मज़ा आ गया...
ReplyDeletegazal vah bhi rakhi par , bahut khub, badhai
ReplyDeleteइसमें निहाँ है अहदे-हिफ़ाज़त का फ़लसफ़ा,
ReplyDeleteरिश्तों का ये सिंगार ही राखी है दोस्तो.
राखी का महत्व बहुत जुदा अंदाज़ में ब्यान करने का शुक्रिया |
भाई जान मैंने भी कभी लिखा था
न रिश्ता बदनाम हो, न लागे कोई ऊज |
इसी लिए मशहूर है, जग में भैय्या दूज ||
bhaav bhari umda gazal...
ReplyDeleteहर इक बहन पे जान निछावर हो भाई की,
ReplyDeleteदौलत ये बेशुमार ही राखी है दोस्तो...
राखी के मौके पे कमाल की गज़ल है कुंवर जी ... मज़ा आ गया बधाई ...