नाभिकीय अस्त्र-शस्त्र पर दोहे
कुँवर कुसुमेश
वैज्ञानिक उपलब्धियाँ,नई नई नित खोज.
नये नये युद्धास्त्र को,जन्म दे रहे रोज़.
नित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
मानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .
भारत की भी हो गई,नाभिकीय पहचान.
एटम-बम का हो गया,जब से अनुसंधान.
परम आणविक शक्ति का,कुछ हैं पहने ताज.
खतरों को कैसे करें,मगर नज़रअंदाज़.
एटम-बम का हो गया,जब से प्रादुर्भाव.
सी.टी.बी.टी. के लिए,पड़ने लगा दबाव.
करें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
इनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
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सी.टी.बी.टी. - comprehensive Test Ban Treaty
शस्त्र बनते हैं तो कभी चल भी जाते हैं. आपका नज़रिया मानवीय है.
ReplyDeleteभारत की नाभिकीय पहचान के लिए हम सभी को मुबारकबाद ...........पर हम सब इसी खतरे पर विराजमान है
ReplyDeleteमानव को चेताते हुए सार्थक दोहोँ के लिए आभार वाबू जी।
ReplyDeletesab apni apni nazar se dekhte hain :)
ReplyDelete"परम आणविक शक्ति का,कुछ हैं पहने ताज.
ReplyDeleteखतरों को कैसे करें,मगर नज़रअंदाज़."
करें कैसें नज़र अंदाज़,'देश' निभाये अपना धरम।
कहीं गिर न जाये "गाज" उद्देश्य देश रक्षा पर॥………बहुत सुंदर रचना …बधाई।
सच्चे सारे तर्क हैं, सच्चे हैं जज्बात|
ReplyDeleteहथियारों की होड में, लगे सभी दिन रात||
अत्यंत सार्थक दोहे हैं सर,
सादर बधाई...
बेहतरीन पर्यावरणी वैज्ञानिक दोहे .
ReplyDeleteये तेजाबी बारिशें ,बिजली घर की राख ,
एक दिन होगा भूपटल वार्नावर्त की लाख .
achhe dohe
ReplyDeleteनाभिकीय अस्त्र एक तरह से शांती की गारंटी ही है बरहलाल अच्छी विज्ञान कविता बन पड़ी है
ReplyDeleteकरें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
ReplyDeleteइनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
आपकी चिंता सही है अच्छे दोहे सार्थक पोस्ट आभार ......
अपनी तबाही का सामान
ReplyDeleteखुद बना बैठा है इंसान
सुंदर ।
फुर्सत के कुछ लम्हे--
ReplyDeleteरविवार चर्चा-मंच पर |
अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुति के साथ,
आइये करिए यह सफ़र ||
चर्चा मंच - 662
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुंदर रचना,सार्थक दोहे...…बधाई।
ReplyDeleteइसी एटमी शक्ति को, अगर सकें पहिचान,
ReplyDeleteउर्जा का भंडार यह, बन जाए वरदान।
भविष्य के लिए चेतावनी देते हुए सार्थक दोहे ..
ReplyDeleteकहां-कहां तक आपकी काव्य दृष्टि चली जाती है। हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि इस विषय पर इतनी प्रभवशाली रचना वह भी दोहे के रूप में हो सकती है। आपने तो इसके सारे आयामों को समेट लिया है।
ReplyDeleteआभार इस लाजवाब प्रस्तुति के लिए।
मानव को चेताते हुए सार्थक दोहोँ के लिए आभार|
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteभविष्य के प्रति सचेत करती हुई.
आभार.
भविष्य के प्रति सचेत करते एक से बढकर एक शानदार दोहे।
ReplyDeleteविषय नूतन
ReplyDeleteविधा पुरातन
हमारी ज़िन्दगी में साधारणतन नज़रंदाज़ किये जाने वाले विषय को आपने उठाया है..
ReplyDeleteएक तरफ लड़ाई की तैयारी है और दूसरी ओर वार्त्ता? क्या विडंबनात्मक बात है!
शब्दश : सुन्दर लिखा है..
ReplyDeleteअस्त्रों पर भी दोहे वाह
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
करें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
ReplyDeleteइनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
Prabhavit Karati Panktiyan.....
करें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
ReplyDeleteइनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
सारी परेशानी बस यहीं से शुरू होती है...!!
इन वैज्ञानिक दोहों के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete------
एक यादगार सम्मेलन...
...तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
या तो हम युद्ध करते हैं या फिर युद्ध की तैयारी और कुछ नहीं ...बहुत अच्छे दोहे
ReplyDeleteसामयिक दोहे सुन्दर हैं , अहसास करा रहे हैं अपने स्थान का ....सुखद / शुक्रिया जी /
ReplyDeleteबिल्कुल सही लिखा है आपने! सटीक पंक्तियाँ! बेहतरीन रचना
ReplyDeletehamne apni dharti per hi nahi antariksha me bhi jakar pradoosan failaya hai.
ReplyDeleteprakriti hame kabhi maaf nahi karegi.
दोहों के लिए नए विषय का चुनाव बहुत ही अच्छा है |भाई आभार
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसजग करते अत्यंत सार्थक दोहे......अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर,सटीक एवं सार्थक दोहे
ReplyDeleteभारत की भी हो गई,नाभिकीय पहचान.
ReplyDeleteएटम-बम का हो गया,जब से अनुसंधान.
परम आणविक शक्ति का,कुछ हैं पहने ताज.
खतरों को कैसे करें,मगर नज़रअंदाज़...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! शानदार एवं सार्थक दोहे!
नाभिकीय अस्त्र-शस्त्र पर इतने कसे हुए दोहे..! वाह, क्या बात है!!
ReplyDeleteइस जटिल विषय पर इतने सुन्दर दोहे ? ..अद्भुत !
ReplyDeleteनित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
ReplyDeleteमानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .
...बहुत खूब..इतने कठिन वैज्ञानिक विषय पर भी लाज़वाब दोहे...
सुंदर और सार्थक दोहे
ReplyDeleteअनूठी रचना के लिए बधाई !
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeletebahut abahut hi achhi lagi aapki yah prastuti .
bilkul sateek chitran kiya hai aapne. sabhi dohe bahut hi sundar lage .aapne itne achhe dohe likhe hain ki abhi unhe fir se padhungi.vishay bhi aapne bahut hi jabardast uthaya hai.
bahut bahut badhai is addhbhut rachna ke liye aapko-----.
poonam
सुन्दर ,सराहनीय रचना , बधाई
ReplyDeletesunder bhavishye ke liye rachnatmak prastuti
ReplyDeleteपरमाणु उपलब्धियों की विभीषिका का सजीव चित्रण है आपके इन दोहों में !
ReplyDeleteमन में यह प्रश्न बरबस ही उठता है क्या हमारी पीढियां इसे झेल पाएंगी !
आभार !
सार्थक दोहे ......
ReplyDeleteनित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
ReplyDeleteमानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .
सार्थक चिंतन करते दोहे ... ऐसा विषय जिस पर काव्य लिखना दूभर है ..आपने सहजता से लिखा है ...
परमाणु के विध्वंसक कार्यों में लगे वैज्ञानिक यदि कवि-हृदय हो सकें,कभी इसकी विभीषिका से बचना संभव।
ReplyDeletebahut badhiya aur sartahk rachna ke liye aapko badhai.bahut hi typucal hota hai aise shirshak pe likhna per aapne to apni sarthakta hi sidd ker di bahut bahut badhai.........
ReplyDeleteसार्थक दोहे!
ReplyDeleteकरें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश|
ReplyDeleteइनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश ||
above all.
Impeccable lines..
ReplyDeleteLoved all of it :)
सिर्फ अपना प्रभुत्व दिखाने कि होड़ में इंसान ऐसे-ऐसे शोध कर रहा है जो मानव जाति को विध्वंस कि ओर ले जाते हैं...
ReplyDeleteसत्य वचन,
ReplyDeleteसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
नित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
ReplyDeleteमानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .
sahee
antim doha bhi bahut saarthak kaha hai....
parmanu kuchh aisa ghatak aawishkar hai jo is roop me kabhi hona hi nahi chahiye tha..yadyapi isko upyogita hai parantu dushparinaam ghatak hain.....
aasha hai ek shaanti purn wishw ka nirmaan hoga....
आपके विषय चयन की और उस पर इतने सार्थक सृजन की दाद देनी पड़ेगी ! दोहों के माध्यम से आपने इन नाभिकीय परीक्षणों से पैदा होने वाले खतरों और पर्यावरण प्रदूषण के प्रति बखूबी सचेत किया है ! आपको बहुत बहुत साधुवाद !
ReplyDeleteबहुत ही सामयिक पोस्ट ।धन्यवाद ।
ReplyDeleteलफ़्ज़ों-लफ़्ज़ों हो रहे ज़ाहिर सब हालात
ReplyDeleteहै जितनी संजीदगी उतनी सच्ची बात
वाह-वा !
कुंवर साहब बहुत खूब !!
sunder dohe...
ReplyDeleteबड़े सुन्दर दोहे रचे आपने.
ReplyDeleteसभी देश जितना परिश्रम और धन हथियारों के निर्माण और विकाश पर खर्च कर रहें है, अगर उसका आधा भी जन-कल्याण पर खर्च हो तो दुनिया में कोई भूखा न सोये...आपने प्रेरक विचार बांटे है, शुक्रिया.
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें, स्वागत है
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
ये तो मिसाइलें दाग दी हैं कुशुमेश जी. हरेक दोहा प्रभावशाली है.
ReplyDeleteApne to kavita bhi achhi likhi aur sachet bhi kar diya..
ReplyDeleteशस्त्रों पर दोहे सभी उत्तम, कवि कुसुमेश
ReplyDeleteसचमुच शस्त्रों ने किया,दूषित यह परिवेश.
नागासाकी - हिरोशिमा का देखा अंजाम
किंतु शस्त्र-निर्माण पर लग ना सकी लगाम.
मानव ने विज्ञान का, किया गलत उपयोग
फिर न बचा सकता उसे कोई मंगल-योग.
वाह, क्या बात है!!
ReplyDeleteपरमाणु उपलब्धियों का सजीव चित्रण
जरूरी कार्यो के कारण करीब 15 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
नित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र.
ReplyDeleteमानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र .
good kavita n opinion.
कुंवर कुसुमेश जी! आपकी रचना पढ़ी बढ़िया....वाह...|
ReplyDelete१
बढिया रचना । हम करें तो हमारा कानून तुम करो तो तुमने तोडा ।
ReplyDeleteकरें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
ReplyDeleteइनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
करें परीक्षण आणविक,बड़े बड़े कुछ देश.
इनके कारण भी हुआ,दूषित भू परिवेश.
bahut achche dohe naye parikshan ke saath.bahut umda.
ReplyDeleteMeaningful creation Sir..
ReplyDeleteRegards..!
अनोखे विषयों को गज़ल के माध्यम से लिखना आसान नहीं होता कुंवर जी पर आपने इसको भी आसान कर दिया .. कमाल के शेर हैं सब ...
ReplyDeleteमेरे पास शब्द नही हैंिन नायाब दोहों की शान मे। सब ने बहुत कुछ कह दिया । बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteVery well written,,,I wrote a comment earlier too
ReplyDeletedint get published dunno why!
But very well written and expressed !
nice!!