हिंदी हिंदी चीखता,रहता पूरा देश.
हिंदीमय अब तक मगर,हुआ नहीं परिवेश.
हुआ नहीं परिवेश,दिखावा सब करते हैं.
अंग्रेजी पर लोग ,न जाने क्यों मरते हैं.
निज भाषा सम्मान,करो मत चिंदी चिंदी.
कभी न वरना माफ़,करेगी तुमको हिंदी.
-कुँवर कुसुमेश
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हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
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चिंदी चिंदी=टुकड़े टुकड़े
माफ करने लायक हैं भी नही ये अपमान । पर आशा हैं एक दिन हिन्दी की शरण सारा जगत लेगा ।
ReplyDeleteआभार ।
माफ करने लायक हैं भी नही ये अपमान । पर आशा हैं एक दिन हिन्दी की शरण सारा जगत लेगा ।
ReplyDeleteआभार ।
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteजो व्यक्ति अपने आँगन में लगे तुलसी के बिरवे को पानी नहीं डालता उसे जंगल में लगे बरगद के पेड़ को पानी डालने का अधिकार नहीं है . ठीक उसी प्रकार .....उसे किसी दुसरे की साहित्य की सेवा का अधिकार नहीं है .[आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ]
ReplyDeleteमेरे विचार से
ReplyDeleteहै जिसने हमको जन्म दिया,
हम आज उसे क्या कहते है\
क्या यही हमारा राष्ट्रवाद - ?
जिसका पथ दर्शन करते है,
हे राष्ट्र्स्वामिनी निराश्रिता
परिभाषा इसकी मत बदलो,
हिन्दी है भारत की भाषा,
हिन्दी को हिन्दी रहने दो,,,,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteआपको भी हिंदी दिवस की शुभकामनाएं....
फले फूले खिलखिलाए हमारी भाषा....
सादर
अनु
हिंदी दिवस की शुभकामनायें....
ReplyDeleteसही कहा आपने .आज लोग' प्राइवेसी' चाहते हैं' एकांत' नहीं .यही है आज की हिंदी की दुर्दशा जो हम उत्तर भारतीयों ने की है. .औलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती .
ReplyDeleteसरकारी हिंदी की फजीहत होती रहेगी. जनभाषा हिंदी का सम्मान होता रहेगा. हिंदी की दिशा विकास की है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना... आने वाला हर युग हिंदी युग हो और हर दिन हिंदी दिवस... हिंदी दिवस की शुभकामनाये...
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती कुंडली ....
ReplyDeleteहिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeleteजी हां सही कहा आपने. आज हिन्दी की जो दुर्दशा है उसके जिम्मेदार हमलोग खुद है.
ReplyDeleteहिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteचिन्दियों को इक्क्ट्ठा करें
चलो बिन्दियाँ बनाये
भारत माता के
माथे पर सजायें
आशा करें विश्वास करें
इंतजार करें
सबको अक्ल आये !
सही कहा आप ने..हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ...
ReplyDeletehai hi yahi haal......achcha likhe.
ReplyDeleteसच कहा है ... हिंदी बस हिंदी दिवस के लिए ही रहती है कई जगह ... कस कर सरकारी खेमे में ...
ReplyDeleteहिंदी से चमकाओ भैया, अपनी बिंदी ,
ReplyDeleteविज्ञापन सब ओर हैं भैया, खूब है हिंदी .
माथे की बिंदी थी अब तक,होती जाती चिंदी
ReplyDeleteमिट जाएगी हस्ती हमारी,रही नहीं जो हिंदी!
हिंदी के विकास की धारा को बाधित करने वाले हिंदी भाषी ही हैं। आपका पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट समय सरगम पर आपका इंतजार रहेगा।
ReplyDeletebilkul sahi baat ...!!
ReplyDeletebahut sundar bhav ...
shubhkamnayen ..!!
सुन्दर प्रस्तुति....
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ReplyDeleteनिज भाषा सम्मान,करो मत चिंदी चिंदी.
कभी न वरना माफ़,करेगी तुमको हिंदी.दोबारा पढ़ी वही सुरूर आया ,हिंदी पे नूर आया
ram ram bhai
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मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
सार्थक संदेश .....
ReplyDeleteकितने सागर बहाए गए पर,
ReplyDeleteहोंठ सूखे हैं, प्यासी है हिंदी!
जिसके घूँघट में तारे टंके हों,
उस दुल्हन की उदासी है हिंदी !
आज़ादी के इतने सालों के बाद भी हिंदी की दुर्दशा देखकर बहुत दुःख होता है !
आपने सही लिखा है हिंदी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी !
अंग्रेजी पर मर रहे, देखो नौकरशाह,
ReplyDeleteबेदिल दिल्ली देखकर, हिंदी करती आह।
एक दम सार्थक सन्देश ....
ReplyDeleteएक सही सन्देश हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिये.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
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