-कुँवर कुसुमेश
दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर.
अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर.
अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात.
याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात.
घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश.
पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश.
दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज.
और पटाखों से बचे,अपना सकल समाज।।
यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि.
दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि.
*****
शब्दार्थ: नूर=प्रकाश
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...... शुभ दीपावली
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
आप सभी को --
दीपावली की शुभकामनायें-
बहुत सुन्दर सन्देश देती सुन्दर रचना !
ReplyDeleteनई पोस्ट हम-तुम अकेले
सुन्दर प्रस्तुति………
ReplyDeleteकाश
जला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……
बहुत सुंदर बेहतरीन दोहे ,,,
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ ।।
==================================
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
बहुत सुन्दर.. आप को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसच है की न्याय हमेशा जीत जाता है ... सभी दोहे सार्थक ...
ReplyDeleteदीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
पर्वों की यह पुण्य श्रृंखला मुबारक। यश ,सुख ,शांति आपका स्पर्श बनाये रहे।
ReplyDelete-कुँवर कुसुमेश
दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर.
अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर.
अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात.
याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात.
घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश.
पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश.
दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज.
और पटाखों से बचे,अपना सकल समाज।।
यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि.
दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि.
*****
शब्दार्थ: नूर=प्रकाश
काव्य शिखर को छूती सार्थक प्रस्तुति।