Monday, September 29, 2014

एक अक्टूबर.................


मान जो भी मिल रहा वो नौजवाँ तेवर को है। 

अब बुजुर्गों का तो बस सम्मान कहने भर को है। 

पल रहे वृद्धाश्रम में जाने कितने वृद्ध जन ,

सीनियर सिटीजन दिवस यूँ एक अक्टूबर को है। 

-कुँवर कुसुमेश 

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  2. ये जो जर जर लोग घर की पहरेदारी करते हैं
    असल में मालिकाना हक़ की दावेदारी रखते हैं..............(एक गजल से) "रोहित"

    खुबसुरत रचना सर जी

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  3. मान जो भी मिल रहा वो नौजवाँ तेवर को है।

    अब बुजुर्गों का तो बस सम्मान कहने भर को है।

    पल रहे वृद्धाश्रम में जाने कितने वृद्ध जन ,

    सीनियर सिटीजन दिवस यूँ एक अक्टूबर को है।

    अरे भाई साहब इस शरीर का क्या मान और क्या अपमान। आत्मा को तो कोई छूता जानता नहीं है। अपने को सेल्फ को लिमिटिड मानता है अवस्था परिवर्तन शरीर का धर्म है आत्मा का नहीं आत्मा न बूढ़ा होता न सीनियर जूनियर होता है। लिमिटलैस होता है। लिमिटलैस ब्लिस लिमिटलेस कांशशसनेस होता है।

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  4. भावुक और सुंदर प्रस्तुति----

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