दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको
कुँवर कुसुमेश
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
कहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
कि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
सुनाता भ्रष्ट नेताओं को जी भर के खरी-खोटी.
शराफत का हमेशा रोकता है दायरा उसको.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
*******
हर्फ़े-वफ़ा=वफ़ा शब्द, राहे-मुहब्बत=प्यार की राह
जी हाँ! ये भरोसा ही है जो आगे की राह दिखलाएगा......
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
बस मौला पर भरोसा रख कर ही ज़िंदगी में आगे बढते हैं ... बहुत खूबसूरत गज़ल
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
khubsurat gajal , bahut hi khubsurat bhav ..........waah dil ke behad karib se hoker gujri aapki ye navenntam peshkash..........badhai
कुंवर जी बहुत रास आई ये ग़ज़ल। खास कर ये पंक्तियां (शे’र) तो सूक्त वाक्य की तरह हैं
ReplyDeleteभटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको
आपने मौला की शान में बहुत अच्छी बात कही है। इससे आदमी की निराशा दूर हो जाती है।
ReplyDeleteइंसान का असल इम्तेहान यही है कि वह अपने ज्ञान और अपनी ताक़त का इस्तेमाल क्या करता है ?
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
bahot sundar---badhaee
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
ReplyDeleteयक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
kya baat kahi hai...
अच्छी ग़ज़ल,बधाई स्वीकार करें !
ReplyDelete'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
ReplyDeleteभरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको
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बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने!
सुंदर ग़ज़ल...
ReplyDeleteवफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
ReplyDeleteयक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
बेहतरीन अशआर हैं कुसुमेश जी ! बहुत ही उम्दा गज़ल ! बधाई एवं शुभकामनायें !
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
jeene ka hausla deta yah matla aur baki ashaar prernadayak...bahut achchhi gazal...badhai sweekar karen.
बहुत ही सुन्दर |
ReplyDeleteबधाई ||
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
वाह!! सटीक दीप की रोशनी है ग़ज़ल!!
वाकई, भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
सार्थक और प्यारी गजल है । आभार बावू जी ।सार्थक और प्यारी गजल है । आभार बावू जी ।
ReplyDeleteसुनाता भ्रष्ट नेताओं को जी भर के खरी-खोटी.
ReplyDeleteशराफत का हमेशा रोकता है दायरा उसको.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको...
लाजवाब पंक्तियाँ! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने ! हर एक शेर उम्दा लगा!
waah... waah... waah...
ReplyDeletebahut hi badhiya...
khoobsurat gazal aur har sher jaandaar ! khas taur par yah sher prabhavit karti hai...
ReplyDeleteभटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
शानदार गज़ल्।
ReplyDeleteआपकी रचना आज तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
ReplyDeleteयक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
बहुत खूब...लाजवाब...
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको
haalanki,,, poori gazal quote karne
laaiq hai,, lekin ye sher khaas taur par
psand aaya hai ...
waah !
"daanish'
dkmuflis.blogspot.com
आपकी लेखनी पढ़ कर वैसे ही बहुत अच्छा लगता है
ReplyDeleteग़ज़ल का हर शेर अपने आप में बहुत बढ़िया है खास कर ये वाला
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
आभार........
भटकने लग गया जो आदमी रहे मुहब्बत से ,
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको |
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गज़ब का शेर कुसुमेश जी ....
बेहतरीन ग़ज़ल ,हर शेर अर्थपूर्ण
fine creation with confidence . thank you ,
ReplyDelete.
ReplyDeleteवफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको....
So true ! Those who are cheat cannot go for loyalty at any time . They feel comfortable in cheating only.
.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको
वाह वाह
बेहतरीन शेर और गज़ल
bahut achchi ghazal hai kuch seekh deti hui.
ReplyDeleteहर एक शेर अपनी जगह पर शानदार है.
ReplyDeleteऔर अपनी बात पूरे वजन के साथ रखता है.
किसी एक कि तरीफ़ करना दूसरे के साथ नइंसाफ़ी होगी
आपको सादर प्रणाम
bahut khoobsurat gazal...blogging ki salgirah par bahut bahut shubhkamnayen...
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको।
बिलकुल सही बात।
जिंदगी की सूक्ष्म सच्चाइयां ग़ज़ल में खूबसूरती से बयां हो रही है।
बहुत अच्छे शेर, मकता पसंद आया मुबारक हो
ReplyDeleteखूबसूरत गजल.आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
उम्दा खयालात सर, बेहतरीन अशअआर...
ReplyDeleteसादर...
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
Kya gazab kee panktiyan hain!
तमसो मा ज्योतिर्गमय...
ReplyDeleteबड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
बहुत खूब...हर शेर में वज़न है...
सुंदर.... सकारात्मक सोच को बल देती रचना
ReplyDeletebahut sunder gajal
ReplyDeleteMain ab suraj ko kya diya dikhaun...
ReplyDeleteBahut hi acchhi rachna sir.. Aabhar..
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण रचना |सुन्दर अभिव्यक्ति |बधाई
ReplyDeleteआशा
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
hausla bandhati hui aur hakikat dikhati hui shandar ghazal....sadar pranam ke sath
sundar ghazal.
ReplyDeleteखूबसूरत गजल
ReplyDeleteज़मीन से १०-११ किलोमीटर ऊपर विमान में उड़ने का मज़ा ही और है ख़ास कर यदि फ्लाईट अल्प कालिक घंटा भर की हो .और मन स्मृतियों में पगा हो अपनों को छोडके चलने की .बादलों से ऊपर बहुत ऊपर आप .बादल क्या आइस बर्ग हिम खंड से नीचे आसमान पर तैरते (ऊपर जाकर आसमान की परिभाषा बदल जाती है .हम आसमान हो जातें हैं) ,आइस बर्ग के ऊपर इधर से उधर उधर से इधर उड़ते बादल महीन छितराए से मट मैले विचार भी तो ऐसे ही अठखेली खेलते हैं मनवा के साथ .अपने जो पीछे छूट गए संग साथ चलतें हैं बादलों से बिछड़ने के लिए उड़ने के लिए .हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ था देट रोइट से शिकागो तक की अल्प काली उड़ान के दरमियान जिसकी कुल अवधि थी एक घंटा पांच मिनिट .अपनों का मानसिक कुन्हान्सा हमें घेरे रहा .कब आ गया शिकागो पता ही नहीं चला .नोर्थ मिशिगन एवेन्यू की ऊंची ऊंची इमारतों की कतार देखने के बाद कोई भ्रम नहीं रह गया था -देट रोइट छूट चुका ,पीछे बहुत पीछे इस सात समुन्दर पार अब आना हो न हो .जीवन खेल है अ -निश्चितताओं का .यहाँ कब क्या हो जाए इसका कोई निश्चय नहीं .मिलना बिछड़ना सब समय का संयोग है सम्मलेन है अरविन्द जी .आप आये हम चंद घंटे ज़िन्दगी की मुश्किलात भूले रहे .गए तो फिर उन्हीं से रु -बा -रु हैं .
ReplyDeleteबड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको ,
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको .
कुसुमेश जी बहुत आशावादी स्वर हैं इस ग़ज़ल के .
जीवन के "लो पेस" की पुर सुकून ज़िन्दगी जीने का नुश्खा लिए है यह ग़ज़ल .
कुसुमेश जी ऊपर वाला कमेन्ट गलती से छाप गया ,माफ़ी चाहता हूँ .आपकी बेहतरीन ग़ज़ल के लिए जो तन और मन दोनों की थकान उतार गई बधाई .
ReplyDeleteगजल अच्छी है । प्रेमचंद जी वाले लेख पर पर आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteखूबसूरती से दिल को बयां करती उम्दा गजल
ReplyDeletewah....aapki ek ek rachana kabile tarif hai ...kis kiski tarif kare........speechless
ReplyDeleteखूबसूरत गजल
ReplyDeleteआभार.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
बेहतरीन शेर....बेहतरीन ग़ज़ल ....
bhaut hi khubsurat gazal....
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
...........खूबसूरत गजल !
bhaut hi khubsurat gazal....
ReplyDeleteआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
अच्छी ग़ज़ल,
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने....कुसुमेश जी
ReplyDelete'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
ReplyDeleteभरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
.............बेहतरीन शेर और गज़ल
'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
ReplyDeleteभरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
बहुत भाव पूर्ण खूबसूरत गजल...
आभार.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
bahut badiya shabdon ka. gajal.sundrr shabdon ka
chayan badhaai aapko.
mere blog main aane ke liye dhanyawaad.
"'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
ReplyDeleteभरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको"
Sir,excellent piece of work.very musical and factual one.
बेहतरीन गजल
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
बहुत ही खूब कहा है! उम्दा ग़ज़ल!
शानदार गजल। हर शेर में वजन है। हमेशा की तरह बेहतरीन।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteआपको गजलों का कुँवर कहा जाए तो सर्वोचित होगा . उम्दा नज़्म
ReplyDeleteभाई कुसमेश जी सुन्दर और दमदार गज़ल कहने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
बहुत बढ़िया गजल
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
वाह कुसुमेश जी,गज़ब के शेर कहे है आपने ! मेरी बधाई स्वीकार करें और देर से आने के लिए क्षमा प्रदान करें !
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको |
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको ||khubsurat matla aur mizaaz.Subhaan Allah.
Dear Kunwar ji,
ReplyDeleteNamaskaar,
I like your 'GAZAL' very much. Thanks!
bahut badiya gazal......
ReplyDeleteAabhar
बहुत सुन्दरता से सुन्दर अहसासों को एक रचना में पिरो देना , आप जैसे ब्लागर ही कर सकते है ..
ReplyDeleteशानदार ग़ज़ल.....बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद...:)
कुंवर जी, 3तारीख को हिन्दी संस्थान के प्रोग्राम में आप बीच में कबउठ कर चले गये, पता ही नहीं चला। मैं आपके आगे की सीट पर ही बैठा था।
ReplyDelete------
कम्प्यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....
bahut sundar gazal....
ReplyDeleteकहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
ReplyDeleteकि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
bahut umda gazal
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteबड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको....मन को छू लेने वाली सुन्दर भावमयी गजल...अभार
"वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
ReplyDeleteयक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको"
वाह कुशुमेश जी क्या बात कह दी है.मन को अंदर तक छू गयी ये गज़ल.बधाई.
माफ़ी चाहूंगी देर से पहुचने के लिए.
mere blog pe aane aur mere hausla afjayee ke liye hardik dhnywad... waiting for your new wonderful creation pranam ke sath
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteखूबसूरत रचना के लिए बधाई भाई जी !
ReplyDeleteभटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
बहुत बढ़िया....
आपकी पोस्ट " ब्लोगर्स मीट वीकली {३}"के मंच पर सोमबार को शामिल किया गया है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ कोब्लॉगर्स मीट वीकली (3) Happy Friendship Day में आप आमंत्रित हैं /
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन गज़ल .. कुछ शेर सीधे दिल में जा बस गए और कुछ ठहरी हुई यादो को दस्तक देने लगे .. आपकी और इस गज़ल कि तारीफ करना ..बस सूरज को दिया दिखलाना होंगा .. आपको दिल से बधाई ..
ReplyDeleteआभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
गज़ल के हर शेर पर दाद मिलनी चाहिए...
ReplyDeleteआपकी शब्दों की गंभीरता भावों के साथ दिल में उतरती जाती है...
देर के लिए माफी....
बस और क्या कहूं...
आपके शेर खुद-ब-खुद सब कह देते हैं...!!
बहुत बेहतरीन गज़ल,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत बेहतरीन गज़ल ,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
bahut hi badhiya gazal ,badhai sweekare .do teen post se intjaar hai aapka ,link jude rahne se aane me aasani rahti hai.nahi to doosre ka sahara lena padta hai aur dhyan se chhoot jata hai .
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
ReplyDeleteदिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको
वाह कुशमेश जी, अब तो कलमतोड़ दी आपने। बहुत खूब।
kya baat hai kumnesh ji
ReplyDeleteभटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
ReplyDeleteअदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
Ghazab...
बेस्ट ऑफ़ 2011
ReplyDeleteचर्चा-मंच 790
पर आपकी एक उत्कृष्ट रचना है |
charchamanch.blogspot.com
गज़ब
ReplyDeleteसुनाता भ्रष्ट नेताओं को जी भर के खरी-खोटी.
ReplyDeleteशराफत का हमेशा रोकता है दायरा उसको.
आज के हालात और आदमी को सियासत को आईना दिखाती ग़ज़ल .
आज के हालात और आदमी को सियासत को आईना दिखाती ग़ज़ल .आज के हालात से रु -बा -रु कराते सेहत सचेत लिंक्स .मुबारक ज़नाब गाफिल साहब .
ReplyDelete