राजनीति पर दोहे
कुँवर कुसुमेश
राजनीति में घुस गए,कुछ अपराधी लोग.
करें जुर्म के वास्ते , कुर्सी का उपयोग.
जाने कैसा आ गया, भारत में भूचाल.
नेता माला माल हैं,जनता है कंगाल.
जिसने जीवन भर किये,जुर्म बड़े संगीन.
ऐसे भी कुछ हो गए, कुर्सी पर आसीन.
किसको छोड़ें और हम,किस पर करें यक़ीन.
राजनीति में दिख रहे,सभी आचरण हीन.
कुछ नेता कुछ माफिया,कर बैठे गठजोड़.
धीरे धीरे देश की , गर्दन रहे मरोड़.
अपराधों में लिप्त हैं,नाम सच्चिदानंद.
टाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द.
*****
आपने बिल्कुल सही कहा है।
ReplyDeleteराजनीति में अपराधी घुस गए हैं और यही बात हिंदी ब्लॉगिंग के बारे में भी सही है।
अच्छी पोस्ट के लिए आभार !
बड़ा ब्लॉगर वह है जो कमाता है
यही तो दुर्भाग्य है हमारा, सुंदर दोहे .....
ReplyDeleteएक से एक 'रोमान्टिक' दोहे…… :)
ReplyDeleteजाने कैसा आ गया, भारत में भूचाल.
नेता माला माल हैं,जनता है कंगाल.
कुछ नेता कुछ माफिया,कर बैठे गठजोड़.
ReplyDeleteधीरे धीरे देश की , गर्दन रहे मरोड़.
bahut hi sahi aur saarthak dohe.sab inko jaan rahe hain phir bhi hum sab unhe paal rahe hain.
badhaai aapko.
बहुत गूढ़ बाते कह दीं आपने इन दोहों के माध्यम से!
ReplyDeleteवाह! क्या बात कही है...बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसमसामयिक दोहे.. बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteजिसने जीवन भर किये,जुर्म बड़े संगीन.
ReplyDeleteऐसे भी कुछ हो गए, कुर्सी पर आसीन.
बड़े ही सटीक दोहे हैं सभी ! कटु यथार्थ को बड़ी सहजता के साथ दोहों में ढाल दिया है आपने ! बहुत बहुत बधाई !
सच्चाई का लिबास पहने हुए कमाल के दोहे हैं
ReplyDeleteआप कविता की सभी विधाओं में समान रूप से पाठक को प्रभावित करते हैं
देश की राजनीति की सच्चाई कहते सार्थक दोहे ... सभी सटीक हैं ..
ReplyDeleteउत्तम एवं सटीक दोहे....
ReplyDeleteएकदम सटीक दोहे.....
ReplyDeleteराजनीति की अच्छी चीरफाड़..
ReplyDelete------
ये है ब्लॉग समीक्षा की 32वीं कड़ी..
मिलें पैसे बरसाने वाला भूत से...
देश की राजनीतिक स्थिति पर सटीक टिप्पणी है. दोहे की शैली आज भी प्रभावित करती है.
ReplyDeleteकुछ नेता कुछ माफिया,कर बैठे गठजोड़,
ReplyDeleteधीरे धीरे देश की , गर्दन रहे मरोड़।
सही कह रहे हैं आप,देश की वर्तमान राजनीति का यही हाल है।
बहुत ही सुन्दर दोहे बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteमनमोहन कर दंडवत, लौटा आज स्वदेश,
ReplyDeleteभू-खंड एकड़ चार सौ, भेंटा बांग्लादेश |
भेंटा बांग्लादेश, पाक को कितना हिस्सा,
काश्मीर का देत, बता दे पूरा किस्सा |
बड़ा गगोई धूर्त, किन्तु तू भारी अड़चन,
यहाँ करे यस-मैम, वहां क्यूँ यस-मनमोहन ??
कायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
कड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |
करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल शायर,
कम से कम हर बार, नया तो बक कुछ कायर ||
आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
अब बयानबाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????
टाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द.
ReplyDeleteवाह वाह क्या मिसाल का कितना अच्छा प्रयोग किया गया है और वो भी नए तरीके से
आभार
राजनीति में घुस गए,कुछ अपराधी लोग.
ReplyDeleteकरें जुर्म के वास्ते , कुर्सी का उपयोग.
बहुत सही लिखा है सर;लेकिन इन अपराधियों को कुर्सी पर हम ही लोग वोट दे कर बैठाते हैं।
सादर
Bahut hi interesting dohe hai sir ji!
ReplyDeleteकुंवर कुसुमेश जी !जब भी आप कुछ नया लिखतें हैं दूर तक खुशबू आती है .
ReplyDeleteजिसने जीवन भर किये,जुर्म बड़े संगीन.
ऐसे भी कुछ हो गए, कुर्सी पर आसीन.राजनीति के दोहे एक बड़ा आइना हैं किरण बेदी वाला ....
बृहस्पतिवार, ८ सितम्बर २०११
गेस्ट ग़ज़ल : सच कुचलने को चले थे ,आन क्या बाकी रही.
ग़ज़ल
सच कुचलने को चले थे ,आन क्या बाकी रही ,
साज़ सत्ता की फकत ,एक लम्हे में जाती रही ।
इस कदर बदतर हुए हालात ,मेरे देश में ,
लोग अनशन पे ,सियासत ठाठ से सोती रही ।
एक तरफ मीठी जुबां तो ,दूसरी जानिब यहाँ ,
सोये सत्याग्रहियों पर,लाठी चली चलती रही ।
हक़ की बातें बोलना ,अब धरना देना है गुनाह
ये मुनादी कल सियासी ,कोऊचे में होती रही ।
हम कहें जो ,है वही सच बाकी बे -बुनियाद है ,
हुक्मरां के खेमे में , ऐसी खबर आती रही ।
ख़ास तबकों के लिए हैं खूब सुविधाएं यहाँ ,
कर्ज़ में डूबी गरीबी अश्क ही पीती रही ,
चल ,चलें ,'हसरत 'कहीं ऐसे किसी दरबार में ,
शान ईमां की ,जहां हर हाल में ऊंची रही .
गज़लकार :सुशील 'हसरत 'नरेलवी ,चण्डीगढ़
'शबद 'स्तंभ के तेहत अमर उजाला ,९ सितम्बर अंक में प्रकाशित ।
विशेष :जंग छिड़ चुकी है .एक तरफ देश द्रोही हैं ,दूसरी तरफ देश भक्त .लोग अब चुप नहीं बैठेंगें
दुष्यंत जी की पंक्तियाँ इस वक्त कितनी मौजू हैं -
परिंदे अब भी पर तौले हुए हैं ,हवा में सनसनी घोले हुए हैं ।
http://veerubhai1947.blogspot.com/
धीरे धीरे देश की गर्दन रहे मरोड़। वाकई एक कटु सत्य है। देश की गर्दन मरोड़ने के कारण ही आम आदमी की सांस उखड रही है।
ReplyDeleteकिसको छोड़ें और हम,किस पर करें यक़ीन.
ReplyDeleteराजनीति में दिख रहे,सभी आचरण हीन.
bahut badia
वाह ...बहुत बढि़या ।
ReplyDeleteकिसको छोड़ें और हम,किस पर करें यक़ीन.
ReplyDeleteराजनीति में दिख रहे,सभी आचरण हीन.
राजनीति का वीभत्स चेहरा उजागर कर दिया।
सच्चाई की कलम से जब चिंगारी लिखी जाती है तो ऐसे ही दोहों का जन्म होता है जो देश के हालात पर सोचने को मजबूर कर देते हैं !
ReplyDeleteकुंअर जी, आपकी रचना धर्मिता को नमन !
लाजवाब दोहे .....
ReplyDeleteअपराधों में लिप्त हैं,नाम सच्चिदानंद.
ReplyDeleteटाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द.
आज की व्यवस्था का बहुत सटीक चित्रण। बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति॰
सही, सटीक और सार्थक दोहे ....
ReplyDeleteकुंवर जी आज के हालात का दर्पण है आपके दोहे...बेहतरीन,
ReplyDeleteनीरज
दस्तूर तो है ये.. पर अब दस्तूर को बदलने का समय आ गया है.. आंधी आई थी कुछ दिन पहले.. अब उस आंधी का फायदा उठाना है..
ReplyDeleteआज के हालात पर सार्थक दोहे !
ReplyDeleteआज के वक़्त में सभी ऐसे ही राजनेता है ....सबके सब एक ही थाली के बैगन
ReplyDeleteवाह बाऊजी...
ReplyDeleteअपनी दशा नहीं दुर्दशा को कितने अच्छे से लिख दिया आपने...
राजनीति पर इतना सटीक दोहे मैंने नहीं पढ़ी।
ReplyDeleteजितना आपको पढ़ता हूं, उतना ही अभिभूत होता जाता हूं।
bahut badhiya..sateek prhar...
ReplyDeleteबड़े मार्मिक रुचिकर समीचीन दोहे प्रभाव शाली हैं . शुक्रिया जी /
ReplyDeleterajneeti par seedha kataksh karte samsaamayik uttam dohe.
ReplyDeleteकुशुमेश जी आपके ब्लॉग पर क्लिक करने पर एर्रोर ४०४ लिख रहा था अभी ठीक से खुल पाया है .......बहुत ही करार प्रहार है राज्नितको पर....
ReplyDeleteआदरणीय कुशुमेश जी
ReplyDeleteराजनीति में घुस गए,कुछ अपराधी लोग.
करें जुर्म के वास्ते , कुर्सी का उपयोग.
जाने कैसा आ गया, भारत में भूचाल.
नेता माला माल हैं,जनता है कंगाल.
बहुत सटीक प्रस्तुति
कुछ नेता कुछ माफिया,कर बैठे गठजोड़.
ReplyDeleteधीरे धीरे देश की , गर्दन रहे मरोड़.
अपराधों में लिप्त हैं,नाम सच्चिदानंद.
टाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द.
सटीक दोहे.....
खरी-खरी खोटों के बारे में!
ReplyDeleteआशीष
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मैंगो शेक!!!
अब तो भगवान भरोसे !
ReplyDeleteबहुत ही सटीक और सम-सामयिक दोहे.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत अच्छे दोहे बन पड़े हैं |बधाई
ReplyDeleteआशा
अपराधों में लिप्त हैं,नाम सच्चिदानंद.
ReplyDeleteटाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द. sahi farmaya Sir.
very good..
ReplyDeleteSahi kaha aapne.. about indian leaders!
अपराधों में लिप्त हैं,नाम सच्चिदानंद.
टाटों में दिखने लगे,रेशम के पेवन्द.
so true!