कुँवर कुसुमेश
औषधीय गुण वृक्ष में,मिलते हैं पर्याप्त.
मूरख करने पर तुले,इनको मगर समाप्त.
जड़ें,पत्तियाँ,फूल-फल,औषधि गुण से पूर्ण,
इनसे वैद्य बना रहे,आसव,चटनी,चूर्ण.
जड़ी-बूटियों में निहित,अद्भुत रोग निदान.
पुष्टि बराबर कर रहे,नियमित अनुसंधान.
तुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
इनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
इनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
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bahut badia sir..
ReplyDeleteजड़ी-बूटियों में निहित,अद्भुत रोग निदान.
ReplyDeleteपुष्टि बराबर कर रहे,नियमित अनुसंधान.
तुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
इनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार...
महत्वपूर्ण दोहे! नए अंदाज़ के साथ आपने बहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक दोहे प्रस्तुत किया है जो जानकारीपूर्ण और लाभदायक है!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
वृक्षों से मिलने वाले लाभ को कहते बहुत सुन्दर दोहे .. प्रेरक ..
ReplyDeleteबहुत उत्तम दोहे.
ReplyDeleteसुन्दर दोहे... अति सुंदर.. आपके दोहों का संसार बढ़ता जा रहा है...
ReplyDeleteवाह ! कुसुमेश जी ,
ReplyDeleteआपने तो चंद दोहों में प्रकृति का पूरा खज़ाना उड़ेल कर रख दिया है !
हमारे तमाम दुखों का कारण हमारा प्रकृति से दूर जाना ही है!
पेड़ों को अपने स्वार्थ हेतु काटने वालों को शायद यह पता नहीं है कि केवल ६ महीने का अक्सिजन बनाने के लिए ३८ ट्रिलियन डालर खर्च करने पड़ते जो ये पेड़ हमें मुफ्त में देते हैं !
प्रकृति के महत्व को रखांकित करता यह दोहा मन को छू गया !
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
इनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान
आभार !.
बहुत सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक दोहे
ReplyDeleteहमारी प्रकृति सम्पदा की महिमा बखानते बहुत ही सुन्दर दोहे ! सच में नासमझी में ही हम इस दौलत की अवहेलना कर रहे हैं और इनके संरक्षण के प्रति उदासीन हैं !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक दोहे...
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ।
ReplyDeleteघणा जोरदार तालमेल।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक दोहे..आभार..
ReplyDeleteजड़ी-बूटियों की कथा, कहते कवि कुसुमेश,
ReplyDeleteइसमें जो संदेश है, फैले देश-विदेश।
बहुत बढ़िया
ReplyDeletebahut achcha sandesh deti hui rachna ped lagao paryavaran bachao.yeh ittefaaq hai isi vishya par aaj maine bhi kuch likha hai kal dekhiyega.kal post karungi.
ReplyDeleteबढ़िया प्रकृति वंदना है ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत ही सुन्दर और ज्ञानवर्धक दोहे| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब लगे आपके दोहे. ये बात अगर सब लोग समझ जाएँ तो ये नौबत ही न आये के पेड़ पौधों को ढूँढना पड़े.जिस प्रकृति से इतना कुछ पाया जा सकता है उसका सम्मान भी करना हमें आना चाहिए
ReplyDeleteआभार
वाह!! आप को तो प्रकृतिमित्र ही कहुंगा।
ReplyDeleteतुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
इनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
पशुबलि-कुरबानी , शाकाहार-मांसाहार , वैचारिक बहस- फ्री फॉर ऑल धर्मयुद्ध... बीचों-बीच फंसे (प्रवीण शाह) जिनके जेहन से उठते ११ सवाल... और उत्तर देंगे हम।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ! हमारे लिए पौधे बहुत ही उपयोगी है !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का पता बदल गया है ! अपने दिस बोर्ड पर अपडेट होने के लिए फिर से फोल्लो करें !-www.gorakhnathomsai.blogspot.com
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बहुत बढ़िया सर जी ......
ReplyDeleteउत्तम दोहे.
ReplyDeleteतन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
ReplyDeleteइनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
Is baat kee nihayat zaroorat hai!
शिक्षाप्रद दोहे. सादर.
ReplyDeletesundar dohe ...aoushdhiy paodhon ka poorn vivran..
ReplyDeleteसार्थक रचना....
ReplyDeleteअब जब घर के लोग ही इन सब चीज़ों को नहीं समझ रहे और पेड़ उजाड़ने पर तुले हुए हैं तो बाहर के लोगों से तो कोई अपेक्षा ही नहीं है..
ReplyDeleteऔषधिय गुणो से भरपूर सुन्दर और सार्थक दोहे।
ReplyDeleteतुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
कमाल के दोहे।
इसे हर पर्यावरणविद को पढ़ना चाहिए।
... और यह संदेश तो लाजवाब और बेहद आवश्यक है ..
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
इनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
bahut khoob...sunder dohe
ReplyDeleteआयुर्वेद की पूरी रुपरेखा खींच डाली...आपने...अपने इस बहुमूल्य ज्ञान को संरक्षित करने में ये दोहे अपनी भूमिका निभायेंगे...
ReplyDeletebahut badhiya...
ReplyDeletewaise mai Papa se hamesha kisi na kisi medicinal plant ke bare mei ya project k bare mei sunti hi rahti hu... aaj laga jaise unke hi project ka promotional post ho...
प्रकृति से जुड़े रहने में ही लाभ है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने...सार्थक रचना....
ReplyDeleteजड़ी-बूटियों में निहित,अद्भुत रोग निदान.
ReplyDeleteपुष्टि बराबर कर रहे,नियमित अनुसंधान.laabhkari dohe
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
ReplyDeleteइनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
बेहतरीन पर्यावरणी दोहे .
महाकाल के हाथ पर गुल होतें हैं पेड़ ,
सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ .
यहाँ गुल का एक अर्थ गायब /विलुप्त /गुम होना है और दूसरा गुल यानी फूल (गुलबदन ).
कुंवर जी आपकी रचनाएँ सच में सब से हट कर और प्रेरक होती है. सीधे सादे शब्दों में आप बहुत काम की बातें बता देते हैं...आपका ये प्रयास स्तुत्य है...
ReplyDeleteनीरज
सुन्दर और सार्थक दोहे सर,
ReplyDeleteसादर बधाई...
तुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
प्रेरक हैं सभी दोहे .. आज हम भूलते जा रहे हैं पेड़ों के उपयोग को ...
औषधिय गुणो से भरपूर सुन्दर...शिक्षाप्रद दोहे
ReplyDeleteतन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
ReplyDeleteइनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
यह है असली बात हमेशा याद रखने वाली मगर हम है की भूल जाते हैं ....
बहुत ही सुन्दर दोहे बधाई भाई कुशमेश जी
ReplyDeleteइन सुंदर दोहों से आपने पेड और प्रकृति दोनों के संवर्धन का महत्व बताया है ।
ReplyDeleteसच में इनके हि सहयोग से हमारे स्वास्थ के हर निदान सम्भव हैं.. ये औषधि बनाने वाली अंग्रेजी कम्पनियां भी इन्ही से औषधियां बनाती हैं.. और हमे मुर्ख भी|
ReplyDeleteवास्तव में प्राकृतिक तरीकों से रोग निदान साइड इफेक्ट से बचा कर अन्य परेशानियों से बचाता है बेहतरीन दोहे
ReplyDeleteबेहतरीन दोहे।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर रचना हमेशा की तरह !
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeleteaap kahan -kahan se vishhy chun kar laate hain .bemisaal---!aaj ke paryavaran ke sandarbh me bahut bahut hi achhi prastuti
sadar naman
poonam
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
ReplyDeleteइनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान
बहुत सुन्दर रचना....! सामयिक रचना...!
तुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
jeevnopyogi dohe...
बहुत सुन्दर दोहे हमेशा की तरह |
ReplyDeleteप्रकृति से जुड़े रहने का अनुपम सन्देश देते हुए
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब और अनुपम दोहे ...
प्रशंसनीय ,, मननीय .
beautiful post, asking us to save our environment.
ReplyDeleteतुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
बहुत उत्तम दोहे....
अतिउत्तम दोहे ..............
ReplyDeleteदोहों के जरिये पर्यावरण के प्रति जागरूकता का अद्भुत प्रयास! साथ ही काव्य को ज्ञान के भंडार में बदलने का अभियान! बधाई..
ReplyDeleteतुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
peda podhon ke gun ko batate hue shaandaar dohe.bahut badhaai aapko.
मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है , की आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (१६)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /आपका
ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए / जरुर पधारें /
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
ReplyDeletehttp://seawave-babli.blogspot.com/
सार्थक,संदेशपूर्ण व उपयोगी जानकारी देते दोहे,आभार !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
बहुत सुंदर और ज्ञानवर्धक दोहे...आभार
ReplyDeleteवनस्पति के औषधीय गुणों की जानकारी के साथ वनस्पति रक्षा का सुंदर संदेश.
ReplyDeleteतुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
ReplyDeleteइनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
इनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
poojya rahen hain hamaare ye purkhe ped .
तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
ReplyDeleteइनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
पेड़ों के प्रति चेतना प्रदान करती आपकी अनुपम प्रस्तुति
के लिए बहुत बहुत आभार जी.
ha sriman ye to atut satya h. ki ped hamare jivan data h,,,,,,,,,,,,,,,,,
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