कुँवर कुसुमेश
सच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
झूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
उन्नति करते जा रहे,अब झूठे-मक्कार.
होगा जाने किस तरह,सच का बेड़ा पार.
झूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
सच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
सच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
मगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज.
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
काँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
*****
यथार्थ का सटीक अंकन
ReplyDeleteसच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
बहुत बेबाकी से आप अपनी संवेदनाओं और अनुभूतियों को पेश कर देते है. एक दम सीधी और सच्ची बात.
बहुत आभार इतनी सुंदर रचना से रूबरू करने के लिए.
उन्नति करते जा रहे,अब झूठे-मक्कार.
ReplyDeleteहोगा जाने किस तरह,सच का बेड़ा पार.
सच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
मगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज.
सुन्दर एवं सटीक दोहे! बेहद ख़ूबसूरत! उम्दा प्रस्तुती!
यथार्थ का सटीक चित्रण किया है आपने .........सच तो दिन प्रतिदिन दम तोड़ रहा है झूठ तरक्की कर रहा है
ReplyDeletekunwar sahab sach ko bachane ki muhim mem bade kamgar hain ye dohe...... bahut achhe ....
ReplyDeleteyarthart kahti rachna....
ReplyDeleteसच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
शानदार सन्देश
विलक्षण दोहे... बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteआपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसत्यम शिवम् सुंदरम ....
ReplyDeleteबस नतमस्तक हूं। आपके क़लम में जादू है।
ReplyDeleteएक शे’र याद आ गया
झूठे सिक्के चल रहे सच्चाई की हाट
सच्चाई के घर मिली केवल टूटी खाट।
बेहतरीन. अविस्मरणीय
ReplyDeleteसच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज.
बेहतरीन....सटीक दोहे
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
बेहतरीन.
सच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज
...............बेहतरीन!
आज के परिवेश में सच और झूठ को परिभाषित करते सार्थक दोहे .. बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन दोहे!!
ReplyDeleteसच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
हमेशा की तरह सार्थक दोहे
बहुत बढ़िया संदेश देते दोहे.
ReplyDeleteसच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
झूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
अपने आप में पूरी कथा है.
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteसच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान...per ant mein lahoo pukarega
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
yahi kamna hai..... satyam sundram
दोहों में सच्चाई का दर्द महसूस किया जा सकता है।
ReplyDeleteये कैसा अंधेर है, कैसा अजब विधान,
सच की गर्दन झुक गई, झूठ दिखाए शान।
नीतिपरक दोहे, यथार्थ का वर्तमान परिवेश में सटीक चित्रण है.
ReplyDeleteसच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति ..
सच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान |
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान ||
सच और झूठ का सही चित्रण करने के लिए ढेरों शुभकामनाएं |
आज के सन्दर्भ के सार्थक दोहे .तल्खियां और सच्चाइयों से भरपूर .बधाई इस सुन्दर सौदेश्य लेखन के लिए .
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteढेरों शुभकामनाएं |
उन्नति करते जा रहे,अब झूठे-मक्कार.
ReplyDeleteहोगा जाने किस तरह,सच का बेड़ा पार.
waah...bahut khub....satik
sacchai ki dagar wakai kathin hai..is par chalne ke liye hausle kee jarurat hai..behtarinrachna..dhero shubhkamnaon ke sath
ReplyDeleteवाह..! सर जी एक से बढ़कर एक दोहे !
ReplyDeleteयथार्थ को आईना दिखाते हैं !
बहुत सुंदर !
आभार !
मेरी नई रचना "तुम्हे भी याद सताती होगी"
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
दोहों में सच्चाई है... सार्थक अभिव्यक्ति...
सभी दोहे ज़िन्दगी की तल्ख सच्चाई बयाँ कर रहे हैं…………शानदार दोहे।
ReplyDeleteसच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
सार्थक अभिव्यक्ति...
सभी दोहे ज़िन्दगी की सच्चाई बयाँ कर रहे हैं,बहुत सुंदर आभार !
ReplyDeleteझूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
ReplyDeleteसच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
Bahut hee badhiya panktiyan! Waise to pooree rachana hee behad achhee hai!
सच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
...यथार्थ का सटीक चित्राकन
वाह! बहुत सुंदर दोहे....
ReplyDeleteसादर बधाई...
बहुत ही बेहतरीन और सटीक दोहे... आभार
ReplyDelete## सच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज. ##
This was best..
creativity at its full height..
Loved them !!
सच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज.
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
काँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
आमीन....!!
वाह बहुत सुन्दर ..सच झूठ पर दोहे कमाल के लिखे हैं ..
ReplyDeleteदोहे लिखने में आपका कोई जबाब नही!!!!!!!बहुत खूब,सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
साधु-साधु
ReplyDeleteWAAH BAHUT SUNDER PRASTUTI ....
ReplyDeleteसच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
बहुत सुंदर ....
आपके दोहों ने सच के रूप को और चमका दिया !
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुन्दर और मारक !
आभार !
sach par chalane ki himmat aur badha di aapke dohon ne...
ReplyDeletebahut khub...aabhar
ReplyDeletewelcome to my blog :)
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
अति सुंदर ....
भीतर मक्कारी भरी,बाहर देता दोष
ReplyDeleteघुटना-मरना नियती,जिसको न हो होश
झूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
ReplyDeleteसच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
....बहुत सुंदर दोहे..
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
sundar aur jeevnopyogi dohe.
बढ़िया दोहे,...सुंदर पोस्ट,....
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
ब्लॉग पर आगमन और समर्थन प्रदान करने का आभार, धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.
झूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
ReplyDeleteसच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
waah! kitna unnat drishtikon hai...
behad khoobsurat rachna...
Satay Vachan .....sir ji! Sabhi dohe ek se badhkar ek hain!
ReplyDeleteझूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
ReplyDeleteसच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
Very true! all Dohes are very nice!
Still I feel .....jhoonthe ka munh kala hi hota hai!
सच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
ReplyDeleteझूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
Very true! sabhi dohe behad umda hain!
Kunwar Kushumesh ji,
ReplyDeleteApki is post ke liye Apko Abhar!
बहुत ही बेहतरीन और सटीक दोहे| धन्यवाद|
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
Wonderful ! Thanks for sharing .
ReplyDeleteAti sunder .
ReplyDeleteसच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज.
सच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
काँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.
bahut sundar abhaar Kushmesh ji.
सच और झूठ को दोहों की बंदिश में बाँध दिया आपने .. लाजवाब ...
ReplyDeleteबिलकुल जीवन की सत्यता को उजागर करती पोस्ट.... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भावों का प्रस्फुटन देखने को मिला है । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपकी सादर उपस्थिति की जरूरत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही सटीक दोहे!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
सच्चाई का सत्यतापूर्ण वर्णन इससे आगे कुछ भी कहना कुछ न कहने के समान होगा ।
ReplyDeleteये पढ़कर मुझे ये लाइन याद आ रही है किसी शायर की..........
ReplyDeleteसच घटे या बढ़े सच ना रहे,
झूठ की कोई इंतेहा ही नहीं.
gajab ke dohe sach ka aaina dikhate hue.padhne me let ho gai maaf kijiyega.
ReplyDeleteसच पर चलने की हमें,हिम्मत दे अल्लाह.
ReplyDeleteकाँटों से भरपूर है, सच्चाई की राह.puri trh se shmt.
झूठ तुम्हारे हो गए,कितने लम्बे पैर.
ReplyDeleteसच की इज़्ज़त दांव पर, राम करेंगे खैर.
ये ही दोहावली है हमारे वक्त की आवाज़ .आज का यथार्थ .
आपकी इस शानदार प्रस्तुति को पढकर आनन्द आ गया है जी.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपने आकर अपने सुवचनो से जो
मेरा उत्साह बढ़ाया उसके लिए तहे दिल से आभार
आपका.
आनेवाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
वाह! बहुत ही उम्दा दोहे है ,पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ ख़ुशी हुई यहाँ आ कर
ReplyDeleteसच के मुँह तक से नहीं, निकल रही आवाज़.
ReplyDeleteमगर झूठ के शीश पर,हरदम सोहे ताज...
A bitter truth !
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रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन दोहे ,.....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
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आपको और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteकुसुमेश जी आपकी इस रचना को कविता मंच पर साँझा किया गया है
ReplyDeletehttp://kavita-manch.blogspot.in
Very. Good.
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