कुँवर कुसुमेश
मालिक तू इत्मिनान से दैरो-हरम में है.
पर चाहने वाला तेरा दरिया-ए-ग़म में है.
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से,
बम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है.
चौड़ी हुई सड़क तो कई पेड़ कट गये,
पर्यावरण का नाश छुपा इस उधम में है.
रॉकेट गया है चाँद पे पानी तलाशने,
साइंस दाँ बताए कोई किस भरम में है.
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
कुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
उम्मीद करें आप नये साल से 'कुँवर',
इसका ही नाम दोस्तों अहले-करम में है.
शब्दार्थ:-
दैरो-हरम=मंदिर-मस्जिद, दरिया- ए-ग़म=ग़म का दरिया,
हर्फ़े-बम=बम शब्द, अहले-करम=दया करने वाला
जीवन की सफलता और जीवन में शांति हक़ीक़त जान लेने पर ही निर्भर है।
ReplyDeleteशांति हमारी आत्मा का स्वभाव और हमारा धर्म है।
शांति ईश्वर-अल्लाह के आज्ञापालन से आती है।
नमाज़ इंसान को ईश्वर-अल्लाह का आज्ञाकारी बनाती है।
नमाज़ इंसान को शांति देती है, जिसे इंसान तुरंत महसूस कर सकता है।
जो चाहे इसे आज़मा सकता है और जब चाहे तब आज़मा सकता है।
उस रब का दर सबके लिए सदा खुला हुआ है। जिसे शांति की तलाश है, वह चला आए अपने मालिक की तरफ़ और झुका दे ख़ुद को नमाज़ में।
जो मस्जिद तक नहीं आ सकता, वह अपने घर में ही नमाज़ क़ायम करके आज़मा ले।
पहले आज़मा लो और फिर विश्वास कर लो।
पहले आज़मा लो और फिर विश्वास कर लो।
नया साल आ गया है,
नए मौक़े लेकर आया है,
सबको नव वर्ष की शुभकामनाएं।
नए शेर ...नया अंदाज़ ...बेहद खूबसूरत तरीका
ReplyDeleteनया साल सबको विश करने का
नया साल मंगलमय हो
बहुत से विषयों को समेटती हुई सार्थक रचना के लिए आभार !!!
ReplyDeleteख़ुशी के अहसास के लिए आपको जानना होगा कि ‘ख़ुशी का डिज़ायन और आनंद का मॉडल‘ क्या है ?
रॉकेट गया है चाँद पे पानी तलाशने,
ReplyDeleteसाइंस दाँ बताए कोई किस भरम में है.
वाह!! इस सुन्दर रचना के लिए बहुत ही आभार!!
उम्मीद करें आप नये साल से 'कुँवर',
ReplyDeleteइसका ही नाम दोस्तों अहले-करम में
बहुत सुंदर पंक्तियाँ .....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
अगले जनम की सोच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
वर्ष के अंत में एक अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली।
नूतन वर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं।
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से,
ReplyDeleteबम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है.
बहुत सच्चा शेर है कुसुमेश जी
सर , मालिक इत्मीनान में नहीं है ,इंसान बना कर शायद वो भी बेचैन है कि मानव उसके बताए हुए रास्तों से भटकने क्यों लगा और
हम भी कहाँ उसे दैर ओ हरम में चैन लेने देते हैं
जहाँ तक बात ग़ज़ल की है ,,हमेशा की तरह बामक़सद और ख़ूबसूरत ग़ज़ल
आप को, आप के परिवार को और आप के मित्रों को नया साल बहुत बहुत मुबारक हो .
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से,
ReplyDeleteबम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है.
चौड़ी हुई सड़क तो कई पेड़ कट गये,
पर्यावरण का नाश छुपा इस उधम में है.
Kya gazab kee panktiyan hain!
Aapko aur aapke pariwaar ko naya saal bahut,bahut mubarak ho!
Typical कुंवर ग़ज़ल!
ReplyDeleteसंदेश और प्रेरणा दोनों!!
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से,
बम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है.
लाजवाब कुंवर जी।
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं!
उम्मीद करें आप नये साल से 'कुँवर',
ReplyDeleteइसका ही नाम दोस्तों अहले-करम में है.
nutan varsh ki shubhkamnaayen...
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .....
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनायें.....
ReplyDeleteसमय निरंतर चलायमान है। घंटा मिनट सेकंड दिन रात सप्ताह पखवाड़ा महीना साल पैमाना है। इंसान ही इंसान की करतूतों से सहमा रहता है, यही जमाना है। नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई एवम हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबेहतरीन....नव वर्ष की हार्दिक शुभकानायें...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना ! नव वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteआपको नये साल की बहुत बहुत बधाईयाँ.
ReplyDeleteमालिक तू इत्मिनान से दैरो-हरम में है.
पर चाहने वाला तेरा दरिया-ए-ग़म में है.
ये बात सिर्फ़ इस लिए सही मानी जा सकती है, की हम मान बैठते है की वो मंदिर और मस्जिद मे है.
पर अगर हम जाने के वो इंसान के दिल मे है, तो पाएँगे की हम उसे भुला बैठे है, और हमारे ग़म का कारण भी यही है.
बहुत सुन्दर....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteBahut bdhiya sir ji....
ReplyDeleteApko navvarsh ki hardik shubhkaamnaaye!
Respected Kunwar ji!
ReplyDeleteVery nice! congrats!
wish you a very Happy,peaceful and prosperous Happy new year!
उत्तम!!
ReplyDeleteनव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
-समीर लाल
सुंदर, सार्थक रचना. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
बहुत सुन्दर....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आप सब को भी नव-वर्ष 2012 मंगलमय हो।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना !
ReplyDeleteनववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
nutan varsh ki shubhkamnaayen...
ReplyDeleteआपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteनए वर्ष के पहले दिन बहुत सुंदर उपहार आपकी इस रचना के रूप में मिला...वाकई पर्यावरण के प्रति मानव उतना सजग नहीं है जितना होना चाहिए.
ReplyDeleteचौड़ी हुई सड़क तो कई पेड़ कट गये,
ReplyDeleteपर्यावरण का नाश छुपा इस उधम में है.
बहुत अच्छी रचनाएँ...नव वर्ष मंगलमय हो,शुभकामनाएँ!!
हर क्षण मंगलमय हो..
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएं .
ReplyDeleteबहुत सटीक प्रस्तुति..आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteलाजवाब रचना... नववर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं...
ReplyDeleteबहुत अच्छी गज़ल ... नव वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteनव-वर्श कि अनेको शुभ कामनाए ……
ReplyDeleteउम्मीद करें आप नये साल से 'कुँवर',
ReplyDeleteइसका ही नाम दोस्तों अहले-करम में है.
जी हाँ उम्मीद पे दुनिया कायम है .उम्मीदी ही जीवन है .जीवन है भी आगे की ओर पीछे रुका हुआ पानी है .यही जीवन की रवानी है .
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
बहुत सुन्दर....नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ| वैसे उम्मीद पर ही दुनिया कायम है इसमे तो कोई शक नही
ReplyDeletenav varsh ki behtreen prastuti.kuch vyastta ke karan der se padhi.
ReplyDeleteaapko aapke parivaar ko nav varsh mubarak ho.
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
बहुत खूब ... नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं ।
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
सटीक व्यंग्य इस दौर पर .
Kuwer Sahab Bahut acchi prastuti......
ReplyDeletenew year ke avser per bahut hi sartahk aur vicharniya post ke liye aapka bahut bahut badhai
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
bahut sundar...
happy new year ...
बम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल सर, वाह! वाह! सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
शानदार प्रस्तुति…………
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.
सुंदर, सार्थक रचना.
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
नववर्ष पर कई बातो को उजागर करती बेहतरीन प्रस्तुती है...
ReplyDeleteनववर्ष कि बहूत बहूत शुभकामनाये
बहुत सटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteमालिक तू इत्मिनान से दैरो-हरम में है.
पर चाहने वाला तेरा दरिया-ए-ग़म में है.
.नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
bahot sunder.....
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !
ReplyDeleteवाह वाह....
ReplyDeleteबढ़िया शेर..
नव वर्ष मंगलमय हो...
बेहतरीन , जमीन से जुड़ी गज़ल ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ..सार्थक सन्देश देती हुई ..
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें
बढिया है. नववर्ष मंगलमय हो.
ReplyDeleteBAHUT KHOOB...
ReplyDeleteSUNDER PRASTUTI:)
अगले जनम की सोंच के सिहरन-सी हो गई,
ReplyDeleteकुछ इस तरह का दर्द मिला इस जनम में है.
बहुत खूब! आपने सबके मन की बात कह दी !
नव वर्ष की ढेरो शुभकामनाएँ !
आभार !
चौड़ी हुई सड़क तो कई पेड़ कट गये,
ReplyDeleteपर्यावरण का नाश छुपा इस उधम में है....
सच कहा है ... हर शेर में सच कहा है आपने ... गज़ब का लिखा है ...
आपको नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ...
नव वर्ष की शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत तरीका नया साल सबको विश करने का|
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत बढिया प्रस्तुति, सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteWELCOME to--जिन्दगीं--
सहमा हुआ है आदमी आतंकवाद से |
ReplyDeleteबम से ज़ियादा खौफ़ छुपा हर्फ़े-बम में है ||
sachchaai kah di hai aapne.
कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !
ReplyDeleteधन्यवाद!
bahut sundar prastuti
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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ReplyDeletebahut sundar prastuti
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
bahut khoob..naye varsh ki shubhkamnaye
ReplyDeleteWelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
आपकी यह प्रस्तुति कैसे रह गयी पढ़ने से ? आज हलचल से यहाँ आना हुआ .. बहुत खूबसूरत गज़ल है .. नव वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteग़ज़ल की ख़ूबसूरती
ReplyDeleteखुद बातें करती है ...
और आपकी हर ग़ज़ल से बातें करना
बहुत अच्छा लगता है ...
वाह !
वाह! बहुत सुन्दर जी.
ReplyDeleteबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ आपको.
आभार.