कुँवर कुसुमेश
धुआँ उगलती चिमनियाँ,वाहन करते शोर.
समय पूर्व ले जा रहे,मृत्यु द्वार की ओर.
ध्वनि निषिद्ध परिक्षेत्र हैं,कोलाहल से ग्रस्त.
अस्पताल भी हो रहे,आज शोर से त्रस्त.
पैदा करती तीव्र ध्वनि, कई मानसिक रोग.
अतिशय ध्वनि उपकरण का,वर्जित हो उपयोग.
डेसीबल से तीव्रता,ध्वनि की आँकी जाय .
पैंतालिस डेसी० तलक, ध्वनि कानों को भाय.
धूल-धुआँ-ध्वनि आज यदि,निभा रहे हैं साथ.
चलो प्रदूषण से करें,हम भी दो-दो हाथ.
*****
बहुत सुंदर दोहे साथ में जानकारी भी बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteध्वनि निषिद्ध परिक्षेत्र हैं,कोलाहल से ग्रस्त.
ReplyDeleteअस्पताल भी हो रहे,आज शोर से त्रस्त.
पैदा करती तीव्र ध्वनि, कई मानसिक रोग.
अतिशय ध्वनि उपकरण का,वर्जित हो उपयोग...
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! सटीक पंक्तियाँ! सुन्दर सन्देश देती हुई जानकारी से भरपूर इस शानदार दोहे के लिए हार्दिक बधाइयाँ !
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
अद्भुत कुंवर साहब!
ReplyDeleteविज्ञान, साहित्य का ऐसा अनोखा संगम बहुत ही कम देखने को मिलता है।
हम तो इस विषय पर शोध किए हुए हैं ... काश कि ये दोहे मुझे उन दिनों मिल गए होते जब मैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में काम करता था। लोगों को जागरूक करने में इनका बहुत प्रभावकारी उपयोग होता।
धूल-धुआँ-ध्वनि आज यदि,निभा रहे हैं साथ.
ReplyDeleteचलो प्रदूषण से करें,हम भी दो-दो हाथ.
बहुत अच्छा संदेश ...
ध्वनि प्रदूषण के खतरों पर आपने बड़े ही सुन्दर दोहे रचे हैं ! आशा है इनसे कुछ ना कुछ जागरूकता तो अवश्य ही आयेगी ! वर्तमान सन्दर्भों में इस सामयिक एवं प्रासंगिक प्रस्तुति के लिये आपको बधाई !
ReplyDeleteधुआँ उगलती चिमनियाँ,वाहन करते शोर.
ReplyDeleteसमय पूर्व ले जा रहे,मृत्यु द्वार की ओर.
ध्वनि निषिद्ध परिक्षेत्र हैं,कोलाहल से ग्रस्त.
अस्पताल भी हो रहे,आज शोर से त्रस्त.
Sach kah rahe hain! Yahee aaj kalke halaat hain!
Bahut badhiya rachana!
क्या बात है!! बहुत सुन्दर दोहे हैं.
ReplyDeleteइस गंभीर विषय पर सुन्दर दोहे...जागरूकता फैलाते हुए... बहुत बढ़िया
ReplyDeleteधुआँ उगलती चिमनियाँ,वाहन करते शोर.
ReplyDeleteसमय पूर्व ले जा रहे,मृत्यु द्वार की ओर.
बहुत बढ़िया ,सार्थक और सामयिक
डेसीबल से तीव्रता,ध्वनि की आँकी जाय .
पैंतालिस डेसी० तलक, ध्वनि कानों को भाय.
विशेष्कर ये दोहा तो जानकारी भी देता है
waah....satik...waqt ke mutabik
ReplyDeleteआपके यह प्रयोग अद्भुत हैं !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
bahut umda!!!
ReplyDeleteBahut sunder dohe..
ReplyDeleteध्वनि प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद करते सार्थक दोहे।
ReplyDeleteसुंदर दोहे !!!
ReplyDeleteप्रदूषण पर बहुत ही मारक दोहे !
ReplyDeleteआभार !
धुआँ उगलती चिमनियाँ,वाहन करते शोर.
ReplyDeleteसमय पूर्व ले जा रहे,मृत्यु द्वार की ओर.
Bahut Badhiya...Ekdam Sateek Dohe....
bahut umda prastuti, rachna ki sarthakta ko sidh kerti hui aaj ke paridrasya pe gambhir rachna
ReplyDeletebahut bahut badhai
बहुत अच्छा संदेश देते हुए दोहे...
ReplyDeleteप्रदूषण पर मेरी रचना नीचे की लिंक पर देखने की कृपा करें..
http://hindihaiga.blogspot.com/2011/11/blog-post_23.html#comment-form
wah !..Great !
ReplyDeleteपर्यावरणीय समस्याओं पर आपके दोहे पढकर घाघ की कहावतें याद आ गईं। बढि़या दोहे।
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे
ReplyDeletebahut sarthak post ....
ReplyDeleteसही कहा आपने ..|
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती हुई रचना ..
ReplyDeleteसार्थक सन्देश हैं सर दोहों में... पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता आज की महती आवश्यकता है...
ReplyDeleteसादर
धूल-धुआँ-ध्वनि आज यदि,निभा रहे हैं साथ.
ReplyDeleteचलो प्रदूषण से करें,हम भी दो-दो हाथ.
सार्थक दोहे आभार
सार्थक सन्देश देते बहुत सुंदर दोहे...आभार
ReplyDeleteकुंवर जी...
ReplyDeleteबहुत सार्थक सन्देश बसे हैं आपकी पंक्तियों में. लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए आभार.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com
इन दोहों में प्रदूषण की समस्या को सार्थक रूप से उठाया है ... सुन्दर और सन्देश देती प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक व सटीक लेखन ...आभार ।
ReplyDeleteअद्भुत भाव !!!
ReplyDeleteविकराल समस्या पर सार्थक लेखन है आपका.
ज्ञानवर्धक आनुप्रयासिक प्रस्तुति आलंकारिक मनोहर .
ReplyDeleteसार्थक दोहे
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुन्दर सार्थक दोहे हैं...आभार
ReplyDelete'कविता वही जो कल्याण की बातें करे' को सार्थक करते सुन्दर दोहे ...
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
प्रदूषण भी कृतार्थ हुआ होगा...किसी ने उसे दोहों के लायक तो समझा...सटीक दोहे...
ReplyDeleteक्या बात है । आपेक पोस्ट ने बहुत ही भाव विभोर कर दिया । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है ।
ReplyDeleteKunwar ji!...Congrats on writing such meaningfuls 'Dohe'!
ReplyDeleteबहुत खूब सर .
ReplyDeleteआपने एक बेहद विचारणीय मुद्दे को उठाया है.
सादर.
ध्वनि निषिद्ध परिक्षेत्र हैं,कोलाहल से ग्रस्त.
ReplyDeleteअस्पताल भी हो रहे,आज शोर से त्रस्त.
पैदा करती तीव्र ध्वनि, कई मानसिक रोग|
अतिशय ध्वनि उपकरण का,वर्जित हो उपयोग ||ध्वनि प्रदूषण पर दोहे ati ututam hai
सार्थक प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । आभार.।
ReplyDeleteख़ूब कहा है कुसुमेश जी. काव्यात्मक चेतावनियाँ हैं मनभावनियाँ.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत , सुन्दर भाव, सादर.
ReplyDeleteआप की पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (२०) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /कृपया वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हिंदी भाषा की सेवा इसी लगन और मेहनत से करते रहें यही कामना है / आभार /link
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.com/2011/12/20-khwaja-gareeb-nawaz.html
विज्ञान में साहित्य का यह प्रवेश पुरस्कार-योग्य है।
ReplyDeletebahut sundar shikshaprad dohe.
ReplyDeleteडेसीबल से तीव्रता,ध्वनि की आँकी जाय .
ReplyDeleteपैंतालिस डेसी० तलक, ध्वनि कानों को भाय
sahi likha hai
sunder
badhai
rachana
धुआँ उगलती चिमनियाँ,वाहन करते शोर.
ReplyDeleteसमय पूर्व ले जा रहे,मृत्यु द्वार की ओर.
प्रदूषण के विषय को लेकर अद्भुत रचना प्रस्तुत की है आपने. बेहद संवेदनशील विचारणीय और सामायिक पोस्ट. बधाई.
sarthak sandesh deti vichaarneey prastuti.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक दोहे ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
अति उत्तम .... आनंद आ गया पढ़ के सभी दोहे ... सामयिक ... ध्वनि प्रदुषण की समस्या को सही जोरदार तरीके से उठाया है आपने कुंवर जी ..
ReplyDeleteसामयिक और सुन्दर दोहे
ReplyDeleteकुसुमेश जी,...
ReplyDeleteसामायिक बहुत सुंदर दोहे,
बहुत सुंदर पन्तियाँ क्या बात है...बधाई
मेर पोस्ट नए पर आइये,....
क्या लिखुं कैसै लिखि लिखा नही कुछ जाय...............
ReplyDeleteतुलसी ऐसे जीव को और अकल दी जाय......
जगाने....चेताने वाली रचनाएं
सादर
यशोदा
मैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पड़ रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
ReplyDeleteबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
ध्वनि प्रदुषण की वैज्ञानिक सोच के साथ सराहनीय प्रस्तुति ....बधाई
ReplyDeleteप्रदूषण से सचमुच दोचार हाथ करने की तीव्र आवश्यकता है ।
ReplyDeleteआपके दोहे सामयिक और सटीक है वायू प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण सबसे त्रस्त हैं हम पर पहल कोई नही करता इस से दो चार होने की ।
वाह्! लाजवाब। बधाई\
ReplyDeleteपर्यावरणी दोहे रचना काव्य कर्म के अलावा जन शिक्षण है .बधाई .शोर तो धमनियों को भी संकरा बना रहा है श्रवण ह्रास तो है ही .डिस्को और डी जे के दौर में कोई इस और ध्यान नहीं दे रहा है .
ReplyDeleteसही कहा आपने ....
ReplyDeleteसभी सचेत होंगे तभी कुछ हो सकता है....!!
बहुत अच्छी रचना,..
ReplyDeleteAAj itna shor hei duniya mein ki kah nahi sakte
ReplyDeletevery appealing creation !
ReplyDeleteप्रासंगिक !
ReplyDeleteऐसे दोहे जनमानस को सचेत करते हैं ! उल्लेखनीय दोहे !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeletebahut khoob Bauji...
ReplyDeletepradooshan ko naye shabd...
सचेतक सुंदर दोहे,..बेहतरीन रचना ...
ReplyDeleteमेरी नई रचना .........
नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
waah kushumesh ji bahut achha sandesh hai aapki rachna me,........
ReplyDeletebahut badiya mudda uthaya hai aapne in dohon ke madhyam se..
ReplyDeletebahut badiya post .......
ReplyDeleteधूल-धुआँ-ध्वनि आज यदि,निभा रहे हैं साथ.
ReplyDeleteचलो प्रदूषण से करें,हम भी दो-दो हाथ.
sakaratmak rachna aur prayas....
bhrashtachar se jyada mahatwapurn hai pradushan ko rokna.....
super like to this one...:)
ध्वनि निषिद्ध परिक्षेत्र हैं,कोलाहल से ग्रस्त.
ReplyDeleteअस्पताल भी हो रहे,आज शोर से त्रस्त.
bahut achchi rachna ...aabhar
welcome to my blog :)
Very nice dohe
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