कुँवर कुसुमेश
पर्यावरण बनाइये,आप प्रदूषण मुक्त.
हिल मिल करके कीजिये,सब प्रयास संयुक्त.
कभी कहीं भू-स्खलन,कभी कहीं भूचाल.
दूषित पर्यावरण से ,जन-जीवन बेहाल.
सुखमय वातावरण हो,हो आमोद-प्रमोद.
हरी-भरी दिखती रहे,सदा प्रकृति की गोद.
दूषित पर्यावरण है,आप मनायें खैर.
जमा चुका है पैर यूँ,ज्यूँ अंगद के पैर.
सारी दैवी आपदा,के तुम जिम्मेदार.
पहले मनमानी किया,लेकिन अब लाचार.
वन संरक्षण हेतु लो,सामूहिक संकल्प.
तब शायद कुछ हो सके,समय बचा है अल्प.
*****
सचमुच समय कम बचा है................कुछ तो करना होगा...
ReplyDeleteसार्थक रचना सर
सादर.
एक खूबसूरत ग़ज़ल और एक विचारणीय संदेश|
ReplyDeleteसारी दैवी आपदा,के तुम जिम्मेदार.
ReplyDeleteपहले मनमानी किया,लेकिन अब लाचार.
आज इस पर्यावरण चिंतन दिवस पर आपकी प्रस्तुति लाजवाब है।
दूषित पर्यावरण है,आप मनायें खैर.
ReplyDeleteजमा चुका है पैर यूँ,ज्यूँ अंगद के पैर.
पर्यावरण पर सटीक और सार्थक दोहे
Nice message.
ReplyDeleteaisee hee rachnaaon ke sameechenta hai vartman paridrishy mein..acchi rachna ..sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteकल 06/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' क्या क्या छूट गया ''
पर्यावरण बनाइये,आप प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteहिल मिल करके कीजिये,सब प्रयास संयुक्त.
badhiya sandesh ....
बहुत ही सुंदर जागरूक करते दोहे सर....
ReplyDeleteविश्व पर्यावरण दिवस बने विश्व जागरण दिवस....
सादर।
बहुत प्यारे दोहे...
ReplyDeleteपर्यावरण पर मन मोहक सुंदर सार्थक संदेश देते दोहे,.....
ReplyDeleteMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
सुन्दर सन्देश
ReplyDeleteसुखमय वातावरण हो,हो आमोद-प्रमोद.
ReplyDeleteहरी-भरी दिखती रहे,सदा प्रकृति की गोद.......बहुत सुन्दर .पर्यावरण पर सुंदर सार्थक संदेश आभार.
samay to alp hai par sangharsh bhi alp hi ho raha hai..
ReplyDeletesabko saath milkar un logon ko harana hai jo paise banaane ke chakkar mein paryaavaran ko tod rahe hain, maar rahe hain.. shuruat to aapse aur humse hogi jab ham apne colony mein ped hi ped lagaein aur hariyaali failaaein..
आप तो पर्यावरण स्पेशलिष्ट हैं। आज भी आपने रंग जमा ही दिया है।
ReplyDeleteविश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज के दिन हमें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। हम विकासशील और विकसित बनने की होड़ में इतना असंतुलन पैदा कर चुके हैं कि सारा समाज ही अस्तव्यस्त हो गया है। नई वैश्विक ज़रूरतों ने एक अलग किस्म की नीतियों का मार्ग प्रशस्त किया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुनाफ़ा कमाने की होड़ से उत्पन्न आर्थिक गतिविधियों के कारण सारे संसार में पर्यावरण की अपूरणीय क्षति हो रही है, हो चुकी है। ग्रीन हाउस, ओज़ोन परत में छेद, आदि इसके कुपरिणाम हैं। हम जागरूक होने की जगह इस अंधी दौड़ का हिस्सा बनते जा रहे हैं, अगर तुरत न संभले तो इतनी देर हो चुकी होगी कि स्थिति संभाल के बाहर चली जाएगी और संकट के बादल हमारे सर पर तो मंडरा ही रहे हैं। हमें उपभोक्तावादी संस्कृति से बाहर आना होगा। आम लोगों के जीवन के स्तर में यदि हम सुधार लाना चाहते हैं तो परंपरागत क्षेत्रों में हमें इसके हल तलाशने होंगे। पर्यावरण हमारे लिए एक साझा संसाधन है। इस संसाधन का उचित इस्तेमाल हो, दोहन नहीं, यह सबकी जिम्मेदारी है।
Kaash log aapkee baton pe ghabheerta se gaur karen!
ReplyDeleteबहुत खूब.. सार्थक सन्देश..
ReplyDeleteवन संरक्षण हेतु लो,सामूहिक संकल्प.
ReplyDeleteतब शायद कुछ हो सके,समय बचा है अल्प.
सुंदर आव्हान लिए अर्थपूर्ण दोहे....
बहुत खूब....
ReplyDeleteमाशाल्लाह.....!!
टूटते पर्यावरण के प्रति सचेत करती काव्यात्मक पोस्ट .बधाई इस खबरदारी के लिए,खबरदार करने के लिए .
ReplyDeleteसारी दैवी आपदा,के तुम जिम्मेदार.
ReplyDeleteपहले मनमानी किया,लेकिन अब लाचार.
...
बहुत सुंदर दोहे दादा !!
सारी दैवी आपदा,के तुम जिम्मेदार.
ReplyDeleteपहले मनमानी किया,लेकिन अब लाचार.
मानव को अब वह काटना ही होगा जो उसने बोया है..
वन संरक्षण हेतु लो,सामूहिक संकल्प.
ReplyDeleteतब शायद कुछ हो सके,समय बचा है अल्प.
....बहुत सच कहा है....सार्थक संदेश देते बहुत सुन्दर दोहे...
बहुत ही अच्छी कविता । मेरे नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसटीक दोहे ..बहुत खूब
ReplyDeleteसारी दैवी आपदा,के तुम जिम्मेदार.
ReplyDeleteपहले मनमानी किया,लेकिन अब लाचार.
वन संरक्षण हेतु लो,सामूहिक संकल्प.
तब शायद कुछ हो सके,समय बचा है अल्प.
सटीक दोहे
कभी कहीं भू-स्खलन,कभी कहीं भूचाल.
ReplyDeleteदूषित पर्यावरण से ,जन-जीवन बेहाल....
सटीक हर दोहा सामयिक चेतावनी देता हुवा ... अभी भी समय है सुधरने का ..
लाजवाब ...
सुन्दर सन्देश...
ReplyDeleteपर्यावरण बनाइये,आप प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteहिल मिल करके कीजिये,सब प्रयास संयुक्त.
सही कहा है आपने कि पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये संयुक्त प्रयास आवश्यक है.
सुखमय वातावरण हो,हो आमोद-प्रमोद.
ReplyDeleteहरी-भरी दिखती रहे,सदा प्रकृति की गोद.
दूषित पर्यावरण है,आप मनायें खैर.
जमा चुका है पैर यूँ,ज्यूँ अंगद के पैर.
wah Bhai Kushmesh ji ,,,,,apke dohe vakai bahut prabhavshali hai .....badhai ke sath abhar bhi
काफी सराहनीय एवं सार्थक दोहे हैं।
ReplyDeleteकाफी सराहनीय एवं सार्थक दोहे हैं।
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