कुँवर कुसुमेश
तड़पता आदमी सब्रो-क़रार क्या जाने .
जो नफ़रतों में पला हो वो प्यार क्या जाने .
चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
ख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .
दिलों के बीच में उठती दिखाई देती है,
उठाई तुमने कि हमने दिवार क्या जाने .
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
बिखरना,टूटना सीखा है तड़पती शै ने,
ये दिल है ये भला बातें हज़ार क्या जाने .
न जाने दोस्त समझता है या कोई दुश्मन,
करे 'कुँवर' कोई किसमें शुमार क्या जाने .
*****
तड़पता आदमी सब्रो-क़रार क्या जाने .
ReplyDeleteजो नफ़रतों में पला हो वो प्यार क्या जाने .
चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
ख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .bahut khubsurat gazal hai Kunwar Kusumesh ji
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बिखरना,टूटना सीखा है तड़पती शै ने,
ReplyDeleteये दिल है ये भला बातें हज़ार क्या जाने .
बहुत उम्दा शेर..बधाई इस सुंदर रचना के लिए..
बढ़िया गजल-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
ReplyDeleteख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .,,,,
वाह !!! बहुत उम्दा गजल ,,,,बधाई कुशमेश जी,,,
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कमाल के शेर कहे हैं आपने कुसुमेश जी! बहुत ही अच्छी लगी ग़ज़ल. मतला का तो जवाब ही नहीं. बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteक्या बात
ReplyDeleteबहुत बढिया
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
ReplyDeleteभरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
Bahut Khoob....
उम्दा ...
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteवाह...
वाह....
बहुत खूबसूरत गज़ल है...
कोई एक शेर की तारीफ करूँ तो दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी !
सुभानल्लाह...
दिलों के बीच में उठती दिखाई देती है,
उठाई तुमने कि हमने दिवार क्या जाने .
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
ReplyDeleteभरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
गम्भीर!!
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
ReplyDeleteभरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने ...
बहुत लाजवाब गज़ल है ... हर शेर कमाल है ...
सभी एक से बढ़कर एक शेर .....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल ,महोदय....
साभार ............
मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
ReplyDeleteभरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
हर शेर कमाल लाजवाब गज़ल
ati sundar......wah
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