Monday, March 11, 2013

उठाई तुमने कि हमने दिवार क्या जाने .


कुँवर कुसुमेश 

तड़पता आदमी सब्रो-क़रार क्या जाने .
जो नफ़रतों में पला हो वो प्यार क्या जाने .

चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
ख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .

दिलों के बीच में उठती दिखाई देती है,
उठाई तुमने कि हमने दिवार क्या जाने .

मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .

बिखरना,टूटना सीखा है तड़पती शै ने,
ये दिल है ये भला बातें हज़ार क्या जाने .

न जाने दोस्त समझता है या कोई दुश्मन,
करे 'कुँवर' कोई किसमें शुमार क्या जाने .
*****

16 comments:

  1. तड़पता आदमी सब्रो-क़रार क्या जाने .
    जो नफ़रतों में पला हो वो प्यार क्या जाने .

    चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
    ख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .bahut khubsurat gazal hai Kunwar Kusumesh ji
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  2. बिखरना,टूटना सीखा है तड़पती शै ने,
    ये दिल है ये भला बातें हज़ार क्या जाने .

    बहुत उम्दा शेर..बधाई इस सुंदर रचना के लिए..

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  3. बढ़िया गजल-
    आभार आदरणीय-

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  4. चमन की बात ही करना है तो चमन से करो,
    ख़िज़ाँ , ख़िज़ाँ है महकती बहार क्या जाने .,,,,

    वाह !!! बहुत उम्दा गजल ,,,,बधाई कुशमेश जी,,,

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

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  5. कमाल के शेर कहे हैं आपने कुसुमेश जी! बहुत ही अच्छी लगी ग़ज़ल. मतला का तो जवाब ही नहीं. बधाई स्वीकार करें.

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  6. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  7. मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
    भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .

    Bahut Khoob....

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  8. वाह...
    वाह...
    वाह....
    बहुत खूबसूरत गज़ल है...
    कोई एक शेर की तारीफ करूँ तो दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी !
    सुभानल्लाह...

    दिलों के बीच में उठती दिखाई देती है,
    उठाई तुमने कि हमने दिवार क्या जाने .

    मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
    भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .

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  9. मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
    भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .
    गम्भीर!!

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  10. बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

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  11. मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
    भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने ...

    बहुत लाजवाब गज़ल है ... हर शेर कमाल है ...

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  12. सभी एक से बढ़कर एक शेर .....
    बहुत बढ़िया ग़ज़ल ,महोदय....
    साभार ............

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  13. मिले हैं अपने पराये सभी से जिसको फ़रेब,
    भरोसा कैसे करे,ऐतबार क्या जाने .

    हर शेर कमाल लाजवाब गज़ल

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