Friday, June 27, 2014

बरस जाओ


अजब गर्मी है बिजली और पानी को तरस जाओ। 

अजी मौसम की इच्छा है कि गर्मी में झुलस जाओ।। 

हमें बरसात की छुट-पुट फुहारें व्यर्थ लगती हैं ,

कि अब तो जून भी है ख़त्म होने को,बरस जाओ।।

-कुँवर कुसुमेश 

7 comments:

  1. अब तो बरसना ही होगा..

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  2. का वर्षा जब कृषि सुखानी...अब तो बरस जाओ महाराज...

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  3. अब तो बरसने ही वाला है

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  4. वाह भाई जी , मंगलकामनाएं आपको !

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  5. बहुत खूब .. अब फुहारों से काम नहीं चलता ... बरसो जैम कर बरसो ...

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