Sunday, October 18, 2015

अरहर की दाल................


दो दोहे
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उफ़ अरहर की दाल ने,हाल किया बेहाल। 
दो सौ रुपया प्रति किलो,से ऊपर है दाल।

यूँ अरहर की दाल को,निर्धन से मत छीन। 
निर्धन पायेगा भला , कैसे अब प्रोटीन। । 
-कुँवर कुसुमेश

5 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 19 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. भाई...
    सादर नमन..
    कल ब्लाग में जरूर पधारें
    अगर फॉलो भी करें तो
    तसल्ली होगी

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  3. यूँ अरहर की दाल को,निर्धन से मत छीन।
    निर्धन पायेगा भला , कैसे अब प्रोटीन। ।
    ..किसको चिंता ..अच्छे दिन है?

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  4. जिन्हे सिर्फ दाल रोटी नसीब होती है उनका दर्द कौन समझे भाई।

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