Thursday, November 18, 2010

पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब

कुँवर कुसुमेश

किसी को इब्ने-मरियम से,किसी को राम से मतलब.
किसी को दोस्तों, पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब.

हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.

उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब.

हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब. 

कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.

' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
 -----------------
इब्नेमरियम-मरियम का बेटा/ईसा मसीह,पैग़म्बरेइस्लाम - इस्लाम का ईशदूत,
सुर्खियेकोहराम-हाहाकार का आलम,बरहना-निर्वस्त्र, बाम-छत,सुखनवर-शायर, गुल-फूल,
गुलफ़ाम-फूल जैसी कोमल शरीर वाली,फ़क़त-केवल, दैरोहरम-मंदिर-मस्जिद  

37 comments:

  1. वाह वाह कुँवर साहब
    एक एक शेर बेहतरीन है

    खासकर ये बहुत अच्छे गें

    उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
    निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब.

    कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
    उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.

    ReplyDelete
  2. किसी को इब्ने-मरियम से, किसी को राम से मतलब
    किसी को दोस्तों, पैग़म्बरे- इस्लाम से मतलब

    कुसुमेश जी, बहुत भावपूर्ण ग़ज़ल लिखी है आपने।

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत ग़ज़ल................साधारण भाषा किन्तु गहराई लिए हुए

    ReplyDelete
  4. कुंवर साहब आप की इस ग़ज़ल के हर एक शेर की जितनी तारीफ की जाए कम है.
    हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
    इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.
    आप को पढने का सुख लव्जों मैं बयान नहीं किया जा सकता.

    ReplyDelete
  5. किसी को इब्ने-मरियम से,किसी को राम से मतलब.
    किसी को दोस्तों, पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब...

    आदरणीय कुंवर जी ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है ... हर शेर लाजवाब है ...

    ReplyDelete
  6. Kaviyo ki praathamikta badal gayi hai wo isse prateet hota hai....

    कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
    उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब

    isis sandarbh me subhadra kumari chouhaan ne kaha tha:
    भूषन अथवा कवि चंद नहीं बिजली भर दे वो छंद नहीं.
    अब हमें बतावे कौन हंत, वीरो का कैसा हो वसंत.

    rajesh kumar "Nachiketa"
    http://swarnakshar.blogspot.com

    ReplyDelete
  7. .

    सबको अपनी ही फ़िक्र है। जरूरत है अपने स्वार्थी मन से लड़ने की।

    .

    ReplyDelete
  8. कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
    उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.


    ' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
    फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.


    ग़ज़ल के ये दोनों शेर लाजवाब हैं कुंवर सा’ब,

    बात पूरी ग़ज़ल में अपने मौजू से खुलकर दोचार होती है..

    मेरे ब्लाग में आकर हिदायत ओ इस्सलाह का शुक्रिया..

    ReplyDelete
  9. कुंवर साहब आपकी यह ग़ज़ल आज की दुरूह परिस्थितियों का सच्‍चा लेखा-जोखा सामने रखती है । हर शे’र लाजवाब है।
    हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
    न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
    हम मामूली लोगों को सत्ता और तंत्र के नियंताओं ने अपनी नीति से बाहर निकाल फेंका है। इस लोकतंत्र में आम लोगों की अहमियत सिर्फ एक वोट की रह गई है। इस लोकतंत्र में इस आम लोग को ध्‍यान में रखकर, उनकी जिंदगी उनकी समस्‍या को ध्‍यान में रखकर कोई विधिविधान नहीं बनाया जाता।
    आपने अपनी ग़ज़ल में आज के समय को लेकर कई जरूरी सवाल खड़े किए हैं। विगत कुछेक दशकों में हमारा समय जितना बदला है उसकी चिंता आपकी ग़ज़ल में बहुत ही प्रमुख रूप में दिखाई देती है। हमने इस बदले समय में जिस तरह से अपनी पुरानी समृतियों को पोंछ डाला है, वह चिंता का विषय है।

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन ग़ज़ल.... ज़बरदस्त!

    ReplyDelete
  11. हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
    इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.

    कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
    उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.

    एक एक शेर के काफी गहरे अर्थ है ,
    काफी दिनों बाद ऐसी kताज़ातरीन कोई ग़ज़ल पढ़ी है ,
    बहुत बहुत शुक्रिया

    dabirnews.blogspot.com

    ReplyDelete
  12. आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।

    ReplyDelete
  13. "kai achchhe sukhanvar hain kalam me jinki takat hai,
    unhe daroo se matlab ya gulo-gulfam se matlab"
    lajawab sher !
    waise to poori ki poori gazal hi achchhi lagi.

    ReplyDelete
  14. हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
    न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.

    आज के नेताओं का सच लिख दिया है आपने इस शेर में ... बहुत ही उम्दा शेर ..

    हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
    इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.

    वाह .. आज की पीड़ी को सच्छे से बयान किया है .. गिरते मूल्यों को लाजवाबी से पेश किया है ....

    वैसे इस ग़ज़ल का शेर काबिले तारीफ है ...

    ReplyDelete
  15. 21 century ko aaina dikhatee aapkee gazal ka har sher ek se bad kar ek hai............
    lajawab .

    ReplyDelete
  16. गज़ब का लिखते हो यार ! शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  17. आज से आपको भविष्य में पढने के लिए फालो कर रहा हूँ ! सादर

    ReplyDelete
  18. Sir pahli baar apka blog padne ka mauka haath me aaya. Dil Khush ho gaya. mujhe to itni pasand aai ki maine aapka blog follow kar liya hai.

    ReplyDelete
  19. हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
    न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
    आज की राजनीति को बनकाब करता सच्चा शेर...

    उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
    निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब...
    बहुत सही कहा आपने.
    अच्छी गज़ल रही.

    ReplyDelete
  20. बहुत सुन्दर भाषा में आपने बेहतरीन ढंग से आज के समाज की हालत सुना दी है ... लाजवाब !
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ... फोलो कर लिया है !

    ReplyDelete
  21. बेहद उम्दा ग़ज़ल. आपने अपनी इस ग़ज़ल में सच्चाई का वर्णन किया है. कुछ शेर तो बहुत ही उम्दा बन पड़ें हैं.

    ReplyDelete
  22. अपने आसपास के परिवेश में मौजूद विसंगतियों और कटु सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती, भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति, जो किसी को भी सोचने के लिए विवश कर दे. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  23. आज के हालत पर करारा व्यंग्य करती हुई एक बेहतरीन ग़ज़ल !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  24. ' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
    फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
    -.. bahut hi badhiyaa

    ReplyDelete
  25. मासूम साहब से सहमत .
    मालिक आपकी मरिफत को गहरा और बुलंद करे .आमीन

    ReplyDelete
  26. बहुत सुन्दर और शानदार ग़ज़ल प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!

    ReplyDelete
  27. कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
    फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.

    Behtreen gazal... sunder aur prabhavi abhivykti

    ReplyDelete
  28. behatreen ... laajawaab aur bahut sachhi bhi....
    regards
    manjula

    ReplyDelete
  29. समय और सामाजिक सरोकार से जुडा
    एक एक शेर सोचने पर मजबूर करता है

    ReplyDelete
  30. हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
    न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.

    ReplyDelete
  31. बहुत खूब है सर जी... एक बात कहूँ, नाराज़ मत होइएगा... आपने तो सभी को लपेटे में ले लिया... मज़ा आ गया पढ़कर... बस वो जो नई पीढी के बारे में लिखा है, मुझे उससे अलग ही रखियेगा... :)

    ReplyDelete
  32. श्रीमान को सादर प्रणाम, सुन्दर रचना के लिए आपका धन्यवाद, आप ऐसे ही लिखते रहें, यही ईश्वर से प्रार्थना है.

    ReplyDelete
  33. aaj k time ko rachana k madyam se bahut ache se racha hai...very beautifully written...bhadai !

    ReplyDelete