पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब
कुँवर कुसुमेश
किसी को इब्ने-मरियम से,किसी को राम से मतलब.
किसी को दोस्तों, पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब.
हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब.
हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.
कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.
' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
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इब्नेमरियम-मरियम का बेटा/ईसा मसीह,पैग़म्बरेइस्लाम - इस्लाम का ईशदूत,
सुर्खियेकोहराम-हाहाकार का आलम,बरहना-निर्वस्त्र, बाम-छत,सुखनवर-शायर, गुल-फूल,
गुलफ़ाम-फूल जैसी कोमल शरीर वाली,फ़क़त-केवल, दैरोहरम-मंदिर-मस्जिद
वाह वाह कुँवर साहब
ReplyDeleteएक एक शेर बेहतरीन है
खासकर ये बहुत अच्छे गें
उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब.
कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.
किसी को इब्ने-मरियम से, किसी को राम से मतलब
ReplyDeleteकिसी को दोस्तों, पैग़म्बरे- इस्लाम से मतलब
कुसुमेश जी, बहुत भावपूर्ण ग़ज़ल लिखी है आपने।
वाह्! बेहतरीन...
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल................साधारण भाषा किन्तु गहराई लिए हुए
ReplyDeleteकुंवर साहब आप की इस ग़ज़ल के हर एक शेर की जितनी तारीफ की जाए कम है.
ReplyDeleteहमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.
आप को पढने का सुख लव्जों मैं बयान नहीं किया जा सकता.
किसी को इब्ने-मरियम से,किसी को राम से मतलब.
ReplyDeleteकिसी को दोस्तों, पैग़म्बरे - इस्लाम से मतलब...
आदरणीय कुंवर जी ... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है ... हर शेर लाजवाब है ...
... behatreen ... laajawaab !!!
ReplyDeleteKaviyo ki praathamikta badal gayi hai wo isse prateet hota hai....
ReplyDeleteकई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब
isis sandarbh me subhadra kumari chouhaan ne kaha tha:
भूषन अथवा कवि चंद नहीं बिजली भर दे वो छंद नहीं.
अब हमें बतावे कौन हंत, वीरो का कैसा हो वसंत.
rajesh kumar "Nachiketa"
http://swarnakshar.blogspot.com
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ReplyDeleteसबको अपनी ही फ़िक्र है। जरूरत है अपने स्वार्थी मन से लड़ने की।
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कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
ReplyDeleteउन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.
' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
फ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
ग़ज़ल के ये दोनों शेर लाजवाब हैं कुंवर सा’ब,
बात पूरी ग़ज़ल में अपने मौजू से खुलकर दोचार होती है..
मेरे ब्लाग में आकर हिदायत ओ इस्सलाह का शुक्रिया..
कुंवर साहब आपकी यह ग़ज़ल आज की दुरूह परिस्थितियों का सच्चा लेखा-जोखा सामने रखती है । हर शे’र लाजवाब है।
ReplyDeleteहमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
न बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
हम मामूली लोगों को सत्ता और तंत्र के नियंताओं ने अपनी नीति से बाहर निकाल फेंका है। इस लोकतंत्र में आम लोगों की अहमियत सिर्फ एक वोट की रह गई है। इस लोकतंत्र में इस आम लोग को ध्यान में रखकर, उनकी जिंदगी उनकी समस्या को ध्यान में रखकर कोई विधिविधान नहीं बनाया जाता।
आपने अपनी ग़ज़ल में आज के समय को लेकर कई जरूरी सवाल खड़े किए हैं। विगत कुछेक दशकों में हमारा समय जितना बदला है उसकी चिंता आपकी ग़ज़ल में बहुत ही प्रमुख रूप में दिखाई देती है। हमने इस बदले समय में जिस तरह से अपनी पुरानी समृतियों को पोंछ डाला है, वह चिंता का विषय है।
बेहतरीन ग़ज़ल.... ज़बरदस्त!
ReplyDeleteहमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
ReplyDeleteइन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.
कई अच्छे सुख़नवर हैं,क़लम में जिनकी ताक़त है,
उन्हें दारू से मतलब या गुलो-गुलफ़ाम से मतलब.
एक एक शेर के काफी गहरे अर्थ है ,
काफी दिनों बाद ऐसी kताज़ातरीन कोई ग़ज़ल पढ़ी है ,
बहुत बहुत शुक्रिया
dabirnews.blogspot.com
आपकी गजलें सच्चाई के बेहद करीब होती हैं।
ReplyDelete---------
वह खूबसूरत चुड़ैल।
क्या आप सच्चे देशभक्त हैं?
sunder gazal... bahoot gahre bhav hai.
ReplyDeleteआपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
ReplyDelete"kai achchhe sukhanvar hain kalam me jinki takat hai,
ReplyDeleteunhe daroo se matlab ya gulo-gulfam se matlab"
lajawab sher !
waise to poori ki poori gazal hi achchhi lagi.
हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
ReplyDeleteन बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
आज के नेताओं का सच लिख दिया है आपने इस शेर में ... बहुत ही उम्दा शेर ..
हमारे देश की चलिए नई पीढ़ी को ले लीजे,
इन्हें है बरहना माशूक़,छज्जा,बाम से मतलब.
वाह .. आज की पीड़ी को सच्छे से बयान किया है .. गिरते मूल्यों को लाजवाबी से पेश किया है ....
वैसे इस ग़ज़ल का शेर काबिले तारीफ है ...
21 century ko aaina dikhatee aapkee gazal ka har sher ek se bad kar ek hai............
ReplyDeletelajawab .
गज़ब का लिखते हो यार ! शुभकामनायें!
ReplyDeleteआज से आपको भविष्य में पढने के लिए फालो कर रहा हूँ ! सादर
ReplyDeleteSir pahli baar apka blog padne ka mauka haath me aaya. Dil Khush ho gaya. mujhe to itni pasand aai ki maine aapka blog follow kar liya hai.
ReplyDeleteहमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
ReplyDeleteन बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
आज की राजनीति को बनकाब करता सच्चा शेर...
उधर बढ़ती हुई आतंकवादी ताक़तों को तो-
निशाना साधना या सुर्खिये-कोहराम से मतलब...
बहुत सही कहा आपने.
अच्छी गज़ल रही.
बहुत सुन्दर भाषा में आपने बेहतरीन ढंग से आज के समाज की हालत सुना दी है ... लाजवाब !
ReplyDeleteमुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ... फोलो कर लिया है !
बेहद उम्दा ग़ज़ल. आपने अपनी इस ग़ज़ल में सच्चाई का वर्णन किया है. कुछ शेर तो बहुत ही उम्दा बन पड़ें हैं.
ReplyDeleteअपने आसपास के परिवेश में मौजूद विसंगतियों और कटु सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती, भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति, जो किसी को भी सोचने के लिए विवश कर दे. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
आज के हालत पर करारा व्यंग्य करती हुई एक बेहतरीन ग़ज़ल !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
' कुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
ReplyDeleteफ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
-.. bahut hi badhiyaa
मासूम साहब से सहमत .
ReplyDeleteमालिक आपकी मरिफत को गहरा और बुलंद करे .आमीन
बहुत सुन्दर और शानदार ग़ज़ल प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!
ReplyDeleteकुँवर ' ऐसा हमें लगने लगा है अब कि मौला को,
ReplyDeleteफ़क़त दैरो - हरम में बैठ के आराम से मतलब.
Behtreen gazal... sunder aur prabhavi abhivykti
behatreen ... laajawaab aur bahut sachhi bhi....
ReplyDeleteregards
manjula
समय और सामाजिक सरोकार से जुडा
ReplyDeleteएक एक शेर सोचने पर मजबूर करता है
हमारे मुल्क के नेताओं को मतलब है वोटों से,
ReplyDeleteन बढ़ती क़ीमतों से है, न बढ़ते दाम से मतलब.
बहुत खूब है सर जी... एक बात कहूँ, नाराज़ मत होइएगा... आपने तो सभी को लपेटे में ले लिया... मज़ा आ गया पढ़कर... बस वो जो नई पीढी के बारे में लिखा है, मुझे उससे अलग ही रखियेगा... :)
ReplyDeleteश्रीमान को सादर प्रणाम, सुन्दर रचना के लिए आपका धन्यवाद, आप ऐसे ही लिखते रहें, यही ईश्वर से प्रार्थना है.
ReplyDeleteaaj k time ko rachana k madyam se bahut ache se racha hai...very beautifully written...bhadai !
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