नीम
(दोहे)
कुँवर कुसुमेश
रेशा-रेशा नीम का,आता सबके काम.
टहनी,पत्ती,फूल,फल,मिल जाते बिन दाम.
नीमों पर आते दिखे,गर्मी में फल-फूल.
गर्मी का मौसम अतः,है इनके अनुकूल.
करें नीम की कोपलें,साफ़ निरंतर खून.
दातों की रक्षा करे,बिन पैसे दातून.
आसपास की वायु को,करे प्रदूषण मुक्त.
स्वच्छ वायु के वास्ते,अतः नीम उपयुक्त.
हरे निबौली नीम की,भांति भांति के रोग.
अतः अनेको व्याधि में,हो इसका उपयोग.
बिन पैसे औषधि मिली,ये क़ुदरत का खेल.
दाद,खाज,कृमि की दवा,मित्र ! नीम का तेल.
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
उसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
*****
neem is full of profits. I wonder if there is any part of that tree we can't use :)
ReplyDeleteNice couplets !!!
Enjoyed it.
आपने नीम की तारीफ़ की और यह हक़ीक़त है।
ReplyDeleteआपकी रचना वाक़ई उम्दा है।
नीम जैसी कड़वी हक़ीक़त यहां भी देखी जा सकती है
हिंदी ब्लॉगिंग का स्तर गिरा रही है हमारी वाणी ,
नीम का पेड़ औषधियों का भण्डार है.
ReplyDeleteबहुत सही बात कही आपने.
सादर
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
बिल्कुल सच है....
बहुत बढ़िया...
nice
ReplyDelete'आँगन तुलसी,द्वारे नीम ;फिर क्यों आये वैद्य-हकीम'को सार्थक करते अनुकरणीय दोहे नितांत जनोपयोगी हैं.
ReplyDeleteबाराबंकी में आपके एवं रवीन्द्र जी के सम्मान प्राप्ति हेतु हार्दिक मुबारकवाद.
neem ke bahut se gun aapne bata diye kavita ke madhyam se
ReplyDeleteनीम पर केंद्रित दोहे....पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने वाला...बहुत खूब...
ReplyDelete-----देवेंद्र गौतम
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
BAHUT ACHCHHA
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
Sach hee kaha aapne!
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
नीम तो सुबह से हाथ में आ जाता है अच्छे दोहे ,बधाई
नीम तो हर रूप में औषधि का भंडार है , चाहे उसकी शाखा , पत्ती या जड़ हो . कविता के रूप में इसके औषधीय गुण को बताने के लिए धन्यवाद .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद है सभी दोहे!
ReplyDeleteआसपास की वायु को,करे प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteस्वच्छ वायु के वास्ते,अतः नीम उपयुक्त.
नीम पर इतने दोहे,इतने अच्छे दोहे,अब भला कडुवाहट किसे याद रहेगी.
sabhi panktiya achhi lagi .........
ReplyDeleteनीम का पेड़ वाकई में बहुत ही आरोग्यवर्धक होता है ! आपकी रचना के हर बंद में उसके गुणों का बड़ी कुशलता के साथ बखान किया गया है ! सबके पढ़ने योग्य बहुत ही ज्ञानवर्धक एक बेहतरीन रचना !
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
बिलकुल सही कहा आपने! उम्दा दोहे.....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनीम की इतनी सारी विशेषताएँ बता दीं आपने दोहों के माध्यम से ..बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह, नीम के बारे में बहुत शानदार तरीके से बताया आपने,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
प्राकृतिक चिकित्सा को पढ़ाने का इससे बेहतर और क्या तरीका हो सकता है. सरल दोहे और माँ के अनुभूत प्रयोग.
ReplyDeleteअत्यंत प्रभावित--
ReplyDeleteनीम के बारे में बहुत शानदार तरीके से
बताया इतनी सारी विशेषताएँ ||
http://neemnimbouri.blogspot.com/
नीम-निम्बौरी
अर्पित पर-हित नश्वर देह, कैसे भला छुपाये पीर |
होय खोखली अन्दर से या बाहर को बह जाये नीर ||
आसपास की वायु को,करे प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteस्वच्छ वायु के वास्ते,अतः नीम उपयुक्त.
हरे निबौली नीम की,भांति भांति के रोग.
अतः अनेको व्याधि में,हो इसका उपयोग...
बहुत बढ़िया और सटीक पंक्तियाँ! नीम बहुत ही उपयोगी है और उसकी विशेषता को आपने बड़े ही सुन्दरता से वर्णन किया है! शानदार प्रस्तुती!
आसपास की वायु को,करे प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteस्वच्छ वायु के वास्ते,अतः नीम उपयुक्त.
हरे निबौली नीम की,भांति भांति के रोग.
अतः अनेको व्याधि में,हो इसका उपयोग...
बहुत बढ़िया ....नीम के वृक्ष के सभी गुण समेट लिए रचना में......
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
वाह ! क्या कहने आपके दोहे के !
नीम की उपयोगिता पर बेहतरीन दोहे मन को मुग्ध कर गए !
आभार! कुसुमेश जी !
अरे वाह, ये तो स्वास्थ्यवर्धक दोहे निकले। बधाई।
ReplyDelete---------
ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
बहुत सुन्दर रचना और उसके माध्यम से बहुत अछ्छी जानकारी दी है आपने.
ReplyDeletebahut sundar sir
ReplyDeleteआसपास की वायु को,करे प्रदूषण मुक्त.
ReplyDeleteस्वच्छ वायु के वास्ते,अतः नीम उपयुक्त.
bahut hi badia ...
कमाल की रचनाएँ होती हैं आपकी कुंवर जी प्रेरक भी और ज्ञानवर्धक भी...इन रचनाओं के माध्यम से बहुत उपयोगी काम कर रहे हैं आप...आप की रचना को हमने कोलोनी के सभी नीम के पेड़ों पर चिपकाने का कार्यक्रम बनाया है हमने ताकि बच्चे युवा बूढ़े इसे पढ़ कर ज्ञान प्राप्त कर सकें...बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteनीरज
बढिया स्वास्थ्यवर्धक कविता :)
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम,
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम।
नीम का महत्व दर्शाते सुंदर दोहे।
आजकल ऐसे नीम-हकीम हो गए हैं जो नीम को हकीम नहीं मानते।
प्रकृति के सान्निध्य में जीवन जीने की प्रेरणा दे रहे हैं ये दोहे।
बहुत उपयोगी जानकारी देती सुन्दर प्रस्तुति..आभार
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल,
ReplyDeleteneem main wakai chupi hui kai aushdiyan hain bahut hi achchi gajal likhi aapne aek naye vishay ke saath badhaai aapko.aabhaar.
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
वाह ... बहुत खूब कहा है नीम की खूबियों के साथ बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteजिसके घर के सामने खडा हुआ है नीम ,
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है सबसे बड़ा हकीम ।
गुण- कारी नीम का गुणगान करिए ,राम प्रभु की भद्रता का ध्यान धरिये ।
वाह क्या बात है ,दोहे का पेटेंट करिए ,
वाह बहुत सुन्दर गज़ल नीम के औषधिय गुणो से लबरेज़ गज़ल पढवाने के लिये आभार्।
ReplyDeleteकुंवर साहब ,वास्तव में व्यक्ति विभिन्न आयामों को समेटे हुए होता है
ReplyDeleteदीदार यों होता जाता है ,जैसे की आयुर्वेद की मूल्यवान प्रतिभूति का सरलता से परिचय करा देना . इस विशिष्टता का सादर साधुवाद .
bahut achha, koshish karen hum bhi ek hakeem ghar me hi ugaa len!!!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ कर तो नीम भी मीठी लगने लगी है। बेहतरीन, लाजवाब।
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम...
नीम की उपयोगिता और उसकी विशेषता का आपने बड़ी ही सुन्दरता से वर्णन किया है! सुन्दर ज्ञानवर्धक, स्वास्थ्यवर्धक प्रस्तुती........
वाह क्या बात है
ReplyDeleteनीम की खूबियों के साथ
बहुत उपयोगी जानकारी देती सुन्दर प्रस्तुति.....आभार
नीम के गुणो को बड़ी ही सुन्दरता से वर्णन किया है!
ReplyDelete..........आपका आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए
नीम पर केंद्रित दोहे....स्वास्थ्यवर्धक भी प्रेरक भी और ज्ञानवर्धक भी...आभार !
ReplyDeleteहरे, निबौली नीम की,भांति भांति के रोग |
ReplyDeleteअतः अनेको व्याधि में,हो इसका उपयोग || bemisaal kamaal kiya hai aapne. shukriya
बहुत खूब कहा है नीम की खूबियों के साथ बेहतरीन शब्द रचना ।
ReplyDeleteनीम के गुण धर्म बखूबी बयां किये हैं..बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteअच्छे और महत्त्वपूर्ण दोहे
ReplyDeletesare fayde bata diye ...
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
.
आयुर्वेद का ज्ञान भी अच्छा है और कवि तो आप बेहतरीन हैं ही.
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
bahut badhia prastuti .
ज्यों सबसे बड़ा है नीम हकीम
ReplyDeleteत्यों आपकी लेखनी है बेहतरीन....
आभार ...आभार ..आभार.....
आपके पर्यावरण प्रकृति प्रेम को नमन!! कुशुमेश जी!!
ReplyDeleteआपकी यह नीम स्तुति वृक्षों के मानव उपयोगी अवदान स्वरूप है।
इसी प्रकार ही हमारी संस्कृति नें औषधीय गुणों से युक्त वृक्षों की सदैव ही पूजा स्तुति की है।
क्या ही योगानुयोग है कि दो दिन से बुखार था और आपकी यह औषधीय गुण युक्त पोस्ट!!
नीम का पेड सचमुच ही बडा गुणकारी है पर प्रकृति से दूर होकर हम इन प्राकुतिक चीजों के महत्व को नही समक्ष सकते ।
ReplyDeletetarif ke liye shabda nahi hai ...shreshtha rachana
ReplyDeleteप्रकृति और पर्यावरण पर जिस तरह आप कविता कर रहे हैं हिंदी साहित्य में वैसा दूसरा कोई नहीं कर रहा.. बड़ी बात यह है कि कविता के तौर पर भी यह पूरी तरह मुक्कमल होती हैं... प्राचीन विधा, नवीन विषय.. सुन्दर समन्वय... हमारा मंत्रालय नीम परियोजना पर काम कर रहा है.. उनके लिए यह कविता एक प्रेरणा का काम करेगी.. उन्ही यह कविता भिजवा दी है...
ReplyDeletebilkul sahi baat hai. sadiyon se ye chali aa rahi hai.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया|
ReplyDeleteभाई कुंवर कुशमेश जी नमस्ते |बहुत ही उपयोगी वृक्ष पर आपके दोहे लिखे गये हैं बधाई |जर्मनी के एक वैज्ञानिक ने कहा था कि नीम से सिर्फ़ इतना नुकसान है कि कोई पेड़ पर चढ़कर गिरे और उसकी टांग टूट जाये बाकी सब फायदे ही फायदे हैं |
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम. It is nothing but easiest GOD gift.
सुंदर दोहे, सम सामयिक विषय पर| बधाई स्वीकार करें|
ReplyDeleteवाह क्या बात है रचना के द्वारा नीम के इतने सारे फायदे जानने को मिले हमारे घर के सामने तो बहुत सारे नीम के पेड़ हैं दोस्त , बहुत सुन्दर रचना और इतने सारे फायदों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया |
ReplyDeleteदेर से आने की माफ़ी |
Sir ji ....behad saarthak dohe likhe hain.
ReplyDeleteHar dohe ke liye daad kabool kijiye.
.
ReplyDeleteजिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
उसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम। ...
नीम तो औषधीय गुणों की खान है । कविता के माध्यम से अच्छा बताया है।
.
Dear Kushumesh ji.....
ReplyDeleteYou are right. But my point is that in the modern time , it's not very usual to use NEEM daatun. Isn't it?
सर जी ,आपने तो एक तीर से दो निशाने लगा दिए-नीम की महिमा तो बताई ही साथ ही पर्यावरण के लिए पेड़ के महत्व को भी उजागर कर दिया.अत्यंत प्रेरणादायी गजल.
ReplyDeleteवाह कुसुमेश जी ,
ReplyDeleteअपने सुन्दर दोहों के माध्यम से नीम के औषधीय गुणों को बहुत सुन्दर और सहज ढंग से बताया आपने |
ये हुआ न 'आम के आम गुठलियों के दाम '
.................बहुत सुन्दर
जिस तरह से आपने नीम जैसे मेडिसिनल प्लाण्ट के गुणों को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है, इस तरह की आपकी रचनाओं को स्कूल के पाठ्यपुस्तकों में स्थान मिलना चाहिए ताकि विद्यार्थी एक सहज सरल गेय भाषा में सीख सकें।
ReplyDeletehamesha ki tarah bahut sundar aur laabhkaari...
ReplyDeleteअच्छी लगी रचना ....... वैसे ये ’नीम’मुझे एक वॄक्ष कम मानवीय प्रकॄति अधिक लगी ...... जिसके वचन हमें कड़वे लगते हैं वही सबसे बड़े हितैषी होते हैं :)
ReplyDeleteसादर !
नीम के पौधे को लेकर
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत दोहे कहे हैं
हर बात
किसी न किसी रूप में
किसी न किसी के ज़रूर काम आएगी
आभार .
कुसुमेश जी सबसे पहले तो क्षमा प्रार्थी हूँ देर से आपके ब्लॉग पर आने के लिए आपकी कवितायेँ हमेशा ही बहुत प्रेरणादाई और मधुर होती हैं.ये भी उनमे से एक है प्रकृति का बेहद सुन्दर उपहार है नीम ऊपर से अपने तो चार चाँद और लगा दिए हैं मैं आपको अपनी एक पुरानी नीम पर लिखी कविता पढवा रही हूँ
ReplyDeleteसादर
"आसरा
दूर से निहारती हूँ तुम्हें.
सुना है,
गुणों का अकूत भंडार हो तुम.
वैसे, हूँ तो मैं भी.
तुम में भी एक दोष है,
और मुझ में भी.
तुम्हारा असह्य कड़वापन,
जो शायद तुम्हारे लिए राम बाण हो
और मेरा, दुर्बल शरीर.
मुझे चाहिए,
एक सहारा सिर्फ रोशनी पाने के लिए.
सोचती हूँ फिर क्यों न तुम्हारा ही लूँ.
अवगुण कम न कर सकूँ तो क्या,
गुण बढ़ा तो लूँ.
आओ हम दोनों मिलकर
कुछ नया करें.
किसी असाध्य रोग की दवा बनें.
दूर से निहारती हूँ तुम्हें,
जानती हूँ, मैं अच्छी हूँ,
पर बहुत अच्छी बनना चाहती हूँ.
कहते हैं,
नीम पर चढ़ी हुई गुर्च बहुत अच्छी होती है.
बोलो! क्या दोगे मुझे आसरा,
अपने चौड़े विशाल छतनार वक्षस्थल पर? "
bahut khoob
ReplyDeleteनीम पर आपके दोहे पढ़कर घाघ कवि की कहावतें याद आ गईं। व्यावहारिक ज्ञान देने वाले अच्छे दोहे।
ReplyDeleteनीम हकीम खतरनाक हो सकता है , मगर नीम तो खुद हकीम ही है ...
ReplyDeleteसुन्दर दोहे !
जिसके घर के सामने,खड़ा हुआ है नीम.
ReplyDeleteउसके घर मौजूद है,सबसे बड़ा हकीम.
नीम है ही ऐसा गुणी । बहुत सुंदर ।
बहुत सुन्दर रचना,
ReplyDeleteबहुत अछ्छी जानकारी
बड़े दिन बाद आपका आशीर्वाद लेने आ पाया ...
ReplyDeleteयहाँ तो बहुत अच्छा नज़ारा है दादा !
नीम से हम लोगों के यहाँ ८०% बीमारियों का इलाज़ हो जाता था घर में मगर अब क्या कहूं ना वो घर है ना वो नीम !
bahut hi sunder ankari di aapne neem ki ...........
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