बहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी ! गज़ल संग्रह की समीक्षा बहुत ही शानदार है और इस पुस्तक को आद्योपांत पढ़ने की जिज्ञासा मन में जगाती है ! अच्छी लगी यह समीक्षा !
कुंवर कुसुमेश जी ! किसी को कुछ हासिल हो या न हो लेकिन हमें तो अख़बार में आपका फ़ोटो देखकर ही ख़ुशी हासिल हो गई है। आपकी शायरी मक़सद से भरी है। आपको पैग़ाम जितना ज़्यादा आम होए अच्छा है। बधाई ! ‘क्या ईश्वर ने हमें दुख भोगने के लिए पैदा किया है ?‘
mubarak ho sir ! sangrah aur sangrah kee samiksha dono achchhe lage.... aapke agle sankalan kee pratiksha me... ek post me prakashak ka naam aur pata dijiye ki log pustak mangwa saken....
कुंवर कुसुमेश जी "ग़ज़ल संग्रह "कुछ न हासिल हुआ कृपया १०१३ ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै दिल्ली -११० -०२३ पर कूरिअर या स्पीड पोस्ट से भिजवाने की व्यवस्था करें .साथ में अपना बैंक एकाउंट नंबर भी ताकि देय राशि पुस्तक की कीमत ,डाक खर्च चुकाया जा सके . २० जुलाई२०११ को भारत पहुँच रहा हूँ ।(दूर ध्वनी भारत में :०९८७३२४६४३४ ). वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ) ४३३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,केंटन (मिशिगन ) ४८ १८८ ,ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर आपको हार्दिक बधाई . दूर ध्वनी :००१-७३४-४४६ -५४५१ जब भारत में दिन होता है यहाँ रात होती है .मसलन जब वहां सुबह के आठ बजतें हैं तो यहाँ रात्री के साढ़ेदस बजतें हैं .भारत के समय में ढाई घंटा जोड़ के दिन को रात समझें यहाँ का समय आ जाएगा .यहाँ चार टाइम जोंस हैं .हम ईस्ट -र -न टाइम ज़ोन में हैं .यहाँ वेस्ट और ईस्ट टाइम जोंस में ही तीन घंटे का फासला है .
बहुत सुन्दर समीक्षा ! कुसुमेश जी आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com/ http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
gajal sangrah ki samiksha ke liye bahut bahut badhaai.aapki lekhni ke to hum sab waise hi kayal the .aapki pustak padhne ka moka milega to yea hamaaraa sobhagya hoga.aage lekhan ke liye bahut shubkamnayen.
कुसमेश सर,सुंदर एवं लाजवाब ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई स्वीकार करें.। इस समीक्षा ने आपको और अधिक समझने अवसर प्रदान किया है . पढ़कर अच्छा लगा .संग्रह के लिए बधाई.....
कुंवर जी सर्व प्रथम आप आपके दूसरे ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें. आपकी पुस्तक प्रकाशन के बारे में जानने के बाद से उसे पढने की उत्सुकता अपने चरम सीमा पर है...आपको ब्लॉग पर जब जब पढता हूँ मुझे आपकी रचनाओं से कुछ न कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है. उम्मीद करता हूँ के जल्द ही मुझे आपकी पुस्तक पढने का सुअवसर मिलेगा.
कुशुमेश जी! आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं... बहुत खुशी हुवी जान कर की आपका गजल संग्रह कुछ ना हासिल हुवा प्रकाशित हुवा... अब ये पुस्तक कही भी मिलेगी जरूर इसको हम इसे प्राप्त करना चाहेंगे
aadarniy sir net ki jyada hi gadbadi se kahin koi bhi comment nahi daal pa rahi hun . kal bhi thodi hi der ke liye net aaya aur jaise hi maine comment daal kar post par clik kiya net chala gaya aaj fir koshish kar rahi hun isi liye jaldi se likh rahi hun sir,,--aapko gazal samixha pustak ke prakashan ke liye dil se bahut bahut badhai . akhbaar me bahut hi choote akxharo me likha tha eir bhi koshish kar ke padh gai .punah hardik naman dhanyvaad sahit poonam
कुश्मेश जी,दिल खुश हो गया इस review को पढ़कर.
ReplyDeleteआपकी कलम को सलाम.
कुंवर जी, लाजवाब! संग्रह की बधाई। समीक्षा ने आपको समझने का एक और मौक़ा दिया।
ReplyDeleteआपकी दी हुई इस पुस्तक को तो मैं पढ़ ही चुका था अब अखबार मैं देख के अच्छा लगा.
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई..... अच्छा लगा यह समीक्षा पढ़कर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी ! गज़ल संग्रह की समीक्षा बहुत ही शानदार है और इस पुस्तक को आद्योपांत पढ़ने की जिज्ञासा मन में जगाती है ! अच्छी लगी यह समीक्षा !
ReplyDeleteहमारी ओर से भी मुबारकबाद कुबूल करें| बहुत सुंदर समीक्षा की राज जी उनका भी आभार .....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी ||
ReplyDeleteऐब और हुनर में कोई फर्क नहीं रह गया----
जिंदगी के लिए जरुरी है लज्जते ढूंढ़ लेना जहर में--
१५०/- में ये "मुसीबत" मैं भी लाना चाहता हूँ |
श्रीमान जी मुसीबत का पता बताइए --
कैसे मिल सकती है--
कुंवर कुसुमेश जी ! किसी को कुछ हासिल हो या न हो लेकिन हमें तो अख़बार में आपका फ़ोटो देखकर ही ख़ुशी हासिल हो गई है।
ReplyDeleteआपकी शायरी मक़सद से भरी है। आपको पैग़ाम जितना ज़्यादा आम होए अच्छा है।
बधाई !
‘क्या ईश्वर ने हमें दुख भोगने के लिए पैदा किया है ?‘
Correction :
ReplyDeleteआपका पैग़ाम जितना ज़्यादा आम हो अच्छा है।
बेहतरीन काव्य -मञ्जूषा ....बधाईयाँ जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteसुन्दर समीक्षा को शेअर करने के लिए आभार!
खूनसूरत गज़ल संग्रह के लिये बेहतरीन समीक्षा। ये गज़ल संग्रह कहाँ से मिलेगा? बहुत बहुत शुभकामनायें।
ReplyDeleteसमीक्षा से सोचने का अवसर मिलता है. बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeletemubarak ho sir ! sangrah aur sangrah kee samiksha dono achchhe lage.... aapke agle sankalan kee pratiksha me... ek post me prakashak ka naam aur pata dijiye ki log pustak mangwa saken....
ReplyDeleteआपको बधाईयाँ......
ReplyDeleteआपका आध्यात्मिक पहलू भी नज़र आता है.
सज्दा खुदा के सामने करना फ़जूल है,
मन मे तुम्हारे साफ़ जो नीयत नही रही.
हमारी ओर से भी मुबारकबाद कुबूल करें
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteइस ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई...और बहुत बहुत शुभकामनाएं मेरी ओर से भी!
ReplyDeleteबधाई इस गज़ल संग्रह क्र प्रकाशन के लिये!
ReplyDeleteराजेन्द्र जी नें समीक्षा भी सत्यपरक की है। उन्हें धन्यवाद!!
मुखपृष्ठ पर आपका ही चित्र है शायद!! पुनः बधाई!! शुभकामनाएँ
गजल-संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत मुबारकवाद.इसी प्रकार और भी आपकी पुस्तकें शीघ्र सबके सामने आयें हम यही कामना करते हैं.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी!
ReplyDeleteआदरणीय कुसुमेश जी,
ReplyDeleteग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
समीक्षा में आपके रचना-संसार की सुंदर झलक स्पष्ट परिलक्षित हो रही है।
kyaa baat hai....
ReplyDeletebahut bahut badhai sir...
"kuchh na haasil hua zindagi bhar".....ek sach...bahut khoobsoorat....
jaise mauka milega aapki pustak sheeghra hi prapt karunga....
बहुत बहुत बधाई हो। हम जैसों के लिए आप आर्दश है। आपकी लेखनी इसी तरह चलती रहे।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteapko bhut bhut bdhaai...
ReplyDeleteकुंवर कुसुमेश जी "ग़ज़ल संग्रह "कुछ न हासिल हुआ कृपया १०१३ ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै दिल्ली -११० -०२३ पर कूरिअर या स्पीड पोस्ट से भिजवाने की व्यवस्था करें .साथ में अपना बैंक एकाउंट नंबर भी ताकि देय राशि पुस्तक की कीमत ,डाक खर्च चुकाया जा सके .
ReplyDelete२० जुलाई२०११ को भारत पहुँच रहा हूँ ।(दूर ध्वनी भारत में :०९८७३२४६४३४ ).
वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
४३३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,केंटन (मिशिगन )
४८ १८८ ,ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर आपको हार्दिक बधाई .
दूर ध्वनी :००१-७३४-४४६ -५४५१
जब भारत में दिन होता है यहाँ रात होती है .मसलन जब वहां सुबह के आठ बजतें हैं तो यहाँ रात्री के साढ़ेदस बजतें हैं .भारत के समय में ढाई घंटा जोड़ के दिन को रात समझें यहाँ का समय आ जाएगा .यहाँ चार टाइम जोंस हैं .हम ईस्ट -र -न टाइम ज़ोन में हैं .यहाँ वेस्ट और ईस्ट टाइम जोंस में ही तीन घंटे का फासला है .
ग़ज़ल संग्रह की बधाई . समीक्षा पुस्तक को पढने की रूचि जगा गई . कभी लखनऊ आना हुआ तो ढूंढते है इसे.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर समीक्षा ! कुसुमेश जी आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
ग़ज़ल संग्रह की बधाई। अकबार में प्रकाशित पुस्तक समीक्षा देखकर सुखकर लगा। पुनः बधाई।
ReplyDeleteग़ज़ल संग्रह की बहुत बहुत बधाई आपको,समीक्षा पढ़कर लग रहा है जल्द ही प्राप्त करनी पड़ेगी आपकी पुस्तक.
ReplyDeleteबधाइयाँ
ReplyDeleteइश्वर आप की लेखनी को प्रखर बनाये..
गज़ल संग्रह की समीक्षा बहुत ही शानदार है
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी
Bahut-Bahut Badhaai sir ji!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई कुसुमेश जी !
ReplyDeleteसंग्रह पाना चाहता हूँ
हमारी ओर से भी मुबारकबाद|
ReplyDeletegajal sangrah ki samiksha ke liye bahut bahut badhaai.aapki lekhni ke to hum sab waise hi kayal the .aapki pustak padhne ka moka milega to yea hamaaraa sobhagya hoga.aage lekhan ke liye bahut shubkamnayen.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई और शुभकामनायें !
ReplyDeleteनई ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशित होने पर शुभकामनायें .
ReplyDeleteभाई कुशमेश जी बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteआदरणीय कुसुमेश जी को बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteकुसमेश सर,सुंदर एवं लाजवाब ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई स्वीकार करें.। इस समीक्षा ने आपको और अधिक समझने अवसर प्रदान किया है .
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा .संग्रह के लिए बधाई.....
कुंवर जी सर्व प्रथम आप आपके दूसरे ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें. आपकी पुस्तक प्रकाशन के बारे में जानने के बाद से उसे पढने की उत्सुकता अपने चरम सीमा पर है...आपको ब्लॉग पर जब जब पढता हूँ मुझे आपकी रचनाओं से कुछ न कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है. उम्मीद करता हूँ के जल्द ही मुझे आपकी पुस्तक पढने का सुअवसर मिलेगा.
ReplyDeleteनीरज
बधाई स्वीकार करें सुंदर एवं लाजवाब ग़ज़ल संग्रह के लिए |ग़ज़ल संग्रह की समीक्षा आकर्षक है| शुभकामनायें |
ReplyDeleteवाह मन प्रसन्न हो गया ... मज़ा आ आया इसे पढ़ कर ... पुस्तक कैसे प्राप्त हो अब ये देखना पड़ेगा ...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
ReplyDeleteकुशुमेश जी! आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं... बहुत खुशी हुवी जान कर की आपका गजल संग्रह कुछ ना हासिल हुवा प्रकाशित हुवा... अब ये पुस्तक कही भी मिलेगी जरूर इसको हम इसे प्राप्त करना चाहेंगे
ReplyDeleteइस गजल संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteकुसुमेश जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !
गज़ल संग्रह की समीक्षा पुस्तक को पढ़ने की जिज्ञासा मन में जगाती है! आपकी बेहतरीन ग़ज़लों का संग्रह निःसंदेह बेहतरीन होगा.
aadarniy sir
ReplyDeletenet ki jyada hi gadbadi se kahin koi bhi comment nahi daal pa rahi hun .
kal bhi thodi hi der ke liye net aaya aur jaise hi maine comment daal kar post par clik kiya net chala gaya
aaj fir koshish kar rahi hun isi liye jaldi se likh rahi hun sir,,--aapko gazal samixha pustak ke prakashan ke liye dil se bahut bahut badhai .
akhbaar me bahut hi choote akxharo me likha tha eir bhi koshish kar ke padh gai
.punah hardik naman
dhanyvaad sahit
poonam
गजल संग्रह के प्रकाशन और पुस्तक की समीक्षा के लिए लिए ढेरों बधाई
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई!
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