Monday, June 20, 2011

पुस्तक समीक्षा


53 comments:

  1. कुश्मेश जी,दिल खुश हो गया इस review को पढ़कर.
    आपकी कलम को सलाम.

    ReplyDelete
  2. कुंवर जी, लाजवाब! संग्रह की बधाई। समीक्षा ने आपको समझने का एक और मौक़ा दिया।

    ReplyDelete
  3. आपकी दी हुई इस पुस्तक को तो मैं पढ़ ही चुका था अब अखबार मैं देख के अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  4. सुंदर ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई..... अच्छा लगा यह समीक्षा पढ़कर

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी ! गज़ल संग्रह की समीक्षा बहुत ही शानदार है और इस पुस्तक को आद्योपांत पढ़ने की जिज्ञासा मन में जगाती है ! अच्छी लगी यह समीक्षा !

    ReplyDelete
  6. हमारी ओर से भी मुबारकबाद कुबूल करें| बहुत सुंदर समीक्षा की राज जी उनका भी आभार .....

    ReplyDelete
  7. हार्दिक बधाई और शुभकामनायें आपको !!

    ReplyDelete
  8. बहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी ||

    ऐब और हुनर में कोई फर्क नहीं रह गया----

    जिंदगी के लिए जरुरी है लज्जते ढूंढ़ लेना जहर में--


    १५०/- में ये "मुसीबत" मैं भी लाना चाहता हूँ |

    श्रीमान जी मुसीबत का पता बताइए --


    कैसे मिल सकती है--

    ReplyDelete
  9. कुंवर कुसुमेश जी ! किसी को कुछ हासिल हो या न हो लेकिन हमें तो अख़बार में आपका फ़ोटो देखकर ही ख़ुशी हासिल हो गई है।
    आपकी शायरी मक़सद से भरी है। आपको पैग़ाम जितना ज़्यादा आम होए अच्छा है।
    बधाई !
    ‘क्या ईश्वर ने हमें दुख भोगने के लिए पैदा किया है ?‘

    ReplyDelete
  10. Correction :
    आपका पैग़ाम जितना ज़्यादा आम हो अच्छा है।

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन काव्य -मञ्जूषा ....बधाईयाँ जी

    ReplyDelete
  12. बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    सुन्दर समीक्षा को शेअर करने के लिए आभार!

    ReplyDelete
  13. खूनसूरत गज़ल संग्रह के लिये बेहतरीन समीक्षा। ये गज़ल संग्रह कहाँ से मिलेगा? बहुत बहुत शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  14. समीक्षा से सोचने का अवसर मिलता है. बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  15. mubarak ho sir ! sangrah aur sangrah kee samiksha dono achchhe lage.... aapke agle sankalan kee pratiksha me... ek post me prakashak ka naam aur pata dijiye ki log pustak mangwa saken....

    ReplyDelete
  16. आपको बधाईयाँ......
    आपका आध्यात्मिक पहलू भी नज़र आता है.
    सज्दा खुदा के सामने करना फ़जूल है,
    मन मे तुम्हारे साफ़ जो नीयत नही रही.

    ReplyDelete
  17. हमारी ओर से भी मुबारकबाद कुबूल करें

    ReplyDelete
  18. बहुत बहुत शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  19. इस ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई...और बहुत बहुत शुभकामनाएं मेरी ओर से भी!

    ReplyDelete
  20. बधाई इस गज़ल संग्रह क्र प्रकाशन के लिये!
    राजेन्द्र जी नें समीक्षा भी सत्यपरक की है। उन्हें धन्यवाद!!

    मुखपृष्ठ पर आपका ही चित्र है शायद!! पुनः बधाई!! शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  21. गजल-संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत मुबारकवाद.इसी प्रकार और भी आपकी पुस्तकें शीघ्र सबके सामने आयें हम यही कामना करते हैं.

    ReplyDelete
  22. बहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी!

    ReplyDelete
  23. आदरणीय कुसुमेश जी,
    ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
    समीक्षा में आपके रचना-संसार की सुंदर झलक स्पष्ट परिलक्षित हो रही है।

    ReplyDelete
  24. kyaa baat hai....
    bahut bahut badhai sir...

    "kuchh na haasil hua zindagi bhar".....ek sach...bahut khoobsoorat....

    jaise mauka milega aapki pustak sheeghra hi prapt karunga....

    ReplyDelete
  25. बहुत बहुत बधाई हो। हम जैसों के लिए आप आर्दश है। आपकी लेखनी इसी तरह चलती रहे।

    ReplyDelete
  26. कुंवर कुसुमेश जी "ग़ज़ल संग्रह "कुछ न हासिल हुआ कृपया १०१३ ,लक्ष्मी बाई नगर ,नै दिल्ली -११० -०२३ पर कूरिअर या स्पीड पोस्ट से भिजवाने की व्यवस्था करें .साथ में अपना बैंक एकाउंट नंबर भी ताकि देय राशि पुस्तक की कीमत ,डाक खर्च चुकाया जा सके .
    २० जुलाई२०११ को भारत पहुँच रहा हूँ ।(दूर ध्वनी भारत में :०९८७३२४६४३४ ).
    वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
    ४३३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,केंटन (मिशिगन )
    ४८ १८८ ,ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर आपको हार्दिक बधाई .
    दूर ध्वनी :००१-७३४-४४६ -५४५१
    जब भारत में दिन होता है यहाँ रात होती है .मसलन जब वहां सुबह के आठ बजतें हैं तो यहाँ रात्री के साढ़ेदस बजतें हैं .भारत के समय में ढाई घंटा जोड़ के दिन को रात समझें यहाँ का समय आ जाएगा .यहाँ चार टाइम जोंस हैं .हम ईस्ट -र -न टाइम ज़ोन में हैं .यहाँ वेस्ट और ईस्ट टाइम जोंस में ही तीन घंटे का फासला है .

    ReplyDelete
  27. ग़ज़ल संग्रह की बधाई . समीक्षा पुस्तक को पढने की रूचि जगा गई . कभी लखनऊ आना हुआ तो ढूंढते है इसे.

    ReplyDelete
  28. बहुत सुन्दर समीक्षा ! कुसुमेश जी आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  29. ग़ज़ल संग्रह की बधाई। अकबार में प्रकाशित पुस्तक समीक्षा देखकर सुखकर लगा। पुनः बधाई।

    ReplyDelete
  30. ग़ज़ल संग्रह की बहुत बहुत बधाई आपको,समीक्षा पढ़कर लग रहा है जल्द ही प्राप्त करनी पड़ेगी आपकी पुस्तक.

    ReplyDelete
  31. बधाइयाँ
    इश्वर आप की लेखनी को प्रखर बनाये..

    ReplyDelete
  32. गज़ल संग्रह की समीक्षा बहुत ही शानदार है
    बहुत बहुत बधाई कुसुमेश जी

    ReplyDelete
  33. बहुत-बहुत बधाई कुसुमेश जी !
    संग्रह पाना चाहता हूँ

    ReplyDelete
  34. हमारी ओर से भी मुबारकबाद|

    ReplyDelete
  35. gajal sangrah ki samiksha ke liye bahut bahut badhaai.aapki lekhni ke to hum sab waise hi kayal the .aapki pustak padhne ka moka milega to yea hamaaraa sobhagya hoga.aage lekhan ke liye bahut shubkamnayen.

    ReplyDelete
  36. हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  37. नई ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशित होने पर शुभकामनायें .

    ReplyDelete
  38. भाई कुशमेश जी बहुत बहुत बधाई |

    ReplyDelete
  39. आदरणीय कुसुमेश जी को बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  40. कुसमेश सर,सुंदर एवं लाजवाब ग़ज़ल संग्रह के लिए बधाई स्वीकार करें.। इस समीक्षा ने आपको और अधिक समझने अवसर प्रदान किया है .
    पढ़कर अच्छा लगा .संग्रह के लिए बधाई.....

    ReplyDelete
  41. कुंवर जी सर्व प्रथम आप आपके दूसरे ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें. आपकी पुस्तक प्रकाशन के बारे में जानने के बाद से उसे पढने की उत्सुकता अपने चरम सीमा पर है...आपको ब्लॉग पर जब जब पढता हूँ मुझे आपकी रचनाओं से कुछ न कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है. उम्मीद करता हूँ के जल्द ही मुझे आपकी पुस्तक पढने का सुअवसर मिलेगा.

    नीरज

    ReplyDelete
  42. बधाई स्वीकार करें सुंदर एवं लाजवाब ग़ज़ल संग्रह के लिए |ग़ज़ल संग्रह की समीक्षा आकर्षक है| शुभकामनायें |

    ReplyDelete
  43. वाह मन प्रसन्न हो गया ... मज़ा आ आया इसे पढ़ कर ... पुस्तक कैसे प्राप्त हो अब ये देखना पड़ेगा ...

    ReplyDelete
  44. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

    ReplyDelete
  45. कुशुमेश जी! आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं... बहुत खुशी हुवी जान कर की आपका गजल संग्रह कुछ ना हासिल हुवा प्रकाशित हुवा... अब ये पुस्तक कही भी मिलेगी जरूर इसको हम इसे प्राप्त करना चाहेंगे

    ReplyDelete
  46. इस गजल संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete
  47. कुसुमेश जी,
    बहुत बहुत बधाई !
    गज़ल संग्रह की समीक्षा पुस्तक को पढ़ने की जिज्ञासा मन में जगाती है! आपकी बेहतरीन ग़ज़लों का संग्रह निःसंदेह बेहतरीन होगा.

    ReplyDelete
  48. aadarniy sir
    net ki jyada hi gadbadi se kahin koi bhi comment nahi daal pa rahi hun .
    kal bhi thodi hi der ke liye net aaya aur jaise hi maine comment daal kar post par clik kiya net chala gaya
    aaj fir koshish kar rahi hun isi liye jaldi se likh rahi hun sir,,--aapko gazal samixha pustak ke prakashan ke liye dil se bahut bahut badhai .
    akhbaar me bahut hi choote akxharo me likha tha eir bhi koshish kar ke padh gai
    .punah hardik naman
    dhanyvaad sahit
    poonam

    ReplyDelete
  49. गजल संग्रह के प्रकाशन और पुस्तक की समीक्षा के लिए लिए ढेरों बधाई

    ReplyDelete
  50. बहुत-बहुत बधाई!

    ReplyDelete