मैं तो बड़ा निराश हूँ अन्ना की टीम से.जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है इस दर्जा पलट जायेंगे सोंचा कभी न था. उनको थी राजनीति से हरवक्त एलर्जी. उनकी नज़र में काम ये अच्छा कभी न था. -कुँवर कुसुमेश बृहस्पतिवार, 9 अगस्त 2012 औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
अन्ना तो अभी भी कह रहे हैं की वो खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे और जन जागरण के लिए घूम घूम कर लोगों को जाग्रत करेंगे --------आगे वक़्त बतायेगा क्या होगा पर भ्रष्टाचार के खिलाप जो ज्योति उन्होंने जलाई है वो भी बहुत बड़ी बात है अब आम जनता को भी तो कुछ करना चाहिए
दिक्कत यह है कुंवर कुसुमेश जी इस देश में राजनीति के बिना अब एक पत्ता भी नहीं हिलता ,हवा भी सोनिया जी से पूछ के चलती है ...चुप्पा भी उनकी चुप्पी से शर्मा जाता है ....आदमी करे तो क्या करे ...?कृपया अगली पोस्ट फाइबरो -मायाल्जिया का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक म...ज़रूर पढ़ें .शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए जो हमारे लिए बेहद महत्व लिए रहतीं हैं आंच मुहैया करवातीं हैं लेखन को .
सर जी अनशन के बाद कूटनीति इसे ही कहते है
ReplyDeleteबिलकुल सही बात
ReplyDeletePata nahee ab is neetee ko kya kaha jaye!
ReplyDeleteyou are right sir .
ReplyDeleteसत्यवचन!
ReplyDeleteमुझे लगा था...सत्ता को एक मजबूत विपक्ष मिला है...जनता का...और सब विधेयक यहाँ से सहमति के बाद ही पारित होंगे...पर होने और लगने में अंतर होता है...
ReplyDeleteवक्त वक्त की बात है............
ReplyDeleteसादर
अनु
राजनीति में अनसन भी एक नीति है और इसी नीति का परिणाम है चुनाव में भागीदार होना,,,देखते जाइए आगे२ होता है क्या,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.ब्लॉग जगत में आपकी प्रस्तुति संग्रहणीय है.आभार.anna teem:vahin nazar aayegi
ReplyDeleteसीधी ऊंगली से न निकले घी तब क्या किया जाए ... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
मंगलवार, 7 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
mere vichar se anna ka nirnay bilkul sahi hai. andolan ab doosre charan me'n pravesh kar raha hai.
ReplyDeleteसही कहा आपने कुसुमेश जी. लेकिन अब देखते हैं कि 'विषस्य विषमौषधम्' वाली बात क्या यहाँ भी सच होती है.
ReplyDeleteराजनीती इसी को कहते हैं. आगे - आगे देखते जाइये क्या - क्या होता है...
ReplyDeleteअन्ना के पलटने से बहुत लोग निराश हुये हैं ...
ReplyDeleteइकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
ReplyDeleteवा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |
लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
किस के सिर पर मौर, दौर चालू जब टालू |
लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
Deleteलगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
सही कहा ..अन्ना और उनकी टीम से. हमें भी बहुत निराशा मिली..
ReplyDeleteऔर रास्ता भी क्या था ? खुद सत्ता मे आ के लोकपाल बनाना अच्छा है न ,इस तरह कब तक चलता .
ReplyDeleteसच कहा सर आपने...
ReplyDeleteनिराशा तो है लेकिन चलो साथ चलें... देखें....
अब देखते हैं आगे क्या होता है ...
ReplyDeleteयहाँ हर शख्स बेईमान नज़र आता है
ReplyDeleteमुझे ही मेरा अनजान नज़र आता है
मन वचन और कर्म से आप समर्पित हैं मैं आपको अच्छा रहने दूं तब न
आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
निराश न होईयेगा कुश्मेश जी
ReplyDeleteआगे आगे देखिये होता है क्या.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर
'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,
कृष्ण जन्म अष्टमी पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
मैं तो बड़ा निराश हूँ अन्ना की टीम से.जब जब जो जो होना है तब तब सो सो होता है
ReplyDeleteइस दर्जा पलट जायेंगे सोंचा कभी न था.
उनको थी राजनीति से हरवक्त एलर्जी.
उनकी नज़र में काम ये अच्छा कभी न था.
-कुँवर कुसुमेश
बृहस्पतिवार, 9 अगस्त 2012
औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
बिल्कुल सही कहा है आपने ... आभार
ReplyDeleteअन्ना तो अभी भी कह रहे हैं की वो खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे और जन जागरण के लिए घूम घूम कर लोगों को जाग्रत करेंगे --------आगे वक़्त बतायेगा क्या होगा पर भ्रष्टाचार के खिलाप जो ज्योति उन्होंने जलाई है वो भी बहुत बड़ी बात है अब आम जनता को भी तो कुछ करना चाहिए
ReplyDeleteशानदार कटाक्ष ....
ReplyDeleteअब देखते हैं आगे क्या होता है .......
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....
जो सोचा ना जाय वही राजनीति है.
ReplyDeleteहोने और लगने में अंतर होता है.......
ReplyDeleteगागर में सागर से भाव...
ReplyDelete............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
दिक्कत यह है कुंवर कुसुमेश जी इस देश में राजनीति के बिना अब एक पत्ता भी नहीं हिलता ,हवा भी सोनिया जी से पूछ के चलती है ...चुप्पा भी उनकी चुप्पी से शर्मा जाता है ....आदमी करे तो क्या करे ...?कृपया अगली पोस्ट फाइबरो -मायाल्जिया का भी इलाज़ है काइरोप्रेक्टिक म...ज़रूर पढ़ें .शुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए जो हमारे लिए बेहद महत्व लिए रहतीं हैं आंच मुहैया करवातीं हैं लेखन को .
ReplyDeleteसमय समय का फेर है ... लगता है राजनीति के बिना आज कुछ भी संभव नहीं ...
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