बिलकुल सही कहा रहे हैं आप और हम भी यही महसूस करते हैं कि वास्तव में हमारे देश में नेताओं ने ऐसा हल कर दिया है कि कुछ इस स्वतंत्रता के मायने ही खो दिए गए लगते हैं.सार्थक प्रस्तुति. तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए
..बधाई उत्कृष्ट रचना के लिए .नेता ज़िम्मेदार,देश की बरबादी के.
हम-तुम पीटें ढोल,चलो फिर आज़ादी के.सार्थक दोहे यौमे आज़ादी के ढोल की पोल खोलते .. गिरवीं हिन्दुस्तान ,बढ़ी बेढब आबादी ,रकम रखी स्विस बैंक देख लो बर्बादी कृपया यहाँ भी पधारें - बृहस्पतिवार, 16 अगस्त 2012 उम्र भर का रोग नहीं हैं एलर्जीज़ . Allergies
हम-तुम पीटें ढोल,चलो फिर आज़ादी के. *****दोहा अपने आप में सम्पूर्ण होता है इतने व्यापक विषय को आपने तीन दोहों में दो टूक कह दिया है .किस्सा हिन्दुस्तान की बर्बादी का ढोल की पोल का ...
लूटो, खाओ, मौज मनाओ देश की इज्ज़त खूब लुटाओ ! अपने गौरव की ही जग में नाच नाचकर हँसी उड़ाओ ! भ्रष्टाचार मिटाने को घर बाहर निकलो जी भर लूटो देश आज फिर आजादी से !
बिलकुल सही कहा रहे हैं आप और हम भी यही महसूस करते हैं कि वास्तव में हमारे देश में नेताओं ने ऐसा हल कर दिया है कि कुछ इस स्वतंत्रता के मायने ही खो दिए गए लगते हैं.सार्थक प्रस्तुति. तिरंगा शान है अपनी ,फ़लक पर आज फहराए
ReplyDeleteSunder, Vyavstha par gahari chot
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteइन नेताओं की जितनी भी तारीफ़ हो कम है ... अभी तो पूरा डुबो के मानेंगे देश को ....
ReplyDeleteगहरा व्यंग बाण ....
sundar dohe.... swatantrata diwas kee shubhkaamna
ReplyDeleteआपकी नाराज़गी वाजिब है . ????
ReplyDeleteक्या करें हर बदलाव के बाद भी यही कल था ,आज है, कल होगा???????
समयचीन अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteस्वतन्त्रतादिवस की पूर्व संध्या पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
वर्तमान हालात का सटीक चित्रण...
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteकभी तो आशाएं होंगीं पूरी .... शुभकामनायें
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति सटीक व्यंग्य ,स्वतंत्रता दिवस की बधाई आपको
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सुंदर रचना के लिए बधाई !
ज़िम्मेदार हम भी कम नहीं हैं...ऐसे नेताओं को चुनने के...ढोल तो बजाना ही पड़ता है...मज़बूरी है...इस तथाकथित आज़ादी को ढोने की...वन्दे मातरम...
ReplyDeleteबहुत सुंदर!!
ReplyDeleteढोल की पोल खुल जायेगी कैसे पीटें
अपने अपने ढोल कहाँ कहाँ घसीटें
नेताजी का देश आजादी भी नेताजी की
जिसके जो मन में आये उसको पीटे ।
tippani spaim mein to nahin chali gayi...
ReplyDeleteआज 16/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDelete..बधाई उत्कृष्ट रचना के लिए .नेता ज़िम्मेदार,देश की बरबादी के.
ReplyDeleteहम-तुम पीटें ढोल,चलो फिर आज़ादी के.सार्थक दोहे यौमे आज़ादी के ढोल की पोल खोलते ..
गिरवीं हिन्दुस्तान ,बढ़ी बेढब आबादी ,रकम रखी स्विस बैंक देख लो बर्बादी
कृपया यहाँ भी पधारें -
बृहस्पतिवार, 16 अगस्त 2012
उम्र भर का रोग नहीं हैं एलर्जीज़ .
Allergies
कुँवर कुसुमेश
ReplyDeleteआज़ादी के हो गये,पूरे पैसठ साल.
इतने वर्षों बाद भी,जनता है बेहाल.
जनता है बेहाल,कमर तोड़े मँहगाई.
नेताओं ने मगर,करी है खूब कमाई.
नेता ज़िम्मेदार,देश की बरबादी के.
हम-तुम पीटें ढोल,चलो फिर आज़ादी के.
*****दोहा अपने आप में सम्पूर्ण होता है इतने व्यापक विषय को आपने तीन दोहों में दो टूक कह दिया है .किस्सा हिन्दुस्तान की बर्बादी का ढोल की पोल का ...
बस ढ़ोल ही पीटना बचा है .... सार्थक कुंडली
ReplyDeleteशानदार कुण्डलिया सर...
ReplyDeleteसादर।
प्रसंशनीय..। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । राही मासूम रजा की एक सुंदर कविता पढ़ने के लिए आपका मेरे पोस्ट पर आमंत्रण है ।
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने ..आजादी तो सिर्फ इन स्वार्थी नेताओं के लिए ही है ...सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteहम जब ये ढोल पीटते हैं, यह सुहावना लगता है।
ReplyDeleteलूटो, खाओ, मौज मनाओ
ReplyDeleteदेश की इज्ज़त खूब लुटाओ !
अपने गौरव की ही जग में
नाच नाचकर हँसी उड़ाओ !
भ्रष्टाचार मिटाने को घर बाहर निकलो
जी भर लूटो देश आज फिर आजादी से !
BAS IS UMMEED ME HAIN KI KABHI TO SAARTHAK HOGI AAZADI....
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