दोहे "योग" पर
रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधु मेह.
दूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.
बिन औषधि बिन डॉक्टर ,मानव हुआ निरोग.
जिससे ये संभव हुआ,कहते उसको योग.
बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
चाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.
यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
दवा करोड़ों व्याधि की,सिर्फ एक है 'योग'.
फिर से महिमा योग की ,जान गए अब लोग.
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कुवर सर आप दोहों को लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं... इस से ना केवल दोहों को नया भविष्य मिलेगा, दोहों के माध्यम से भारतीयता, संस्कृति, प्राचीन चिकित्सा पद्धति, जीवनशैली को भी बढ़ावा मिलेगा.. सुन्दर लगे दोहे.. एक दो तो याद भी हो गए... नव वर्ष पर सार्थक लेखन , बहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteसभी दोहों में योग का सरस और सरल वर्णन किया है आपने!
ReplyDeleteयदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
.
कुशमेश जी , दोहों के माध्यम से अच्छा सन्देश है... सुंदर प्रस्तुति.
वाह दोहे के माध्यम से योग का गुणगान
ReplyDeleteबेहतरीन
योग के ऊपर , एक बेहतरीन एवं उपयोगी कविता के लिए आभार।
ReplyDeleteयदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
... bahut sundar !!
यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
waakai, koi shak nahi
योग पर पहली कविता पढ़ी भाई /
ReplyDeleteबहुत सुंदर शिल्प
यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
आज के दौर में योग का बहुत बोल बाला है ...आपने सही पकड़ा है ,,जिन्दगी को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए बहुत जरुरी है योग ..शुक्रिया
दोहो के माध्यम से सार्थक अभिव्यक्ति की है…………आभार्।
ReplyDeleteबाबा रामदेव जिंदाबाद.
ReplyDeleteसत्य वचन , आदि कल से ही योग , सारे स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाई का निवारक रहा है .
ReplyDeletebahut sahi kaha
ReplyDeletebahut khub
बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
ReplyDeleteचाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.
सत्य वचन....योग महिमा का खूब बखान किया है आपने.
नीरज
बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
ReplyDeleteचाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.
बहुत ही बढि़या संदेश देती यह रचना ...बधाई ।
दोहात्मक योगाशन, बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteकुँवर कुसूमेश जी योग विषय पर उत्तम दर्जे के दोहे पेश किए हैं आपने| अपने आप में अनूठे ये दोहे वाकई संग्रह योग्य हैं| बहुत बहुत बधाई मान्यवर|
ReplyDeleteआद. कुसुमेश जी,
ReplyDeleteसारे दोहे एक से बढ़ कर एक हैं !
ग़ज़ल की तरह दोहे लिखने में भी आपको महारथ हासिल है !
दोहे संदेशप्रद और संग्रहणीय हैं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सुन्दर रचना, आभार
ReplyDeleteवाह जी बहुत सुंदर प्रयास, सभी दोहे एक से एक बढ कर धन्यवाद
ReplyDeleteyog par bahut sundar dohe..
ReplyDeletejeevanopyogi rachna...
kushumeshji,
bahut-bahut aabhar!
waah jee, aap ne bahut sundar dohe likhe hain ...
ReplyDeleteaur vishayvastu bhi sundar aur sateek kathan ...
बेहतरीन एवं उपयोगी कविता के लिए आभार।
ReplyDeleteदवा करोड़ों व्याधि की,सिर्फ एक है योग,
ReplyDeleteफिर से महिमा योग की ,जान गए अब लोग।
योग के सुप्रभाव को व्यक्त करते सुंदर दोहे।
दोहों में योग की महिमा का वास्तविक गुणगान किया गया है।
Bahut Khoob! Aapse sahmat hun.
ReplyDeleteआदरणीय कुसुमेश जी,
ReplyDeleteनमस्कार !
एक से बढ़ कर एक दोहे हैं !...योग के ऊपर उपयोगी कविता
कुशमेश जी , दोहों के माध्यम से अच्छा सन्देश है... सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDelete• आप एक ज़रूरी कवि हैं – अपने समय व परिवेश का नया पाठ बनाने, समकालीन मनुष्य के संकटों को पहचानने तथा संवेदना की बची हुई धरती को तलाशने के कारण।
ReplyDeleteवाकी बहुत ही रोचक पोस्ट ई जो योग के लिए प्रेरित करती है, परन्तु मुझ जैसों का क्या जिन्हें कोई भी योगासन करने की मनाही है... खैर! मैं हूँ ही खास... ;)
ReplyDeletedohe me yog !!
ReplyDeletekya baat hai sir, bhut khub!!!
आदिकाल से ही ये योग इसांन को निरोग बना रहा है। परन्तु दुख तो इस बात का है कि आज चंद लोगों ने इसे धधां बना रखा है।
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteक्या बात कही...
रचना के भाव शिल्प और प्रयोजन ने बस नतमस्तक कर दिया....
सार्थक कल्याणकारी लेखन के लिए साधुवाद !!!
लगता आज न बचेगा, साहित्य में कोई रोग।
ReplyDeleteदोहे भी करने लगे, कुंवर कलम से योग॥
यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
बहुत खूब ....
इक ...
ReplyDeleteयोग - महिमा
दूजे ...
कुसुमेश - दोहा - महिमा
जैसे
सोने पर सुहागा ..... !!
बहुत खूब वर्णन है.... जिंदाबाद .
भोग सके तो भोग के जुग में योग के लिए जागरूक करने का सार्थक प्रयास।
ReplyDeleteसही कहा-योग सबसे अच्छा डाक्टर है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर। हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
पति को वश में करने का उपाय।
रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधुमेह.
ReplyDeleteदूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.
हा...हा...हा....
बहुत खूब .....!!
कपाल भाति, अनुलोम-विलोम खूब करें
मोटापे से न अब कुंवर कुसुमेश कोई डरे
रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधुमेह.
ReplyDeleteदूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.
मुझे नहीं लगता है की मैंने कहीं और योग पर दोहे पढ़े होंगे.अच्छा सन्देश. सराहनीय प्रस्तुति
बहुत बढ़िया कुंवर जी ... रचना के ज़रिये स्वस्थ रहने की बात ... धन्यवाद आपका ..
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी
ReplyDeleteप्रणाम !
विलंब से आया हूं , लेकिन तमाम दोहे पढ़ कर आनन्द आ गया ।
…और मैं कह सकता हूं कि -
दोहा, कुंडली, ग़ज़ल हो ; कोई विषय सबजेक्ट !
कुंवर लिखेगें जब कभी , लिक्खेंगे दी बेस्ट !
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
"सही कहा है आपने योग ही एक निदान,
ReplyDeleteबच्चे-बूढ़े सब करे गर प्रतिदिन प्राणायाम !"
"ब्लॉग पे अपने आइये करके प्राणायाम,
चलती रहेगी लेखनी बिना किये विश्राम"
बहुत अच्छा सन्देश....
यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
ReplyDeleteयोगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
बहुत अच्छा सन्देश..
रचना के ज़रिये स्वस्थ रहने की बात ... धन्यवाद आपका .
बिन औषधि बिन डॉक्टर ,मानव हुआ निरोग.
ReplyDeleteजिससे ये संभव हुआ,कहते उसको योग.
योग की महिमा अपरंपार है .. सुंदर हैं सभी दोहे ...