खुशबू बसंत की
कुँवर कुसुमेश
चारो तरफ़ से आयेगी खुशबू बसंत की,
बादे-सबा भी लायेगी खुशबू बसंत की.
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
उसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
यादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
**************
बादे-सबा=सुबह की हवा, रंगीनिये-हयात=ज़िन्दगी की रंगीनी
राहे-वफ़ा= वफ़ा की राह
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
ReplyDeleteयादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
जरुर यह बसंत कुछ नया रंग दिखलायेगा ....हर शेर एहसासों से भरा ...आपका शुक्रिया
बहुत ही खूबसूरत गजल है । प्रत्येक शेर बसंत की खूशबू से सरोवार ।
ReplyDeleteआभार बावू जी ।
khubsurat gajal
ReplyDeleteगुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
ReplyDeleteखुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
Bahut khoobsoorati se likhi khoobsoorat rachna...
Basanti kar gai poore mahol ko.....
बहुत सुंदर रचना. धन्यवाद
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस को तिरंगा फहरा करके-
ReplyDeleteमैं बसंत की खुशबू से नहा गया हूँ।
राहे-वफ़ा में प्यार, मुहब्बत की तर्ज़ पर
जो कहीं नहीं पाया, यहाँ पा गया हूँ॥
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नाजुक शेरों से लबरेज गजल के लिए बधाई।
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
पिछले कुछ दिनों से काफी गहमा गहमी चल रही है ब्लॉग जगत पे...
ReplyDeleteउसके बीच बड़ी प्यारी कविता.....
सौंदर्य लिए हुए.....
स्वागत ऋतुराज...स्वागत...
बेहतरीन ग़ज़ल.... उम्दा रचना आभार
ReplyDeleteबेहतरीन गजल ! आभार
ReplyDeleteरंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
ReplyDeleteतुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
क्या बात है!!
ग़ज़ब!!!
टिप्पणी तो बाद में, पहले इस शे’र का मज़ा लेने दीजिए।
आपको यूंही नहीं मैं ब्लॉग जगत का ग़ज़लों का बादशाह कहता हूं।
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
सर जी, क्या दर्द सारा निचोड़ डाला है। !!!
दिल के दर्द को अचछी तरह से प्रस्तुत किया है आपने।संवेदनशील पोस्ट।
ReplyDeleteराहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
ReplyDeleteरह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
और ये, शाश्वत सत्य है!!
मुझे ग़ज़ल के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, वरना इसको आंच पर लेता। देखता हूं अपनी टीम में कोई कुछ कर पाएगा या नहीं।
कुंवर जी आपकी ये ग़ज़ल तो बस गाता ही जा रहा हूं। इस ग़ज़ल में आपकी गहरी संवेदना, अनुभव और अंदाज़े बयां खुलकर प्रकट हुए हैं। इसकी शायरी सलीक़ेदार, प्रखर, प्रवाहपूर्ण और प्रभावी है।
ReplyDeleteएक और जो बात मुझे अच्छी लगी कि ग़ज़लों में आप न तो ज़्यादा क्रांति की बात करते हैं, न चालू इश्किया शायरी की। आपकी शायरी पढने से ऐसा लगता है कि आप यह मानते हैं कि शायरी का मतलब कुछ कह देना नहीं होता है, और न सिर्फ़ नारेबाज़ी। आप ख़ामोशी के कायल हैं। आपकी शायरी में खामोशी जो है वह कई अर्थ और रंग लिए हुए है। आपकी इस ग़ज़ल में बसंत/प्रेम है तो सिर्फ़ घटना बनकर नहीं है।
हवा हूँ हवा मैं
ReplyDeleteबसंती हवा हूँ
सुना बात मेरी
अनोखी हवा हूँ
बड़ी बावली हूँ
बड़ी मस्तमौला
नहीं कुछ फिकर है
बड़ी ही निडर हूँ
... आपकी इस ग़ज़ल से यह सुन्दर कविता की याद आ गई
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
वाह वाह वाह...इस बासंती रचनाके लिए मेरी दिली दाद कबूल करें...बसंत के कितने ही रंग परोस दिए हैं आपने अपनी रचना के माध्यम से...बेजोड़.
नीरज
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
ReplyDeleteयादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
बहुत सुन्दर वासंती सुगंध बहाया है आप ने
आद.कुंवर जी,
ReplyDeleteरंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
क्या कहने आपकी भावनाओं के !
पूरी ग़ज़ल वासंती रंग में डूबी हुई है!
वसंत के स्वागत को हर शेर आतुर !
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
ReplyDeleteतुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
तो आप भी तैयार रहिएगा आजमाने के लिए ....
कैसे आजमाया ये भी बताइयेगा .....
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
कोई ख़ास बात है क्या इस बरस .....???
गजलों से तो लगता है .....
हा...हा...
हर बार की तरह लाजबाब।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ग़ज़ल.
ReplyDeleteसादर
सारी की सारी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है..
ReplyDeleteहम तो आपकी ग़ज़लों की तारीफ़ करने के काबिल भी ख़ुद को नहीं पाते हैं ...
आभार..!
मन को छू जाने वाले भावों से लबरेज एक शानदार गजल।
ReplyDelete---------
जीवन के लिए युद्ध जरूरी?
आखिर क्यों बंद हुईं तस्लीम पर चित्र पहेलियाँ ?
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
ReplyDeleteखुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
शुभकामनाएँ, और थोडी इधर भी………
बसंत के सुहाने मौसम और उसकी खुशबू लिए आहूत ही बसंती रचना...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल है...
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
ReplyDeleteयादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
....................liked very much...
.
ReplyDeleteबसंत की इस खूबसूरत रचना की खुशबू मुझ तक भी पहुँच गयी। आपकी इस खूबसूरत ग़ज़ल ने मुझे मेरे विवाह की याद दिला दी। ग्यारह फरवरी तो हमेशा आती है , लेकिन विवाह वाले दिन वसंत-पंचमी थी।
वसंत शब्द ही ऐसा है , जिसके स्मरण मात्र से मन-उपवन सभी हर्षित हो जाते हैं। हर तरफ , बेला ,गुलाब और गेंदे ही नज़र आते हैं और मन-मस्तिष्क उसकी खुशबू से प्रसन्न हो उठता है।
.
क्या बात है कुंवरजी.. बहुत ही खूबसूरत कविता बसंत के आगमन के लिए..
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना है।
ReplyDeleteराहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
ReplyDeleteरह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
वाह! क्या बात है! क्या खूब ग़ज़ल लिखी है!
ग़ज़ल का हर एक शेर बेहद पसंद आया. मनोज की बात से सहमत हूँ. एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए आपका आभार .
आदरणीय कुंवर जी
ReplyDeleteनमस्कार !
क्या बात है , हर एक जुमला बहुत ख़ूबसूरत !
खूबसूरत कविता बसंत के आगमन के लिए
बसंत के हर रंग बिखरे पड़े हैं,इस रचना में...बहुत खूब
ReplyDeleteबसंत की खुशबू से सजी खूबसूरत गजल,
ReplyDeleteआभार
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
किस किस शेर की तारीफ करू हर शेर लाजबाब है। सुभान अल्लाह।
आज़ादी और बसंत पर कवितायेँ अच्छी लगीं .आज़ादी वाली में हकीकत उजागर कर दी है.
ReplyDeleteकुवर साहेब ,सबने इतनी तारीफ की हे की मेरे पास शब्द ही खत्म हो गए --बसंत तो वेसे भी मदहोश कर जाती हे सूखे पत्ते फिर से जवान हो उठते हे फुल महक जाते हे --बसंत की क्या बात करू --
ReplyDelete" पीली -पीली उगी हे सरसों
पीली उड़े पतंग
पीली हे चुनरियाँ गोरी की
बसंत के आगमन में मस्त !
बहुत खूबसूरत गज़ल से किया बसंत का आगाज़ ...सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDelete"रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
ReplyDeleteतुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की"
बसंत-ऋतू की भीनी - भीनी खुशबू से लबरेज़
मन को लुभाते हुए मधुर शेर पढ़ कर
ख़ुशी की लहर दौड़ उठी है मन में ... वाह !!
बाहों में भर के, आज गले से लगा ही लूँ
माना, नज़र न आएगी खुशबू बसंत की
वाह...वाह...वाह...
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब...
बेहतरीन ग़ज़ल...वाह.
वाह ...हर पंक्ति अपने आप में बेमिसाल ..खुश्बू बसंत की फैल चुकी है वास्तव हर ओर ।
ReplyDeleteरंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
ReplyDeleteतुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
....
वसंत की ताज़गी से परिपूर्ण बहुत सुन्दर गज़ल..बेहतरीन
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
ReplyDeleteतुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
क्या बात है.....
आप की शानदार ग़ज़ल ने बसंत की खुशबू ब्लॉग की दुनिया में बिखेर दी है .
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन शेर....
"रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की"
सलाम .
शुभाशीष के लिए शुक्रिया. :)
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
ReplyDeleteखुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
अत्यंत प्रेरणादायीऔर उम्मीद से लबरेज गजल के लिए धन्यवाद.
बसंत की महक से सुरभित एक बेमिसाल ग़ज़ल।
ReplyDeleteसभी शेर प्रशंसा के लायक।
मुझे इस शेर में पूरी ग़ज़ल का सार नज़र आया-
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस ‘कुँवर‘,
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की।
बसंत के साथ-साथ आपका भी स्वागत कुसुमेश जी।
बसंती बयार से आपके शब्द फिजां में घुल रहे हैं.
ReplyDelete"राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की."
"देती है कुछ संदेस हमें ये पुकार के..
लग जा गले पुकारती खुशबू बसंत की..!!"
खूबसूरत... इस से ज्यादा क्या कहूं !!!!!!!
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की ...
बहुत खूब ... बसंत के ऐसे मीठे तराने सुन कर वो भी वापस आ जाएँगी ...
लाजवाब ग़ज़ल है सर ... क्या शेर निकाले हैं सुभान . ...
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
वाह साहब... सभी एक से बढकर एक... दिलखुश...
प्रत्येक शेर बसंत की खूशबू से सरोवार । बेहतरीन ग़ज़ल|
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट "बापू को श्रद्धाञ्ञलि"पर आपका स्वागत है!
ReplyDeleteचारो तरफ़ से आयेगी खुशबू बसंत की,
ReplyDeleteबादे-सबा भी लायेगी खुशबू बसंत की.
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !
kya baat hai ...is khushbu se to man sarabor ho gaya...bahut khushbhudar ghazal kahi aapne... saare sher mahak rahe hain..... lagta hai...brahman kaha sach ho gaya hai ... is saal ashiko ko basant men bahut kuch milega...
ReplyDeletedekhiye pate hain usshaaq buton se kya faiz
ik barahman ne kaha hai ke ye saal accha hai
-Ghalib
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
very touching ..
आपकी यह ग़ज़ल बसंत की खुशबू से सराबोर है और एक ताजगी का एहसास कराती है ....
ReplyDeleteगुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
ReplyDeleteखुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
----------
अरे वाह!
बसन्त पर तो आपने बहुत ही नायाब गजल रची है!
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
..वाह !.वसंत के स्वागत में बेहतरीन गज़ल. हरेक शेर खुशबू से भरपूर..
बहुत ही खूबसूरत बसंत की खूशबू bikherati गजल
ReplyDeleteआभार....
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
ReplyDeleteभाग कर शादी करनी हो तो सबसे अच्छा महूरत फरबरी माह मे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..बेहतरीन गजल ....शुभकामनायें
ReplyDeleteअच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
ReplyDeleteयादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
बहुत लाजवाब ग़ज़ल है हर शेर दाद के काबिल. राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुँवर',
खुशियाँ लुटा के जायेगी खुशबू बसंत की.
इस बार तो लगता है ये दोनों बातें सच हो ही जनि चाहिए
बहुत सुंदर गजल।
ReplyDeletebasant par sunder kavita.
ReplyDeleteअच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
ReplyDeleteयादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
bahut hi sundar rachna .
रसभीने मौसम की याद दिलाई आपने. आभार . अच्छी रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteआपकी लेखनी लाजवाब है, कुसुमेश जी !
ReplyDeleteजो भलों भलों को आपका दीवाना बना रही है…
पता नहीं बुरों का क्या होगा ? :)
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
यादों में सिमट जाएगी ख़ुशबू बसंत की
सच है,
आज के युग में कोई दोस्ती फोकट में तो नहीं निभाता …
कमाल है जी कमाल है ! सीधे दिल पर असर करता है ये शेर।
पूरी ग़ज़ल का जवाब नहीं लाजवाब ।
गुज़रे हुए बरस से अधिक इस बरस 'कुंवर',
ख़ुशियां लुटा के जाएगी खुशबू बसंत की
तथास्तु !
मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Happy Birthday Bauji...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकुवर सर
ReplyDeleteबहुत देर से ब्लॉग पर आ पाया.. नेट सहजता से उपबल्ध नहीं मुझे.. बाकी आपकी ग़ज़ल वसंत पर पढ़ी तमाम रचनाओं से अच्छी लगी... एक कविता थी कवि केदारनाथ सिंह की.. वासंती हवा.. उसकी याद आ गई... बाकी ऐसे सामायिक ग़ज़ल कहाँ लिखी जा रही है....
सादर
पलाश
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
ReplyDeleteरह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की.
kya baat kahi hai, bahut khoob
आज दूसरी बार पढने को मिली यह गजल, और फिर तारीफ किए बिना न रह सका। सचमुच लाजवाब लिखते हैं आप।
ReplyDelete---------
ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
गज़ब की प्रस्तुति है गज़ल का हर शेर बसंत सा ही महक रहा है………बहुत ही शानदार गज़ल हर शेर दिन मे उतर गया।
ReplyDeleteअच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना
ReplyDeleteयादों में सिमट जाएगी खुशबू बसंत की
कुसुमेश जी ,
पूरी की पूरी ग़ज़ल बहुत प्यारी लगी
हर शेर जानदार !
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की..............
राहे-वफ़ा में प्यार,मुहब्बत की तर्ज़ पर,
रह रह के गुनगुनायेगी खुशबू बसंत की
पूरी ग़ज़ल लाजवाब ।
खुशबू बसंत की......
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल...
लाजवाब शेर....
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
kushmesh sahab bahut hi sunder gazal...... har pankti behatarin. sunder prastuti.
ReplyDeleteसुंगधित वसंती बयार से मन प्राण को सराबोर करती खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
यादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
बसंत के साथ-साथ आपका भी स्वागत कुसुमेश जी।
ॐ कश्यप में ब्लॉग जगत में नया हूँ
कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करे
धन्यवाद
http://unluckyblackstar.blogspot.com/
बहुत सुंदर
ReplyDeleteवसन्त की हार्दिक शुभकामनायें !
http://unluckyblackstar.blogspot.com/
basant mubarak !
ReplyDeleteAdarniye Kusmesh jee,
ReplyDeleteGhazal vakai achhi ban padi hai.Mere blog par padharne aur utsahvardhan ke liye aabhar.
वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
वसंत पंचमी के रंगों से रंगे शानदार शेर।
ReplyDelete---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
जिसका चला गया कहीं महबूब छोड़कर,
ReplyDeleteउसको न रास आयेगी खुशबू बसंत की.
अच्छा है दोस्तों के तसव्वर में डूबना,
यादों में सिमट जायेगी खुशबू बसंत की.
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
bahut sunder rachna.....
ReplyDeleteबस लाजवाब....
ReplyDeleteइतने सारे लोगों ने इतना कुछ कह रखा है कि नया क्या कहूँ....
आपकी लेखनी ऐसे ही सुन्दर कृतियाँ रचती रहे...शुभकामनाएं..