Tuesday, July 8, 2014

बुलट और प्रीमियम ट्रेन..............



बुलट और प्रीमियम ट्रेन का कैसे लाभ मिले ?

टिकटों की काला बाज़ारी का जब खेल चले।

अब तत्काल टिकट पाना भीं टेढ़ी खीर लगे ,

रेल माफिया,रेल कर्मचारी मिल रहे गले। ।

-कुँवर कुसुमेश   

5 comments:

  1. जनता को इसका विरोध करना होगा, शिकायत दर्ज करवानी होगी.

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  2. सच कहा है..तत्काल टिकट मिलना अब तो बिल्कुल असंभव कार्य हो गया है. पहले वेब साईट स्लो होती थी और अब वेब साईट फ़ास्ट हुई है तो ५ मिनट में सभी सीट्स समाप्त हो जाती हैं..

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  3. apne bhut shi likha he.
    Tuesday, July 8, 2014

    अनुभूतियाँ : बुलेट ट्रेन के हसीन सपनें औऱ हक़ीक़त
    अनुभूतियाँ : बुलेट ट्रेन के हसीन सपनें औऱ हक़ीक़त: बुलेट ट्रेन के हसीन सपनें औऱ हक़ीक़त ================================================== मो...
    Posted by Dinesh Kumar Awasthi at 10:04 AM No comments:
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    " बुलेट ट्रेन किसके लिये " ========================
    " बुलेट ट्रेन किसके लिये "
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    यह सत्य है कि नई तकनीकी का प्रयोग हमे विकासः शील राष्ट्र के ख़ाने से निकाल कर विकसित देशों के बराबर खड़ा होने में सहायक हो सकता है। क्या बुलेट ट्रेन इस लिये कि वह जापान व चींन
    आदि देशो के यहाँ है ? उच्च -कलाश मे सुविधाए , विमान जैसी की जाये अच्छी बात है।

    अब यहाँ यह सोचना आवश्यक हो जाता है कि उक्त सुविधा का लाभ कौन वर्ग उठायेगा। देश में वह कितने प्रित शत हें। निश्चय ही उक्त सुविधा ओ का उपभोग धनीवर्ग तथा उच्च माध्य्म वर्ग ही उठा पाएँगे। हमारे यहाँ रेलवे -स्टेशनों में मूल भूति सुविधाओं का अभाव है। हमने लम्बी -लम्बी ट्रेने तो डब्बे
    जोड़ कर बना ली परन्तु उसके सामणे प्लेटफार्म का शेड सकुचित् हो गये। यात्रियों को वर्षा -काल में भीगते हुये ,ग्रीष्म -काल में अपने पसीने से तरबतर ,रवि की प्रखर किरणों रूपी बाड़ों को सहना पडता हें। शीत -काल में तीख़ी ठ ड़ी हवाओं से यात्री गण आहत होते हें। डब्बो में प्रकाश व पानी त था सफाईं की लचर व्यवस्था से जन -मानस प्राया व्यथ्तित होतां हें। रेलों में आये दिन लूट -पाट,आराजकता का
    नंगा -नाच से यात्रिओ को दो -चार होना पड़ता है। अकेली महिला का सफ़र कितना सूरिच्छित रह्ता हें इसकी बानगी हमै प्रायi समाचार -पत्रों से प्राप्त होती रहती है।

    इन मौलिक सुविधाओं को जन -सामान्य तक पहुँचाने में यदि सरकार सफल रहतीं है । सुशासन वा
    अच्छे दिनों की परिकल्पना तभी साकार होगी।
    Posted by Dinesh Kumar Awasthi at 12:29 AM No comments:
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    Monday, July 7, 2014

    बुलेट ट्रेन के हसीन सपनें औऱ हक़ीक़त
    बुलेट ट्रेन के हसीन सपनें औऱ हक़ीक़त

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    मोदी जी जरा देखिये ,देश की रेलों का ये हाल
    उच्च कोटि के यात्री भी हो रहे यात्रा में बेहाल।

    जरनल वर्ग के यात्रियों का कौन होगा पुरसाहाल ,
    वह तो वैसे ही है तथा कथित "कैटिल -क्लास "।

    अच्छे दिनों का नारा तो दिया हें आपने फर्स्ट -क्लास ,
    कर्ज भी आपने बहुत बटोरा है ब्याज है हाई -क्लास।

    अभी तक तो कुछ भी नहीँ दिखा है अच्छा -अच्छा ,
    आप की ओर आशा से देख रहा है देश का बच्चा -बच्चा।

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  4. सब सपने बेचने में लगे हैं...हक़ीक़त से आँखें चुराना ठीक नहीं...

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