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बहुत सुन्दर प्रस्तुति।-- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-07-2014) को "संस्कृत का विरोध संस्कृत के देश में" (चर्चा मंच-1679) पर भी होगी।--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सचमुच मँहगाई डायन का मुंह तो सुरसा की भांति बढ़ता की जा रहा है ...
सामयिक पंक्तियाँ
हाहाहा … महँगाई का हाल मत पूछो ...
टमाटर को मारिये गोली...आम खाइये हुज़ूर ३० रु किलो...जिस चीज़ का दाम बढ़ जाए उसका परित्याग कर दीजिये...दाम कम हो जाएंगे...व्यापारी को भी तो कोल्ड स्टोर खर्च वहन करना होगा...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-07-2014) को "संस्कृत का विरोध संस्कृत के देश में" (चर्चा मंच-1679) पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सचमुच मँहगाई डायन का मुंह तो सुरसा की भांति बढ़ता की जा रहा है ...
ReplyDeleteसामयिक पंक्तियाँ
ReplyDeleteहाहाहा … महँगाई का हाल मत पूछो ...
ReplyDeleteटमाटर को मारिये गोली...आम खाइये हुज़ूर ३० रु किलो...जिस चीज़ का दाम बढ़ जाए उसका परित्याग कर दीजिये...दाम कम हो जाएंगे...व्यापारी को भी तो कोल्ड स्टोर खर्च वहन करना होगा...
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