पीपल पर तीन कुण्डलियाँ
कुँवर कुसुमेश
-१-
पीपल,पाकड़,नीम,वट,जामुन ,गूलर,आम.
आते हैं ये पेड़ सब,औषधियों के काम.
औषधियों के काम पूर्णतः ये उपयोगी,
इनके सेवन से निरोग होते हैं रोगी.
आजीवन निस्स्वार्थ नियंत्रित करते जल-थल.
पेड़ों में अति प्रमुख कहा जाता है पीपल.
*****
-२-
पीपल की उत्पत्ति से, जुड़ी बात ये खास.
कहते हैं इस वृक्ष पर, करते देव निवास.
करते देव निवास अतः ये पूजे जाते.
प्राणवायु दे अधिक प्रदूषण दूर भागते.
पक्षी को आवास,छाँव पथिकों को शीतल-
देते हैं अविराम, अतः पूजित हैं पीपल.
*****
-३-
वायु प्रदूषण को दिया,जिसने तुरत खदेड़.
लुप्त हो रहे आजकल,वे पीपल के पेड़.
वे पीपल के पेड़ ऑक्सीजन दें ज्यादा.
दूर करेंगे सतत प्रदूषण इनका वादा.
मित्र,करो पीपल के पेड़ों का संरक्षण.
अगर चाहते आप, दूर हो वायु प्रदूषण.
*****
पीपल के वृक्ष की गुणवत्ता की बहुत अच्छी जानकारी जी आपने...
ReplyDeleteसदैव आभारी..
आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी
ReplyDeleteहमारे धर्म में पीपल बहुत उपयोगी है! हमें भी धन्य कीया आपने
बहुत सुंदर भाव! पर्यावरण के प्रति गहरी चिंता और संदेश बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeletegunkaari rachna
ReplyDeleteपीपल पर्यावरण एवं हमारे धामिर्क कारणो से अति महत्वपुर्ण है इनकी रक्षा के लिए जरूरी पोस्ट
ReplyDeleteपीपल की महिमा बताती हुई बेहतरीन रचना। नीम और पीपल ही ऐसे दो वृक्ष हैं जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। निश्चय ही विलुप्त होते इन वृक्षों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
ReplyDelete... shaandaar rachanaa !!!
ReplyDeleteपीपल पर तीनों कुण्डलियाँ संदेशयुक्त और सुन्दर हैं। बधाई!
ReplyDeleteवाह, कुसुमेश जी, वाह ...
ReplyDeleteमन आनंदित हो गया इन सुंदर कुंडलियों को पढ़कर।
सार्थक संदेश देती हुई ये कुंडलियां वैज्ञानिक तथ्यों का भी वर्णन कर रही हें।
इसे आप अपनी श्रेष्ठ रचनाओं में से एक समझिए।...शुभकामनाएं।
पीपल सभी वनस्पतियों में पवित्र माना गया है.. आपकी कुण्डलियाँ पीपल के महत्व को और भी रेखांकित कर रही हैं.. इस तरह की कुंडलियों को बाल साहित्य या पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता है..
ReplyDeleteजानकारी से भरी एक आवश्यक पोस्ट, बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteअच्छी सधी हैं आपकी ये कुंडलियां.
ReplyDeleteपीपल को बचाने के आव्हान के साथ पर्यावरण चेतना के लिए समर्पित आपकी भावनाएं निश्चित रूप से स्वागत योग्य हैं . हिन्दी कविता से विलुप्त हो रही कुंडली विधा के माध्यम से आपका यह प्रस्तुतिकरण बहुत दिलचस्प लगा .आभार .
ReplyDeleteकुँवर कुसुमेश जी बधाई पीपल के पेड़ जैसे विषय पर असाधारण काव्य प्रस्तुति के लिए| अरसे बाद ऐसे विषय पर पढ़ा है|
ReplyDeleteबहुत सुंदर बाते बताई आप ने पीपल के बारे, आप की पोस्ट मे कविता के अक्षर बहुत ही छोटे छोटे हे, क्रुप्या इन्हे थोडा ओर बडा करे पधने मै सब को असानी तो रहे. धन्यवाद
ReplyDeleteपीपल के संरक्षण के लिए प्रेरित करती आपकी ये कुण्डलियाँ काफी प्रभावी एवं मन मोहने वाली हैँ। बहुत बहुत आभार बावू जी।
ReplyDeleteआपका भी मेरे ब्लोग पर स्वागत है।
" ना जाते थे किसी दर पे हम "
wow,...so beutifuly created......kundali aur peepal dono ko hi vilupt hone se bachaane ka saarthak prayaas.....dhanyavaad
ReplyDeleteवाह, कुसुमेश जी,
ReplyDeleteजानकारी से भरी तीनो कुंडलियां बहुत ही सुंदर तथा गहरे भावों से परिपूर्ण है..........
एक को क्या कहूँ, तीनो ही बेहतरीन हैं ..
ReplyDeleteअध्यात्म का टच उत्कृष्ट लेखन का नमूना हैं...बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteआदरणीय कुसुमेश जी,
ReplyDeleteप्रदूषण पर पीपल के पेड़ों की विशेषता दोहों के सुन्दर शिल्प में पाग कर प्रस्तुत करने का आपका अंदाज़ मन को भा गया !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
bahut jaankaari bharee rachnaa hai sir.liked it very much.
ReplyDeleteof the people,by the people,for the people.
पीपल की सारी विशेषताएं आपने इन कुंडलियों में बता दीं... बहुत अच्छी रचनाएँ .
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। मेरे ब्लाग पर नई पोस्ट आपकी नजरे इनायत के लिए बेकरार है।
ReplyDeleteकुसमेश सर,प्रणाम.
ReplyDelete"आजीवन निस्स्वार्थ नियंत्रित करते जल-थल.
पेड़ों में अति प्रमुख कहा जाता है पीपल."
पीपल की महिमा का गुणगान अति सुंदर है क्योंकि इसमें कही गई बात शिक्षाप्रद है.जहाँ तक शिल्प की बात है,आपकी रचना ने अनायास ही काका हाथरसी की याद दिला दी है.बेहद संगीतमय एवं सारगर्भित प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआप ने पीपल के गुणों का अच्छा बखान किया है
बहुत - बहुत धन्यवाद
पीपल के पेड़ की गुणवत्ता पर बहुत सुन्दर रचना है यह ...
ReplyDeleteआप मेरे निम्नोक्त id पर मेल कर सकते हैं:
indraneel1973@gmail.com
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ReplyDeleteकुशमेश जी .....बहुत खूब. पीपल की महिमा का सुंदर बखान किया है आपने.
ReplyDeleteइंतजार
पीपल पर सारपूर्ण कुण्डलियाँ..
ReplyDeleteपीपल को केन्द्र में रखकर लिखी ये सार्थक रचना बहुत अच्छी है।
ReplyDeleteपीपल के बारे में आपकी धारणा को मेरा भी समर्थन है क्योंकि ये धारणा सच है।
आस्था और श्रद्धा का अनुपम संगम देखने को मिला आपकी इन कुंडलियों में ..सन्देशयुक्त है सभी...शुक्रिया
ReplyDeleteहमारी सुसभ्य संस्कृति के प्रतीक
ReplyDeleteपीपल और नीम वनस्पति का बहुत सुन्दर
वर्णन किया है आपने ...
आदरणीय अरुण रॉय जी की बात से सहमत हूँ... !!
सार्थक लेखन शायद इसी को तो कहतें होंगें ना !!!
ReplyDeleteनहीं तो जो कुछ बुडबकताई सभी और फैली है वही ज्यादा नज़र आती है . ऐसे औचित्यपूर्ण लेख तो कहीं छिपे रहतें है अधिकतर .
आभार !!
छंद पुराने आपके, देते हैं गुण-ज्ञान।
ReplyDeleteऔषधियों के साथ में, अपनाना अनुपान।।
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सभी कुण्डलियाँ बहुत ही उपयोगी हैं!
आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी
ReplyDeleteनमस्कार !
विलंब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं …
बहुत आनन्द आता है आपके यहां आ'कर ।
आपकी प्रतिष्ठा में एक कुण्डली सादर -
चले कुंवर की लेखनी , जगत हो रहा दंग !
दोहे कुण्डली; …साथ ही गीत ग़ज़ल के रंग !!
गीत ग़ज़ल के रंग , छंद से राजी गुणियन !
पुनः पुनः पढ़ने को होता सबका ही मन !!
मगन हुआ राजेन्द्र , दुआएं दिल से निकले !
चले कुंवर की लेखनी , गज़ब दिन-रात चले !!
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut hi sunder rachna
ReplyDeleteपर्यावरण का काव्यमय संदेश, शिक्षाप्रद संप्रेषण है। साधुवाद!!
ReplyDeletevery nice n touching poem about pipal....
ReplyDeletewah bhai sahab!
ReplyDeletepeepal jaise pavitr pend par teeno kundaliyan bejod hain.
सभी एक से बढकर एक।
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मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्स।
बहुत सुंदर भाव!पीपल की महिमा का सुंदर बखान किया है आपने.
ReplyDeleteबहुत अच्छी..... जानकारी देती एक बेहतरीन रचना
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति। पीपल, बरगद हमारे लिये पूज्य होने के साथ-साथ प्राणवायु के बहुत बड़े स्रोत हैं। आज भले ही मनुष्य ने अट्टलिकायें खड़ी कर ली हो, हरीतिमा को नागफनी में बदल दिया हो..........पर ज्येष्ठ माह की दुपहरी में यदि कोई भूल से भी पथ भटक जाये तब उसे वृक्षों का महत्त्व पता चलेगा।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे एवं समीचीन विषय पर आपने तथ्यपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की है........इसके लिये जो आपने माध्यम चुना है ‘कुण्डलियाँ’ वह भी सराहनीय है................अपने संदेश में ऋजुत्व एक आदर्श कवि की विशेषता होती है।