तुमसे मिल जायेगी कुछ इम्दाद पहली जनवरी
कुँवर कुसुमेश
आ गई फिर घूम फिर कर याद पहली जनवरी,
तीन सौ पैंसठ दिनों के बाद पहली जनवरी.
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
इस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
अब किसी सूरत परिंदों के कतर पायें न पर,
लोग कह देंगे तुझे सैय्याद पहली जनवरी.
तुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
अब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
हम भी इस उम्मीद में आँखें बिछाये हैं 'कुँवर',
तुमसे मिल जायेगी कुछ इम्दाद पहली जनवरी.
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नाशाद-दुखी, इम्दाद - मदद
नव वर्ष के स्वागत में लिखी गयी बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteनूतन वर्ष मंगलमय हो आपके एवं आपके परिवार के लिए।
आभार।
अब किसी सूरत परिंदों के कतर पायें न पर,
ReplyDeleteलोग कह देंगे तुझे सैय्याद पहली जनवरी.
तुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
अब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
कुंवर जी ... न जाने कितनी बार इसे पढ .. पढ क्या गाता चला गया। कितना फ़्लो रहता है अपकी ग़ज़लों में, जैसे मखमली घस पर चल रहे हों।
बहुत खूबसूरत गज़ल ...नव वर्ष कि शुभकामनायें ..
ReplyDeleteकैलेंडर तो नया आ ही जाएगा.
ReplyDeleteवाह ! क्या खूबसूरत गजल हैं ।
ReplyDeleteनववर्ष की खूब शुभकामनायेँ आपको ,
हमको भी है बहुत याद पहली जनवरी ।
" नज़रेँ मिलाके ना नज़रेँ झुकाओ..........गजल "
नव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाएँ,
ReplyDeleteआपकी सुन्दर लेखनी नव वर्ष में यूँ ही चलती रहे, खुदा से ये ही कामना है.
अत्यंत ही सुन्दर रचना, साधुवाद.
तुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
ReplyDeleteअब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
नव वर्ष के स्वागत में बहुत सुन्दर रचना है आपकी.बार बार पढ़ी.
एक शेर याद आ रहा है.....
तुम ही न सुन सके अगर तो किस्सा-ए-गम सुनेगा कौन,
किसकी जुबां खुलेगी फिर,हम ना अगर सूना सके.
मेहंदी हसन साहब की गज़ल में सूना था.
शुभकामनाओं सहित.
तुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
ReplyDeleteअब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
वाह!
सुन्दर गज़ल!
हर बार की तरह इस बार भी बेमिसाल प्रस्तुति। धन्यवाद।
ReplyDeletenaye warsh ki dher sari shubhkamnayein.
ReplyDeleteहम भी इस उम्मीद में आँखें बिछाये हैं 'कुँवर',
ReplyDeleteतुमसे मिल जायेगी कुछ इम्दाद पहली जनवरी.
hum bhi ummeed me hain ... shubhkamnayen pahli janwaree kee
नये साल के स्वागत में आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है!
ReplyDeleteनववर्ष के लिए सुन्दर कृति..
ReplyDeleteआपको और आपके सभी बंधुजनों को नववर्ष की शुभकामनाएँ..
आभार
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
जी हाँ ....
फिर एक बार
इसी पहली जनवरी से फिर वोही इल्तेजा है
इस बरस कोई ना हो नाशाद..........
आपकी
हर हर दुआ में हम सब शामिल हैं
हम भी इस उम्मीद में आँखें बिछाये हैं 'कुँवर',
ReplyDeleteतुमसे मिल जायेगी कुछ इम्दाद पहली जनवरी.
kushmesh ji bahut hi sunder rachna naye varsh ke swagat men............
बहुत सुंदर रचना जी धन्यवाद
ReplyDeleteआप भी जुडे ओर साथियो को भी जोडे...
http://blogparivaar.blogspot.com/
अंग्रेजी नया साल के स्वागत के लिए इतनी सुन्दर ग़ज़ल मैंने कहीं और नहीं पढ़ा ... बेहतरीन ...!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को अनेक शुभकामनायें !
बहुत की सुंदर
ReplyDeleteतरीक से याद किया पहली जनवरी को
नया साल मुबारक
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
... bahut sundar ... shaandaar gajal !!!
वाह वाह …………नववर्ष की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो।
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
अब किसी सूरत परिंदों के कतर पायें न पर,
लोग कह देंगे तुझे सैय्याद पहली जनवरी.
तुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
अब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
बेहद सुंदर गजल. आभार.
सादर,
डोरोथी.
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
बहुत ही खूबसूरती से आपने नये साल की बधाई के लिये
यह रचना रची है ...शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
आइए एक नजर यहां पर भी डालें ...वटवृक्ष पर ...
http://urvija.parikalpnaa.com/2010/12/blog-post_29.html
बहुत सुन्दर कुंवर जी
ReplyDeleteआप को नव वर्ष की बहुत सारी शुभ कामना
नया साल मुबारक हो,
साथ ही सभी ब्लॉग लेखक और पाठक को भी नव वर्ष की शुभ कामना के साथ
दीपांकर कुमार पाण्डेय (दीप)
http://deep2087.blogspot.com
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनववर्ष पर लिखी गयी सुन्दर कविता ....
ReplyDeleteग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
इस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
अच्छी पन्तियाँ .........
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
खूबसूरत गज़ल के साथ नव वर्ष के आगमन का स्वागत बहुत ही खूब रहा धन्यवाद और आप को नव वर्ष के शुभागमन पर ढेर सारी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबव वर्ष आगमन पर बेहतरीन प्रस्तुती ! नव वर्ष पर आप को भी मंगलकामनाएं !
ReplyDeleteआद.कुसुमेश जी,
ReplyDeleteनव वर्ष पर आपकी ग़ज़ल के भाव नई उम्मीद की दीप शिखा को प्रज्वलित कर रहे हैं !
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
इस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी.
बहुत खूब,बस ऐसी ही भावनाओं के साथ नव वर्ष का स्वागत होना चाहिए!
आपको नव वर्ष की अनन्त शुभ कामनाएं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
नये साल के स्वागत में लिखी आपकी ये रचना बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteआपको नये वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ।
श्री कुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
रचना अच्छी है!
स्वागतम्!! हे नूतन वर्ष!!
ReplyDeleteस्वागत की की अतिसुन्दर रचना,
आपको शुभकामनाएँ!!
"ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी."
ऐसी चाहत सबकी मन्नत बने.
ईश्वर आपकी इस सोच को दिग्दिगंत तक ले जाये.
उम्मीद से भरपूर इस चाहत को मेरा नमन है.
खूबसूरत गज़ल ...नव वर्ष कि शुभकामनायें ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो।
बड़ी सरल और प्यारी ग़ज़ल पढवाने के लिए आभार भाई जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteतुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
ReplyDeleteअब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
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आदरणीय Kunwar Kusumesh जी
सादर प्रणाम
आपकी गजल के बारे में क्या कहूँ .......बहुत भावपूर्ण है यह गजल है ........आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ....और अब हम आपके 60वें समर्थक नए साल के उपलक्ष पर ...शुक्रिया
ग़ैर हो,अपना हो,दुश्मन हो या कोई दोस्त हो,
ReplyDeleteइस बरस कोई न हो नाशाद पहली जनवरी।
बहुत बढ़िया...
नव वर्ष का स्वागत करते हुए उससे कुछ अपेक्षाएं तो रखनी ही पड़ेंगी।
bahut sundar abhivyakti.
ReplyDeleteकुँवर जी बधाई|
ReplyDeleteतुम सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
ReplyDeleteअब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
बहुत बढ़िया...
नव वर्ष से कुछ अपेक्षाएं तो रखनी ही पड़ेंगी।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
बेहतरीन गज़ल कही है...रदीफ ने मन मोह लिया इसे आपने बखूबी निभाया है...इस गज़ल पर मेरी दाद और नए वर्ष के लिए शुभकामनाएं कबूल कीजिये.
ReplyDeleteनीरज
कुवर सर आपके इस पोस्ट पर देर से आ सका.. क्योंकि मेरी नई कविता आपकी इस ग़ज़ल को पढ़कर ही बनी और उसी में व्यस्त हो गया... नए पुराने के द्वन्द और जीवन को नए सिरे से शुरू करने के लिए आपकी ग़ज़ल प्रेरित करती है... नव वर्ष की शुभकामना सहित.. अरुण
ReplyDeleteदेर से आने के लिए माफी दे दीजिये...
ReplyDeleteबाकी जबरजस्त ही आयेगी पहली जनवरी...
रचना बहुत सुन्दर है... वाकई...
क्या बात है कुंअर जी, पहली जनवरी के बहाने आपने बहुत कुछ कह दिया।
ReplyDelete---------
साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है?
एक बेहतरीन रचना ।
ReplyDeleteकाबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना
satguru-satykikhoj.blogspot.com
NAYA SAAL 2011 CARD 4 U
ReplyDelete_________
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please open it
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/”beautifl”/
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/ “*YOU*” /
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
hmmmm
ReplyDeletemera 48th comment hogaa..
wow.....
म सुनोगे गर नहीं तो कौन सुनने आयेगा,
अब कोई सुनता नहीं फ़रियाद पहली जनवरी.
हम भी इस उम्मीद में आँखें बिछाये हैं 'कुँवर',
तुमसे मिल जायेगी कुछ इम्दाद पहली जनवरी.
"tera istakbaal itna shayrna hoga
ye na socha hoga tume pehali janwary"
..bahut hii khoobsurat gazal...
nyaa saal mubaark
बहुत सुंदर रचना । नववर्ष की शुभकामनाए।
ReplyDeleteवाह! नए अंदाज़ में रची बसी लगी यह ग़ज़ल.बहुत खूबसूरत!
ReplyDelete******नए वर्ष वर्ष की ढेरों शुभकामनायें*******
सुन्दर एवं प्रभावशाली रचना . नव वर्ष की हार्दिक सुभकामनाये .
ReplyDeletekushumeshji,
ReplyDeletevishvas falit ho.
nav varsh mangalmay ho.
नव वर्ष 2011
ReplyDeleteआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
बेहतरीन रचना। बधाई। आपको भी नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteसर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
ReplyDeleteसर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥
सब लोग कठिनाइयों को पार करें। सब लोग कल्याण को देखें। सब लोग अपनी इच्छित वस्तुओं को प्राप्त करें। सब लोग सर्वत्र आनन्दित हों
सर्वSपि सुखिनः संतु सर्वे संतु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥
सभी सुखी हों। सब नीरोग हों। सब मंगलों का दर्शन करें। कोई भी दुखी न हो।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
सदाचार - मंगलकामना!
वाह! क्या बेहतरीन गजल कही है ..... वाकई काबिले तारीफ़ ....
ReplyDeleteअब किसी सूरत परिंदों के कतर पायें न पर,
ReplyDeleteलोग कह देंगे तुझे सैय्याद पहली जनवरी ...
वाह कुंवर जी ... हर शेर दिलकश अंदाज़ लिए हुवे है ... कितना कमाल का लिखते हैं आप ....
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