Friday, July 18, 2014

अस्सी रुपया किलो टमाटर.................


उनके सर को  तो सत्ता का ताज मिला। 

फिर से हर व्यापारी तिकड़मबाज मिला। 

मँहगाई डायन ने फिर से  कमर कसी,

अस्सी रुपया किलो टमाटर आज मिला

-कुँवर कुसुमेश

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-07-2014) को "संस्कृत का विरोध संस्कृत के देश में" (चर्चा मंच-1679) पर भी होगी।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. सचमुच मँहगाई डायन का मुंह तो सुरसा की भांति बढ़ता की जा रहा है ...

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  3. सामयिक पंक्तियाँ

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  4. हाहाहा … महँगाई का हाल मत पूछो ...

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  5. टमाटर को मारिये गोली...आम खाइये हुज़ूर ३० रु किलो...जिस चीज़ का दाम बढ़ जाए उसका परित्याग कर दीजिये...दाम कम हो जाएंगे...व्यापारी को भी तो कोल्ड स्टोर खर्च वहन करना होगा...

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