Thursday, September 13, 2012

दिखावा सब करते हैं....................




हिंदी हिंदी चीखता,रहता पूरा देश.

हिंदीमय अब तक मगर,हुआ नहीं परिवेश.

हुआ नहीं परिवेश,दिखावा सब करते हैं.

अंग्रेजी पर लोग ,न जाने क्यों मरते हैं.

निज भाषा सम्मान,करो मत चिंदी चिंदी.

कभी न वरना माफ़,करेगी तुमको हिंदी.
                                  -कुँवर कुसुमेश
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हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये 
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चिंदी चिंदी=टुकड़े टुकड़े