दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको
कुँवर कुसुमेश
बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.
वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.
कहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
कि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.
सुनाता भ्रष्ट नेताओं को जी भर के खरी-खोटी.
शराफत का हमेशा रोकता है दायरा उसको.
भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.
'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
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हर्फ़े-वफ़ा=वफ़ा शब्द, राहे-मुहब्बत=प्यार की राह