Friday, July 29, 2011


दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको

कुँवर कुसुमेश
                                                
  बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको.
दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको.

वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की,
यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको.

कहे या मत कहे कोई उसूलन तो यही सच है,
कि उसने दिल दुखाया है तो क्या दूँ मैं दुआ उसको.

सुनाता भ्रष्ट नेताओं को जी भर के खरी-खोटी.
शराफत का हमेशा रोकता है दायरा उसको.

भटकने लग गया जों आदमी राहे-मुहब्बत से.
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको.

'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख,
भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको.
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 हर्फ़े-वफ़ा=वफ़ा शब्द, राहे-मुहब्बत=प्यार की राह 

Thursday, July 21, 2011


आभार आपका 
(कुण्डली) 
                                                                     
                                                                        
                                                      कुँवर कुसुमेश

ब्लोगिंग करते हो गया,पूरा पहला साल.

सूचनार्थ यह कुण्डली, बन बैठी तत्काल.

बन बैठी तत्काल,मित्र ! आभार आपका.

टिप्पणियों के साथ मिला है प्यार आपका.

रोज़ सुबह जैसे ही लौटा करके जोगिंग.

बैठ गया बस कम्प्यूटर पर करने ब्लोगिंग .

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कुल प्रविष्ठियां-44,समर्थक-145,कुल टिप्पणियाँ-3132
आपका अपनापन सदैव अपेक्षित रहेगा.
पुनः आभार आप सभी का.
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Monday, July 11, 2011

बेवफा छोड़ के जाता है चला जा 

कुँवर कुसुमेश

अनगिनत ख्वाबों की ताबीर बना लेने दे.
मुझको बिगड़ी हुई तक़दीर बना लेने दे.

बेवफा छोड़ के जाता है चला जा लेकिन,
दिल के शीशे में तो तस्वीर बना लेने दे.

तू ने अपनी तो बना ली है अलग ही दुनिया,
मुझको भी छोटी-सी जागीर बना लेने दे.

मैं न उड़ पाऊँगा शायद कभी पंछी की तरह,
पाँव के वास्ते ज़ंजीर बना लेने दे.

कोई पूछेगा,दिखा दूंगा निशानी तेरी,
दिल में चुभता हुआ इक तीर बना लेने दे.

है'कुँवर'प्यार को दर्जा-ए-इबादत हासिल,
आ इसे क़ाबिले-तौक़ीर बना लेने दे.
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दर्जा-ए-इबादत=इबादत का दर्जा.
क़ाबिले-तौक़ीर=सम्मान के क़ाबिल.

Saturday, July 2, 2011


ग्रह - उपग्रह
(दोहे)
कुँवर कुसुमेश 

                                                          अवगाहन के योग्य है,सूरज का साहित्य.
तेरह लाख गुना बड़ा,पृथ्वी से आदित्य.

सूरज के परिवार को,कहते मंडल-सौर.
                                    नौ ग्रह नियमित घूमते,सूरज के चहुँ ओर.

साबित करते हैं यही,वैज्ञानिक अभिलेख.
अपनी पृथ्वी भी इन्हीं,नौ ग्रह में है देख.

बुध,पृथ्वी,शनि,बृहस्पति,अरुण,वरुण के संग.
मिलकर मंगल,शुक्र,यम,नौ ग्रह हुए दबंग

ग्रह -उपग्रह पर जीत की,लगी हुई है होड़.
प्रकृति संतुलन को रहा,मानव तोड़-मरोड़.

क्या बसंत क्या शरद ऋतु,क्या गर्मी बरसात.
पृथ्वी अपनी धुरी पर,घूम रही दिन रात.
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