Wednesday, October 21, 2015

मायावी रावण....................


विजयादशमी की हार्दिक बधाई के साथ हाज़िर है एक दोहा :- 

मायावी रावण कहाँ,जलकर हुआ है राख। 

ज़िन्दा है इन्सान में,अब भी वो गुस्ताख़। 

-कुँवर कुसुमेश 

Tuesday, October 20, 2015

ग़ज़लें पंजाबी लिपि में

 गुरदासपुर ,पंजाब से प्रकाशित पंजाबी पत्रिका,रूपांतर, के ताज़ा अंक-86

में मेरी 2 ग़ज़लें पंजाबी लिपि में प्रकाशित:-


Sunday, October 18, 2015

अरहर की दाल................


दो दोहे
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उफ़ अरहर की दाल ने,हाल किया बेहाल। 
दो सौ रुपया प्रति किलो,से ऊपर है दाल।

यूँ अरहर की दाल को,निर्धन से मत छीन। 
निर्धन पायेगा भला , कैसे अब प्रोटीन। । 
-कुँवर कुसुमेश