कुँवर कुसुमेश
चल रहे हैं लोग जलती आग पर.
बेसुरे भी लग रहे हैं राग पर.
नज़्म अच्छी या बुरी जैसी भी हो,
वाह,कहने का चलन है ब्लॉग पर.
आदमी पर मत कभी करिये यक़ीं,
आप कर लीजे भरोसा नाग पर.
दुश्मनी का खैरमक़दम हो रहा,
और डाका प्यार पर,अनुराग पर.
भ्रष्ट नेता आज हिन्दुस्तान के,
ख़ुश बहुत दामन के अपने दाग पर.
दूसरों के काम तो आओ कभी,
है 'कुँवर' हमको भरोसा त्याग पर.
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खैरमक़दम=स्वागत