मलिहाबादी आम
(कुण्डली)
(कुण्डली)
कुँवर कुसुमेश
तुक्मी,चौसा,दशहरी,और बहुत से नाम.
और बहुत से नाम.कहे हापुस से चौसा.
हमसे ज्यादा नहीं बिके तुम अब तक मौसा.
जोर जोर से बहस चली मुन्ना-मुनिया में.
मैंने खाये आम हैं ज्यादा इस दुनिया में .
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सस्ते हैं बाज़ार में, मीठे भी हैं आम.
ले लो,ले लो,लूट लो,मचा हुआ कुहराम.
मचा हुआ कुहराम,बहुत मीठे हैं खा लो.
ठेले पर खाओ,घर की खातिर बंधवा लो.
थैला भर ले गया आम घर हँसते-हँसते.
बीबी ने भी कहा , आम सचमुच हैं सस्ते.
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