मुँह चिढ़ाती ये रात,मुश्किल है
कुँवर कुसुमेश
मुश्किलों से निजात मुश्किल है.
खूबसूरत हयात मुश्किल है.
कितनी शोरिश पसंद है यारब,
वक़्त की काइनात मुश्किल है.
जिस तरफ भी नज़र उठी देखा,
बारहा हादसात,मुश्किल है.
मुस्कुराती सुबह से ताक़तवर,
मुँह चिढ़ाती ये रात,मुश्किल है.
रोज़ उठने लगा है गिर-गिर कर,
पर्दा-ए-वाक़यात,मुश्किल है.
अर्श वाला भी अब नहीं सुनता,
ये 'कुँवर' एक बात मुश्किल है.
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शोरिश पसंद -उपद्रव करने वाला
बारहा- अक्सर,
पर्दा-ए-वाक़यात =घटनाओं से पर्दा.