Friday, April 22, 2011


मुँह चिढ़ाती ये रात,मुश्किल है


कुँवर कुसुमेश

मुश्किलों से निजात मुश्किल है.
खूबसूरत हयात मुश्किल है.

कितनी शोरिश पसंद है यारब,
वक़्त की काइनात मुश्किल है.

जिस तरफ भी नज़र उठी देखा,
बारहा हादसात,मुश्किल है.

मुस्कुराती सुबह से ताक़तवर,
मुँह चिढ़ाती ये रात,मुश्किल है.

रोज़ उठने लगा है गिर-गिर कर,
पर्दा-ए-वाक़यात,मुश्किल है.

अर्श वाला भी अब नहीं सुनता,
ये 'कुँवर' एक बात मुश्किल है.
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शोरिश पसंद -उपद्रव करने वाला
बारहा- अक्सर,
पर्दा-ए-वाक़यात =घटनाओं से पर्दा.

Saturday, April 9, 2011


कश्तियाँ मुब्तला किस सफ़र में
     

 कुँवर कुसुमेश 

डगमगाने लगी है भंवर में.
कश्तियाँ मुब्तला किस सफ़र में.

आँख से निभ रही आंसुओं की,
कुछ सुकूं है निहाँ चश्मे-तर में.

आदमी छोड़ कर आदमीयत,
डूबता जा रहा मालो-ज़र में.

ज़िन्दगी के लिए है ज़रूरी,
लज़्ज़तें ढूंढ लेना ज़हर में.

फ़र्क कुछ भी नहीं रह गया है,
ऐब में और यारो ! हुनर में.

वक्ते-रुख्सत 'कुँवर' देख लेना,
कुछ न हासिल हुआ उम्र भर में.
          
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मुब्तला-फंसी हुई,निहाँ-छिपा हुआ,
चश्मेतर-डबडबाई आँख,वक्तेरुख्सत-अंतिम समय 

Saturday, April 2, 2011



भारत जीत गया है 


कुँवर कुसुमेश 

जीत गया है वर्ड कप, अपना भारत देश.
तुम्हें बधाई दे रहे ,दिल से कवि कुसुमेश.

दिल से कवि कुसुमेश मिठाई बाटें घर घर.
ख़ुद भी खायें आप मिठाई आज पेट भर.

क्रिकेट वर्ड कप का अंतिम दिन बीत गया है.
ढोल - नगाड़े पीटो भारत जीत गया है.