Thursday, November 10, 2011

मुश्किलों से निजात मुश्किल है




कुँवर कुसुमेश 

मुश्किलों से निजात मुश्किल है.
खूबसूरत हयात मुश्किल है.

कितनी शोरिश-पसंद है यारब,
वक़्त की काइनात मुश्किल है.

जिस तरफ भी नज़र उठी देखा,
बारहा हादसात मुश्किल है.

मुस्कुराती सुबह से ताक़तवर,
मुँह चिढ़ाती ये रात मुश्किल है.

रोज़ उठने लगा है गिर गिर कर,
पर्दा-ए-वाक़यात मुश्किल है.

अर्श वाला भी अब नहीं सुनता,
ये 'कुँवर' एक बात मुश्किल है.
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शोरिश-पसंद=उपद्रव करने वाला. 
बारहा=अक्सर.
पर्दा-ए-वाक़यात=घटनाओं से पर्दा.

Tuesday, November 1, 2011

औषधीय गुण (दोहे)




कुँवर कुसुमेश 

औषधीय गुण वृक्ष में,मिलते हैं पर्याप्त.
मूरख करने पर तुले,इनको मगर समाप्त.

जड़ें,पत्तियाँ,फूल-फल,औषधि गुण से पूर्ण,
इनसे वैद्य बना रहे,आसव,चटनी,चूर्ण.

जड़ी-बूटियों में निहित,अद्भुत रोग निदान.
पुष्टि बराबर कर रहे,नियमित अनुसंधान.

तुलसी,हल्दी,नीम को,कहें प्रकृति उपहार.
इनके सेवन से हुआ,चंगा हर बीमार.

तन-मन-धन से कीजिये,पेड़ों का सम्मान.
इनके ही सहयोग से,सम्भव रोग निदान.
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