Wednesday, December 15, 2010

उम्र भर चलना संभलकर ज़िन्दगी में

 कुँवर कुसुमेश 

देखते जाना बराबर ज़िन्दगी में,
क्या लगा कैसा कहाँ पर ज़िन्दगी में.

दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.

दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.

ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.

एक पल को ही दिला पाता है राहत,
हुस्ने-जानां का तसव्वर ज़िन्दगी में.

हाँ,किताबों में 'कुँवर'सच ही लिखा है,
उम्र भर चलना संभलकर ज़िन्दगी में.
-----------

दौरेहाज़िर-वर्तमान समय 
हुस्नेजानां-महबूब का सौन्दर्य 

55 comments:

  1. एक पल को ही दिला पाता है राहत,
    हुस्ने-जानां का तसव्वर ज़िन्दगी में.

    ये सच नहीं है....:)

    हाँ,किताबों में 'कुँवर'सच ही लिखा है,
    उम्र भर चलना संभलकर ज़िन्दगी में.

    हाँ...ये सच है....!

    बेहद्द खूबसूरत ग़ज़ल बनी है आपकी...
    आभार स्वीकार करें..!

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  2. यह तो जैसे मेरे मन की ही बात लिख दी……:))

    दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.


    हाँ,किताबों में 'कुँवर'सच ही लिखा है,
    उम्र भर चलना संभलकर ज़िन्दगी में.

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  3. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.//
    waah bade bhai //
    naman aapko /

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  4. गोया, ये रास्‍ते हैं प्‍यार के चलना संभल संभल के.

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  5. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.

    दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.

    बिलकुल सही लिखा है ...खूबसूरती से कह दिया है सब कुछ ..सुन्दर गज़ल

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  6. दुश्मनी इंसान की फ़ितरत मेँ शामिल ,
    दोस्ती किसको मयस्सर जिंदगी मेँ ,

    अच्छी विचारपरक गजल कही है आपने । बहुत बहुत आभार बावू जी।

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  7. बहुत ही बढिया लगी आप की यह गजल जी धन्यवाद

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  8. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में....... बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति!

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  9. jindagee me sambhal ke chalnaa bahut jaroori hai...aur saath hee auro ko sambhaalnaa bhi utnaa hee jarooree hai naheen to
    jindagee bhar jhooth bolnewaale apne aapko harishchandra samajhte rahengee....
    saarthak....

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  10. "ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में"

    अत्यन्त ही भाव विभोर कर देने वाली पंक्तियाँ....सुन्दर रचना. आपका तहेदिल से साधुवाद.

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  11. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.
    ... kyaa baat hai ... bahut sundar bhaav ... behatreen gajal !!!

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  12. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.
    bahoot khub. mere blog par nai post lag gai hai.

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  13. "दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में".
    "एक पल को ही दिला पाता है राहत,
    हुस्ने-जानां का तसव्वर ज़िन्दगी में."

    जिंदगी के पुरपेच फलसफे को बयान करते हुए अलफ़ाज़,
    ग़ज़ल की ख़ूबसूरती को साथ लिए हुए हैं
    हर मराहिल पर ,
    हर तरह की सोच काम नहीं आ पाती
    और
    ग़ज़ल का दिल फरेब 'सार' भी
    आप ने खुद ही कह दिया है ...
    "हाँ,किताबों में 'कुँवर'सच ही लिखा है,
    उम्र भर चलना संभलकर ज़िन्दगी में."

    वाह - वा !!

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  14. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में
    सारे शे’र आज की विकट परिस्थितियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। एक बेहतरीन ग़ज़ल, सदा की तरह।

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  15. ज़माने की हकीकत बयान करती सुंदर अभिव्यक्ति.

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  16. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.
    yahi hota hai, musibaten aksar dhoker hum khud hi le aate hain , bahut hi achhi rachna

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  17. .

    दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में...

    बहतरीन अभिव्यक्ति ।

    .

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  18. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.
    --
    गजल का हर अशआर लाजवाब है!

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  19. देखते जाना बराबर ज़िन्दगी में,
    क्या लगा कैसा कहाँ पर ज़िन्दगी में.
    लफ्ज़ और एहसास जब मिलते हैं तो नज़्म बनती है...शानदार रचना के लिए दिली मुबारकबाद

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  20. कुसुमेश जी,
    वही तेवर,वही संवेदना ,वही अभिव्यक्ति की शैली !
    एक से बढ़कर एक शेर !
    किसी एक शेर को अच्छा कहना दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी मगर यह शेर सोचने पर ज्यादा विवश करता है !
    ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.
    साभार,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  21. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.

    शानदार रचना के लिए दिली मुबारकबाद

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  22. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.


    wah saahab bahut khoob kahaa.
    ek sher apnaa yaad aa gayaa,

    hamse mat poochiye saahab ke hamne kyaa dekhaa,
    hamne duniyaa ke rang-o-boo kaa tamashaa dekhaa.

    bharee bahaar mei dekhe kaee gul murjhaate,
    kagazee foolon ko guldano mei sajataa dekhaa.

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  23. behatareen gazal........thanks 4 sharing...

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  24. "दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.
    दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में."

    आदरणीय कुशुमेस जी आज के ज़माने की ज़मीनी हकीकत
    को बयां करती रचना. ज़िन्दगी में उम्र भर संभलकर चलना
    ही पड़ेगा,दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आता. एक बार फिर
    मन को सराबोर करती गजल.पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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  25. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में!!

    वाह्! पूरी तरह से भावविभोर कर देने वाली गजल....हर शेर बेमिसाल!

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  26. बहुत ही सुन्दर गज़ल
    बिलकुल सही लिखा है !
    लाजवाब !!

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  27. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में

    कटु सत्य..बहुत सटीक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर गज़ल..

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  28. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.
    sach hai, ham khud jimmewar hote hain....
    bahut sundar abhivyakti!!!

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  29. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.


    बहुत खूब क्या बात कही सर जी ..........
    धन्यवाद ........
    आगे इंतज़ार रहेगा नई गज़ल का .........

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  30. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.

    वाह क्या बात कही है सर जी ......
    धन्यवाद बेहतरीन रचना के लिए ........
    आगे भी इंतज़ार रहेगा .......

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  31. आपने फिर से लाजवाब ग़ज़ल लिखी है। मुझे तो बेहद पसंद आई।

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  32. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.

    दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.

    एक बेहतरीन प्रस्तुति, बहुत सुन्दर गज़ल

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  33. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में।

    कुसुमेश जी, ग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी है...हर शे‘र में ताज़गी है।...शुभकामनाएं।

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  34. kushmesh ji, gazal bahoot hi badiya hai............ bilkul hakikat jaisi.

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  35. आपकी सीख सर माथे
    बहुत सरलता से आपने बहुत गहरी बातें कह दी

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  36. bahut hi acha likha hai aapne...
    likhte rahiye..

    mere blog par bhi sawagat hai..
    Lyrics Mantra
    thankyou

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  37. दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.

    बहुत सुन्दर ग़ज़ल और ये शेर तो बेहतरीन है !

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  38. sabhee sher ek se bad kar ek hai.....
    lajawab gazal.......
    aabhar

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  39. दुश्मनी इन्सान की फ़ितरत में शामिल,
    दोस्ती किसको मयस्सर ज़िन्दगी में.

    हकीकत से जुड़े शेर हैं आपके ... कमाल की ग़ज़ल ...

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  40. कुंवर जी बहुत सुन्दर गज़ल...

    दौरे-हाज़िर में हरिश्चंद वो हुआ जो,
    झूठ बोला है सरासर ज़िन्दगी में.

    बहुत खूब..

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  41. आपकी यह सशक्त और सुन्दर रचना
    आज के चर्चा मंच पर सुशोभित की गई है!
    http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html

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  42. बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये हैं।

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  43. अच्छे भाव - अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  44. बहुत ही प्यारी और सुन्दर ग़ज़ल है....
    बहुत प्यारे भाव उकेर दिए हैं आपने...

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  45. bahut kam shabado me zindagi ko khubsurati se pesh kiya hai aapne kunwar ji....

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  46. कुशुमेशजी,सही कहा है आपने--

    ये जिंदगी सारे रंग दिखाती है हमें..

    कभी दुश्मन तो कभी दोस्त से मिलाती है हमें !!

    आपकी ग़ज़ल का जवाब लिखते-लिखते मैं खुद भी कुछ लिख गई जो मैंने अपने ब्लॉग पर ही प्रेषित कर दिया..विचार और शब्द देने के लिए शुक्रिया !!!!

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  47. सर जी, एक बार फिर दिल से दाद बहुत उम्दा रचना ..
    आभार !

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  48. ये मुसीबत चल के ख़ुद आई नहीं है,
    तुम इसे लाये हो ढोकर ज़िन्दगी में.

    बेहद सुन्दर और उम्दा !

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  49. बहुत बढि़या।

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  50. अर्थ पूर्ण और सुन्दर शब्द रचना के साथ ...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल..(नव गीतिका )

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  51. बहुत ही बढिया गजल
    सादर.....

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  52. बहुत सुंदर भावों से बेहतरीन रचना....

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