Tuesday, January 4, 2011

दोहे "योग" पर
       
कुँवर कुसुमेश 

रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधुमेह.
दूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.
                   
बिन औषधि बिन डॉक्टर ,मानव हुआ निरोग.
जिससे ये संभव हुआ,कहते उसको योग.

बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
चाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.

यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.

दवा करोड़ों व्याधि की,सिर्फ एक है 'योग'.
फिर से महिमा योग की ,जान गए अब लोग.

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45 comments:

  1. कुवर सर आप दोहों को लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं... इस से ना केवल दोहों को नया भविष्य मिलेगा, दोहों के माध्यम से भारतीयता, संस्कृति, प्राचीन चिकित्सा पद्धति, जीवनशैली को भी बढ़ावा मिलेगा.. सुन्दर लगे दोहे.. एक दो तो याद भी हो गए... नव वर्ष पर सार्थक लेखन , बहुत बहुत बधाई..

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  2. सभी दोहों में योग का सरस और सरल वर्णन किया है आपने!

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  3. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
    .
    कुशमेश जी , दोहों के माध्यम से अच्छा सन्देश है... सुंदर प्रस्तुति.

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  4. वाह दोहे के माध्यम से योग का गुणगान
    बेहतरीन

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  5. योग के ऊपर , एक बेहतरीन एवं उपयोगी कविता के लिए आभार।

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  6. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
    ... bahut sundar !!

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  7. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
    waakai, koi shak nahi

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  8. योग पर पहली कविता पढ़ी भाई /
    बहुत सुंदर शिल्प

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  9. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.

    आज के दौर में योग का बहुत बोल बाला है ...आपने सही पकड़ा है ,,जिन्दगी को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए बहुत जरुरी है योग ..शुक्रिया

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  10. दोहो के माध्यम से सार्थक अभिव्यक्ति की है…………आभार्।

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  11. बाबा रामदेव जिंदाबाद.

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  12. सत्य वचन , आदि कल से ही योग , सारे स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाई का निवारक रहा है .

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  13. बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
    चाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.

    सत्य वचन....योग महिमा का खूब बखान किया है आपने.

    नीरज

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  14. बरसों के बीमार को,दो दिन में आराम.
    चाहे करके देखिये,प्रातः प्राणायाम.
    बहुत ही बढि़या संदेश देती यह रचना ...बधाई ।

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  15. दोहात्मक योगाशन, बहुत सुन्दर रचना

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  16. कुँवर कुसूमेश जी योग विषय पर उत्तम दर्जे के दोहे पेश किए हैं आपने| अपने आप में अनूठे ये दोहे वाकई संग्रह योग्य हैं| बहुत बहुत बधाई मान्यवर|

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  17. आद. कुसुमेश जी,
    सारे दोहे एक से बढ़ कर एक हैं !
    ग़ज़ल की तरह दोहे लिखने में भी आपको महारथ हासिल है !
    दोहे संदेशप्रद और संग्रहणीय हैं !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  18. सुन्दर रचना, आभार

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  19. वाह जी बहुत सुंदर प्रयास, सभी दोहे एक से एक बढ कर धन्यवाद

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  20. yog par bahut sundar dohe..
    jeevanopyogi rachna...
    kushumeshji,
    bahut-bahut aabhar!

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  21. waah jee, aap ne bahut sundar dohe likhe hain ...
    aur vishayvastu bhi sundar aur sateek kathan ...

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  22. बेहतरीन एवं उपयोगी कविता के लिए आभार।

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  23. दवा करोड़ों व्याधि की,सिर्फ एक है योग,
    फिर से महिमा योग की ,जान गए अब लोग।

    योग के सुप्रभाव को व्यक्त करते सुंदर दोहे।
    दोहों में योग की महिमा का वास्तविक गुणगान किया गया है।

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  24. आदरणीय कुसुमेश जी,
    नमस्कार !
    एक से बढ़ कर एक दोहे हैं !...योग के ऊपर उपयोगी कविता

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  25. कुशमेश जी , दोहों के माध्यम से अच्छा सन्देश है... सुंदर प्रस्तुति.

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  26. • आप एक ज़रूरी कवि हैं – अपने समय व परिवेश का नया पाठ बनाने, समकालीन मनुष्य के संकटों को पहचानने तथा संवेदना की बची हुई धरती को तलाशने के कारण।

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  27. वाकी बहुत ही रोचक पोस्ट ई जो योग के लिए प्रेरित करती है, परन्तु मुझ जैसों का क्या जिन्हें कोई भी योगासन करने की मनाही है... खैर! मैं हूँ ही खास... ;)

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  28. आदिकाल से ही ये योग इसांन को निरोग बना रहा है। परन्तु दुख तो इस बात का है कि आज चंद लोगों ने इसे धधां बना रखा है।

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  29. वाह....

    क्या बात कही...

    रचना के भाव शिल्प और प्रयोजन ने बस नतमस्तक कर दिया....

    सार्थक कल्याणकारी लेखन के लिए साधुवाद !!!

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  30. लगता आज न बचेगा, साहित्य में कोई रोग।
    दोहे भी करने लगे, कुंवर कलम से योग॥

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  31. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.


    बहुत खूब ....

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  32. इक ...
    योग - महिमा
    दूजे ...
    कुसुमेश - दोहा - महिमा

    जैसे
    सोने पर सुहागा ..... !!
    बहुत खूब वर्णन है.... जिंदाबाद .

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  33. भोग सके तो भोग के जुग में योग के लिए जागरूक करने का सार्थक प्रयास।

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  34. सही कहा-योग सबसे अच्छा डाक्टर है।

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  35. रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधुमेह.
    दूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.


    हा...हा...हा....
    बहुत खूब .....!!
    कपाल भाति, अनुलोम-विलोम खूब करें
    मोटापे से न अब कुंवर कुसुमेश कोई डरे

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  36. रक्तचाप,पथरी,दमा,ह्रदयरोग,मधुमेह.
    दूर रहेंगे आपसे , अगर योग से नेह.

    मुझे नहीं लगता है की मैंने कहीं और योग पर दोहे पढ़े होंगे.अच्छा सन्देश. सराहनीय प्रस्तुति

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  37. बहुत बढ़िया कुंवर जी ... रचना के ज़रिये स्वस्थ रहने की बात ... धन्यवाद आपका ..

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...

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  38. आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी
    प्रणाम !

    विलंब से आया हूं , लेकिन तमाम दोहे पढ़ कर आनन्द आ गया ।
    …और मैं कह सकता हूं कि -
    दोहा, कुंडली, ग़ज़ल हो ; कोई विषय सबजेक्ट !
    कुंवर लिखेगें जब कभी , लिक्खेंगे दी बेस्ट !


    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  39. "सही कहा है आपने योग ही एक निदान,

    बच्चे-बूढ़े सब करे गर प्रतिदिन प्राणायाम !"

    "ब्लॉग पे अपने आइये करके प्राणायाम,

    चलती रहेगी लेखनी बिना किये विश्राम"

    बहुत अच्छा सन्देश....

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  40. यदि लगती है आपकी,तबियत थोड़ी सुस्त.
    योगासन अपनाइए,बनिए चुस्त-दुरुस्त.
    बहुत अच्छा सन्देश..
    रचना के ज़रिये स्वस्थ रहने की बात ... धन्यवाद आपका .

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  41. बिन औषधि बिन डॉक्टर ,मानव हुआ निरोग.
    जिससे ये संभव हुआ,कहते उसको योग.

    योग की महिमा अपरंपार है .. सुंदर हैं सभी दोहे ...

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