Monday, July 27, 2015

आखिरी सलाम कलाम साहब............................


हाज़िर है आपको आखिरी सलाम कलाम साहब :-

लाज़िमी है आँख नम होना किसी के प्यार में। 
खासकर जब आदमी अच्छा लगे व्यवहार में। । 
आपने कुछ ख़ास ही दिल में बना ली थी जगह,
आप जैसे  लोग  अब  मिलते  कहाँ संसार में। । 
-कुँवर कुसुमेश 

5 comments:

  1. हाज़िर है आपको आखिरी सलाम कलाम साहब :-

    लाज़िमी है आँख नम होना किसी का प्यार में।
    खासकर जब आदमी अच्छा लगे व्यवहार में। ।
    आपने कुछ ख़ास ही दिल में बना ली थी जगह,
    आप जैसे लोग अब मिलते कहाँ संसार में। ।
    -कुँवर कुसुमेश
    बेहतरीन काव्यात्मक श्रृंद्धांजलि

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 जुलाई 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर..वाकई कलाम साहब ने समस्त भारतीयों के दिल में अपनी खास जगह बना ली थी

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  4. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार

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