Friday, November 13, 2015

फुलझड़ी के लिए..............



वो मुफ़लिसी में था तैयार ख़ुदकुशी के लिए । 

कि उसका रो रहा बच्चा था फुलझड़ी के लिए। 

बहुत ग़रीब था वो कुछ नहीं खरीद सका ,

बस अपने दिल को जलाया था रौशनी के लिए। 

-कुँवर कुसुमेश

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2015) को "बच्चे सभ्यता के शिक्षक होते हैं" (चर्चा अंक-2161)    पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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