कोई भूखे पेट जाड़े में पड़ा फुटपाथ पर,
नोचता फिरता कोई होटल में बैठा बोटियाँ। 
क्या बता पायेगा वो गणतंत्र का मतलब भला,
जिसकी क़िस्मत में नहीं दो वक़्त की दो रोटियाँ। 
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गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 
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-कुँवर कुसुमेश