कोई भूखे पेट जाड़े में पड़ा फुटपाथ पर,
नोचता फिरता कोई होटल में बैठा बोटियाँ।
क्या बता पायेगा वो गणतंत्र का मतलब भला,
जिसकी क़िस्मत में नहीं दो वक़्त की दो रोटियाँ।
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गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
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-कुँवर कुसुमेश
शुभ कामनाएं भी
ReplyDeleteऔर
कड़ुवा सच भी
दोनों हैं
आमने-सामने
सादर
सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएँ!!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।